संयुक्त राज्य अमेरिका, आज एक गहरे संकट में है। अप्रवासन का मुद्दा, जो लंबे समय से अमेरिकी समाज और राजनीति में विवाद का केंद्र रहा है, अब हिंसक प्रदर्शनों, आगजनी और सैन्य तैनाती के रूप में सड़कों पर उतर आया है। लांस एंजिलिस, कैलिफोर्निया से शुरू हुआ यह संकट 12 राज्यों के 25 शहरों तक फैल चुका है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ‘शून्य-सहिष्णुता’ नीति और इसके जवाब में कैलिफोर्निया के गवर्नर गैविन न्यूसम द्वारा दायर मुकदमा इस टकराव को और गहरा रहा है।
अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा और कैलीफोर्निया का सबसे बड़ा शहर लास एंजिलिस सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है, जो आज हिंसा की चपेट में है। यहां की आबादी लैटिनो-बहुल है यानी यहां मेक्सिको, मध्य और दक्षिण अमेरिका और कैरिबियन देशों से आए लोग अधिक हैं। यहां लगभग नौ लाख अवैध अप्रवासी रह रहे हैं।
कार्रवाई ने स्थानीय समुदायों में गुस्सा भड़का दिया
मौजूदा संकट छह जून, 2025 को अप्रवासन और सीमा शुल्क प्रवर्तन एजंसी (आइसीई) के वेस्टलेक, बेल और काम्पटन जैसे इलाकों में छापेमारी पर शुरू हुआ। राष्ट्रपति ट्रंप के दावे के अनुसार, ये अवैध अप्रवासी अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर बोझ हैं और इन्हें बाहर निकालना जरूरी है। इस कार्रवाई ने स्थानीय समुदायों में गुस्सा भड़का दिया। आठ जून तक प्रदर्शन हिंसक हो गए और गाड़ियों में आगजनी, दुकानों में लूटपाट और पुलिस पर पथराव किया गया। अगले तीन दिनों में हिंसा ने तमाम दूसरे शहरों को भी चपेट में ले लिया।
प्रदर्शन और हिंसा के जवाब में, ट्रंप ने कैलिफोर्निया की सहमति के बिना 2100 नैशनल गार्ड तैनात कर दिए। अब यह संख्या 4000 तक पहुंच चुकी है। इसके अलावा 700 मरीन सैनिकों को भी तैनात किया गया है। यूनाइटेड स्टेट्स मरीन कार्प्स इस बार आंतरिक अशांति को नियंत्रित करने के लिए तैनात की गई है। यह कदम असामान्य और विवादास्पद है, क्योंकि मरीन मुख्य रूप से समुद्र के रास्ते अवैध प्रवेश को रोकने में सक्रिय रहते हैं। इस तैनाती का उद्देश्य हिंसा को दबाना, आइसीई की छापेमारी का समर्थन करना और कानून-व्यवस्था बहाल करना है। इस कार्रवाई में 1100 गिरफ्तारियां और दो लोगों की मौत के साथ स्थिति और भी जटिल हो गई है।
जनसत्ता सरोकार: ‘अप्रियवासी’ – सरहदें तंग, नीतियां सख्त, दुनिया भर में अप्रवासन पर बदलता नजरिया
ट्रंप का दूसरा कार्यकाल अप्रवासन पर कठोर नीतियों का प्रतीक है। उन्होंने दक्षिणी सीमा पर राजनीतिक शरण प्रणाली को निलंबित कर दिया। हैती, वेनेजुएला और क्यूबा जैसे देशों के लिए अस्थायी वैध निवास खत्म कर दिया गया है। आइसीई को देशभर में छापेमारी की खुली छूट दी। मास्क पहनकर प्रदर्शन करने वालों की तत्काल गिरफ्तारी का उनका आदेश और फरवरी 2025 में भारतीय अप्रवासियों को हथकड़ियों में भारत वापस भेजने की घटना उनकी सख्त नीतियों का उदाहरण है।
लास एंजिलिस से शुरू हुआ यह संकट अब राष्ट्रीय स्तर पर फैल चुका है। मरीन और नेशनल गार्ड की तैनाती, आइसीई की आक्रामक कार्रवाइयां, और कैलिफोर्निया के मुकदमों से साफ है कि यह केवल अप्रवासन नीतियों की लड़ाई नहीं, बल्कि अमेरिकी लोकतंत्र, संघीय शक्ति और मानवाधिकारों की जंग है। ट्रंप की नीतियां हिंसा को भड़का रही हैं, लेकिन इसके पीछे गहरे सामाजिक और नस्लीय तनाव भी हैं।
अमेरिका में अवैध प्रवासियों के खिलाफ छापेमारी को लेकर देश के कई हिस्सों में हो रहे विरोध-प्रदर्शनों के बीच आंतरिक सुरक्षा मंत्री क्रिस्टी नोएम ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन की आव्रजन कार्रवाई को जारी रखने का संकल्प लिया है।