प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 19-20 अक्टूबर तक गुजरात के दौरे पर हैं। अपने दौरे के पहले दिन ही पीएम मोदी ने अडालज में मिशन स्कूल ऑफ एक्सिलेंस का शुभारंभ किया। इस दौरान PM मोदी स्कूल में बच्चों संग क्लासरूम में बैठे दिखे। पीएम मोदी के स्कूल पहुंचने पर फूल बरसा कर स्वागत किया गया। PM ने कहा कि अब शिक्षा व्यवस्था स्मार्ट हुई है और गुजरात की शिक्षा व्यवस्था सुधरी है। पीएम मोदी के स्कूल जाने पर अरविंद केजरीवाल समेत आप के कई नेताओं ने प्रतिक्रिया दी है।

केजरीवाल ने किया ट्वीट

अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा है कि मुझे बेहद ख़ुशी है कि आज देश की सभी पार्टियों और नेताओं को शिक्षा और स्कूलों की बात करनी पड़ रही है। ये हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है। मैं उम्मीद करता हूं कि केवल चुनाव के दौरान शिक्षा याद ना आए। सभी सरकारें मिलकर महज 5 साल में सभी सरकारी स्कूलों को शानदार बना सकते हैं। आप राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि साहेब आते-आते बहुत देर कर दी।

मनीष सिसोदिया का तंज

मनीष सिसोदिय ने भी ट्वीट कर लिखा है कि मोदी जी आज पहली बार गुजरात के बच्चों के साथ स्कूल जाकर बैठे। 27 साल पहले ये शुरू कर दिया होता तो आज गुजरात के हरेक बच्चे को, शहर से लेकर गाँव तक के हर बच्चे को, शानदार शिक्षा मिल रही होती। दिल्ली में 5 साल में हो सकता है तो गुजरात में तो भाजपा 27 साल से सरकार में है, लेकिन टीचर तक नहीं है। एक करोड़ बच्चों में से अधिकतर का भविष्य अंधेरे में है।

नरेंद्र गिरसा नाम के यूजर ने लिखा कि धन्यवाद केजरीवाल जी, सालों साल से चुनाव में ऊंच नीच, धर्म जाति, हिंदू मुस्लिम, शमशान कब्रिस्तान जैसे मुद्दे पर भाजपा ने देश और गुजरात को ठगा है। पहली बार गुजरात में केजरीवाल जी ने मोदी जी को भी मजबूरन स्कूल में फोटो खिंचाने पर मजबूर कर दिया। 27 साल से करते तो बात कुछ और होती। पवन यादव नाम के यूजर ने लिखा कि राजनीति में ये बहुत बड़ा बदलाव है। मनीष सिसोदिया और केजरीवाल की जिन्दगी की ये बड़ी उपलब्धि है।

मिशन स्कूल ऑफ एक्सिलेंस का शुभारंभ करने के बाद PM ने अपने संबोधन में कहा कि बीते दो दशक में गुजरात में शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन आया है। 20 साल पहले 100 में से 20 बच्चे स्कूल ही नहीं जाते थे। यानी पांचवां हिस्सा शिक्षा से बाहर रह जाता था। जो बच्चे स्कूल जाते थे, उनमें से बहुत सारे आठवीं तक पहुंचते ही स्कूल छोड़ देते थे। उसमें भी दुर्भाग्य यह था कि बेटियों की स्थिति तो और खराब थी। पहले बेटियों को स्कूल नहीं भेजा जाता था।