एक अप्रैल को भले ही सारी दुनिया अप्रैल फूल डे मनाती हो, मगर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी के लिए ये दिन बेहद खास है क्योंकि इसी दिन संघ संस्थापक डॉ. केशवराव बलराम पंत हेडगेवार का जन्म हुआ था। वो संघ जिस पर कांग्रेस, अंग्रेजों का हिमायती होने का इल्जाम लगाती है। उसी आरएसएस की स्थापना का बीज ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया के बर्थडे सेलिब्रेशन की वजह से पड़ा था।

बात 22 जून 1897 की है। देश पर ब्रिटिश हुकूमत थी और ब्रिटिश क्वीन विक्टोरिया का साठवां जन्मदिन था। पूरे देश के साथ साथ नागपुर के सरकारी स्कूलों में मिठाईयां बाटी जा रही थीं। 8 साल के केशव को भी मिठाई मिली, मगर मिठाई फेंककर वो बच्चा उदास मन से अपने घर चला गया।

एच.वी.शेषाद्री अपनी किताब ‘डॉ हेडगेवार- द एपक मेकर’ में लिखते हैं कि “घर वालों ने पूछा- केशव क्या तुम्हें मिठाई नहीं मिली? केशव ने जवाब दिया कि- मिली थी लेकिन इन अंग्रेजों ने हमारे भोंसले खानदान को खत्म कर दिया और हम इनके समारोह में कैसे हिस्सा ले सकते हैं?” एच.वी.शेषाद्री का कहना है कि उसी दिन केशव ने मन ही मन भारतीय संस्कृतिक प्रतीकों को ज्यादा अहमियत देने मन बना लिया।

ब्रिटिश किंग और संघ: डॉ हेडगेवार की बायोग्राफी ‘डॉ हेडगेवार- द एपक मेकर’ में एच.वी.शेषाद्री 1901 के एक और किस्से का ज़िक्र करते हैं। जब देश में ब्रिटेन के राजा एडवर्ड सप्तम के राज्यारोहण का जश्न मनाया जा रहा था, 12 साल के हेडगेवार ने उसका विरोध करते हुए कहा था कि “विदेशी राजा का राज्यारोहण मनाना हमारे लिए शर्म की बात है..”।

हेडगेवार पर सावरकर का प्रभाव: हेडगेवार पर लिखी गई किताब ‘डॉ. हेडगेवार: एक अनोखा नेतृत्व’ के मुताबिक, 1 अप्रैल 1889 को नागपुर में पैदा हुए डॉ. केशवराव बलिराम पंत हेडगेवार के सिर से माता और पिता का साया 13 साल की उम्र में ही उठ गया था। शुरुआती पढ़ाई नागपुर में ही हुई, मगर वंदे मातरम गाने की वजह से उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया तो आगे की पढ़ाई पुणे में हुई। जहां उनका संपर्क हिंदू महासभा के तत्कालीन अध्यक्ष बी.एस.मुंजे से हुआ, जिन्होंने मैट्रिक के बाद की पढ़ाई के लिए हेडगेवार को कोलकाता भेज दिया।

1915 में नागपुर लौटने के बाद हेडगेवार कुछ समय के लिए कांग्रेस से भी जुड़े। असहयोग आंदोलन में जेल भी गए, मगर अचानक से आंदोलन की वापसी ने कांग्रेस से उनका मोहभंग कर दिया। 1923 में हुए सांप्रदायिक दंगों ने हेडगेवार का झुकाव उग्र हिन्दुत्व की तरफ कर दिया। इसी दौरान वो विनायक दामोदर सावरकर के संपर्क में आए और उन्हीं से प्रभावित होकर 1925 में विजयादशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की।

हेगडेवार का हिंदू राष्ट्र: आर.एस.एस. के दिग्गज कहते हैं कि हेडगेवार लोगों को तर्कशीलता से नहीं बल्कि अपने व्यक्तित्व से प्रभावित करते थे। डॉ राहुल शास्त्री अपनी किताब ‘डॉ हेडगेवार- शीर, प्रेट्रियट एंड बिल्डर’ में एक घटना का ज़िक्र करते हुए लिखते हैं कि “संघ की स्थापना के शुरुआती दिनों के दौरान एक सभा में एक नौजवान ने चिढ़ कर हेडगेवार से पूछा कौन मूर्ख कहेगा कि भारत हिंदू राष्ट्र है? इस पर हेडगेवार ने ये कहकर बहस खत्म कर दी कि मैं केशव बलिराम हेडगेवार कहता हूं कि ये एक हिंदू राष्ट्र है…” डॉ शास्त्री लिखते हैं कि हेडगेवार के शब्दों ने सभा में मौजूद लोगों के अंदर आत्मविश्वास पैदा किया और सभी लोग संघ में शामिल हो गए।