भारतीय जनता पार्टी ने अपने संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति का ऐलान किया। संसदीय बोर्ड से मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को बाहर किया गया है जबकि संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति के अध्यक्ष जेपी नड्डा ही होंगे। नितिन गडकरी को संसदीय बोर्ड से बाहर किए जाने पर सोशल मीडिया पर लोग तरफ-तरफ की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।

नितिन गडकरी को संसदीय बोर्ड से किया गया बाहर

संसदीय बोर्ड में सर्वानंद सोनोवाल और बीएस येदियुरप्पा को शामिल किया गया है। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस, वन मंत्री भूपेंद्र यादव और राजस्थान के ओम माथुर को भी चुनाव समिति में जगह दी गई है। केंद्रीय चुनाव समिति से शाहनवाज हुसैन को हटाया गया है। हालांकि नितिन गडकरी को संसदीय बोर्ड से हटाए जाने पर लोग तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। 

लोगों ने पूछे ऐसे सवाल

प्रशांत गुप्ता नाम के यूजर ने लिखा कि जो मनोनीत हुए उन्हें बधाई पर नितिन गडकरी और शिवराज सिंह चौहान जी इस संसदीय बोर्ड में शामिल नहीं, पार्टी में चल क्या रहा है? मनोज कुमार झा नाम के यूजर ने लिखा कि अब समय आ गया है कि लोग बीजेपी को नकारने पर विचार करें। यहां नितिन गडकरी जैसे कर्मशील नेता की जरूरत नहीं है!

आलोक यादव नाम के यूजर ने लिखा कि मतलब गड़करी और शिवराज को किनारे कर दिया, हो भी क्यों न यही तो ‘राजा बाबू’ के लिये खतरा थे। हिमांशु प्रवीर ने लिखा कि भाजपा संसदीय बोर्ड से नितिन गडकरी को अलग करना बहुत बड़ी भूल है भाजपा की। भारत विकास पुरुष नितिन गडकरी का अपमान बर्दास्त नहीं करेगा।

चंद्रपाल सिंह यादव नाम के यूजर ने लिखा, ‘नितिन गडकरी जी को संसदीय बोर्ड से हटाना बीजेपी के अंत की शुरुवात है। अब बीजेपी में व्यक्ति पूजा होने लगी है। गुजरातियों का कब्जा हो गया है। दो व्यक्ति पूरी पार्टी और देश चला रहे है।’ अंशुमान नाम के यूजर ने लिखा कि ‘नितिन गडकरी को संसदीय बोर्ड से हटाने का फैसला उचित नहीं है। भाजपा के जिन मंत्रियों ने अपने काम से लोगों को प्रभावित किया है, उनमें नितिन गडकरी सबसे आगे हैं।’

बीजेपी में हो रहे इस फेरबदल को 2024 लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। चुनाव से पहले पार्टी संगठन स्तर पर बड़े बदलाव कर रही है। कुछ दिन पहले ही पार्टी ने उत्तर प्रदेश के संगठन महामंत्री सुनील बंसल को तेलंगाना, ओड़िसा और पश्चिम बंगाल का प्रभारी बनाया वहीं धर्मलाल को प्रदेश संगठन महामंत्री बनाया था। गौरतलब है कि संसदीय बोर्ड बीजेपी की सबसे ताकतवर संस्था है। पार्टी के तमाम बड़े फैसले इसी बोर्ड के जरिए लिए जाते हैं।