उत्तर प्रदेश के बरेली में कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ियों पर हुए लाठीचार्ज के कुछ देर बाद SSP प्रभाकर चौधरी का ट्रांसफर कर दिया गया। कुछ लोगों ने दावा किया कि कांवड़ियों पर लाठीचार्ज के बाद ही उनका ट्रांसफर किया गया। सोशल मीडिया पर लोगों ने प्रभाकर चौधरी की जमकर तारीफ की और ट्रांसफर पर सवाल उठाये लेकिन अब प्रभाकर चौधरी के पिता सरकार के रवैये से काफी नाराज हैं।
कौन हैं प्रभाकर चौधरी?
आईपीएस अधिकारी प्रभाकर चौधरी अम्बेडकरनगर जिले थाना हंसवर के ग्राम महमूद पुर के रहने वाले हैं। प्रभाकर की प्राथमिक शिक्षा शिशु मंदिर विद्यालय बसखारी और इंटर की शिक्षा इंदई पुर इंटर कॉलेज से हुई है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने के बाद वह अपने पहले ही प्रयास में साल 2010 में वह आईपीएस बन गये।
भाजपा से नाराज हैं पिता, संघ से भी जुड़े रहे
खबरों की मानें तो प्रभाकर चौधरी के पिता पारसनाथ चौधरी अध्यापक थे और अब वह रिटायर हो चुके हैं। वह करीब चालीस साल से संघ और बीजेपी से जुड़े हैं। हालांकि अब वह बेटे के लगातार ट्रांसफर से काफी नाराज हैं। उन्होंने कहा है कि अब वह अपने क्षेत्र में भाजपा को नहीं जीतने देंगे, अब वह भाजपा के खिलाफ हो गए हैं। बरेली की घटना पर पारसनाथ चौधरी ने यह भी कहा कि जिस अधिकारी को इनाम मिलना था उसी को हटा दिया।
‘भाजपा को नहीं जीतने दूंगा’
पारसनाथ चौधरी ने कहा कि मैं बहुत बड़ा आदमी तो नहीं हूं लेकिन 10-20 क्षेत्रों में मेरी पकड़ है, मैं वहां से भाजपा को नहीं जीतने दूंगा। मेरे बेटे के साथ गलत हो रहा है, ईमानदारी की वजह से उसका लगातार ट्रांसफर हो रहा है। IPS अधिकारी के पिता ने कहा कि अब तो प्रभाकर को ट्रांसफर की आदत पड़ गई है।
8 साल 18 ट्रांसफर, सिर्फ मेरठ में पूरा हुआ था एक साल
प्रभाकर चौधरी देवरिया, बिजनौर, बलिया, बुलंदशहर, कानपुर देहात में एसपी और वाराणसी, मुरादाबाद, मेरठ और आगरा में एसएसपी के पद अपनी सेवायें दे चुके हैं लेकिन मेरठ के अलावा वह कहीं भी एक साल से अधिक तक नहीं कार्यरत नहीं रहे। ज्यादातर जिलों में तो छह या सात महीने ही अपनी सेवाएं दे सके हैं। 13 साल की नौकरी में प्रभाकर चौधरी का 21 बार ट्रांसफर हुआ, जबकि पिछले आठ सालों में उन्हें 18 बार एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा गया। कहा जाता है कि प्रभाकर चौधरी नेताओं की नहीं सुनते, यही वजह है कि जल्दी ही उनका ट्रांसफर कर दिया जाता है।
बता दें कि पिछले दिनों जब बरेली में दो समुदाय यात्रा को लेकर आमने-सामने आ गये थे तो कांवड़यात्रा निकाल रहे लोगों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था और एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने मीडिया में बयान भी दिया था। इसके कुछ ही देर बार उनका ट्रांसफर कर दिया गया और बतौर सेनानायक, 32वीं वाहिनी पी.ए.सी लखनऊ भेज दिया गया।
