इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए लोगों का क्रेज दिनों और दिन बढ़ता जा रहा है। अगर आप भी नए साल पर नया इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने की सोच रहे हैं तो जान लीजिए कि, देश के किस राज्य में आपको सरकार की ओर से सबसे ज्यादा सब्सिडी मिलने वाली है। दरअसल केंद्र और राज्य सरकारों ने देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को बढ़ावा देने के लिए फेम-2 सब्सिडी योजना शुरू की थी। जिसमें इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाती है। आइए जानते हैं किस राज्य में सबसे ज्यादा सब्सिडी दी जा रही है।
महाराष्ट्र सरकार ने बढ़ाई लास्ट डेट – महाराष्ट्र सरकार की ओर से इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने पर सबसे ज्यादा 2.5 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जा रही है। जिसकी पहले आखिरी तारीख 31 दिसंबर 2021 थी। लेकिन राज्य सरकार ने लोगों के उत्साह को देखते हुए इस योजना को बढ़ा कर 31 मार्च 2022 तक के लिए आगे बढ़ा दिया है। अगर आप भी महाराष्ट्र में इलेक्ट्रिक वाहन खरीदते हैं तो 2.5 लाख रुपये तक की सब्सिडी मिल सकती है।
इन करों पर मिलेगी 2.5 लाख रुपये की सब्सिडी – महाराष्ट्र सरकार की ओर से केवल दो करों पर ही 2.5 लाख रुपये की सब्सिडी दी जा रही है। जिसमें टाटा टिगोर ईवी और टाटा नेक्सॉन ईवी है। वहीं देश में इन इलेक्ट्रिक कारों के अलावा हुंडई कोन, एमजी जैडएस ईवी, जगुआर आई-पेस और ऑडी ई-ट्रॉन जैसी इलेक्ट्रिक कार मौजूद है। लेकिन महाराष्ट्र सरकार की ओर से इन कारों पर फिलहाल कोई सब्सिडी नहीं दी रही। अगर आप 31 मार्च 2022 तक महाराष्ट्र के किसी भी शहर में टाटा टिगेार ईवी या नेक्सॉन ईवी खरीदते हैं तो आपको 2.5 लाख रुपये की बचत होगी।
ये है महाराष्ट्र सरकार का प्लान- राज्य सरकार ने 10 हजार इलेक्ट्रिक वाहन पर 1.5 लाख रुपये तक इंसेटिव प्लान रखा है। 1 हजार इलेक्ट्रिक बसों पर अधिकतम 20 लाख रुपये तक इंसेटिव और ये इंसेटिव का लाभ सिर्फ सरकारी उपक्रमों की बसों के लिए ही होगा। वहीं सरकार का 2025 तक सरकारी बसों के बेड़े में 25 फीसदी इलेक्ट्रिक बस करने की योजना है।
राज्यों से प्रदूषण दूर करना पॉलिसी का उद्देश्य – पॉलिसी का उद्देश्य महाराष्ट्र में स्थायी और स्वच्छ गतिशीलता समाधानों को अपनाने में सहायता करना है। इसका उद्देश्य देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के मामले में महाराष्ट्र को नंबर वन राज्य बनाना है। भविष्य में राज्य सरकार की कोशिश महराष्ट्र को इलेक्ट्रिक वाहनों के मामले में काफी आगे ले जाना है, जिससे यह राज्य निवेशकों का केंद्र बन सकता है। सरकार का अनुमान है कि ऐसा होने से 2025 तक ईंधन की खपत 30 से 50% तक घट जाएगी।