अपनी राजनीति का यही मजा है कि एक बोलता है, तो तुरंत दूसरा उसकी बोलती बंद करने के चक्कर में रहता है। एक चैनल ने जातियां गिनार्इं कि भारत में कोई चार लाख और साठ हजार जातियां-उपजातियां हैं। यानी एक रोटी के चार लाख साठ हजार टुकड़े। अब सर जी ही बताएं कि किसका कितना पेट भरेगा, कितना रहेगा खाली और कैसे बताओगे कि किसकी कितनी हिस्सेदारी, किसकी कितनी संख्या भारी और कौन करेगा कमाई। बहसें भी बेशर्म हैं, जिनमें हरेक दूसरे से कहता रहा कि पहले तुम गणना कराओ कि तुम कराओ। फिर आई एक तुकबंद चेतावनी कि ‘बटेंगे तो कटेंगे… एकता में टिकेंगे… एक रहोगे, सुरक्षित रहोगे… एक रहोगे तो नेक रहोगे… सनातन राष्ट्रीय धर्म है… बांग्लादेश को देख लो..!’ यह वाणी गूंजी ही थी कि शुरू हुई चैनल पर एक ओर ‘तौबा तौबा’ तो दूसरी ओर कि ये तो राष्ट्र की एकता का आह्वान है।

चैनलों के भी अपने-अपने प्रधानमंत्री हो गए हैं

एक शाम एक चैनल ने अपने सर्वें में प्रधानमंत्री की ‘लोकप्रियता’ को कुछ गिरता दिखाया, तो दूसरे ने अपने सर्वे में कुछ उठता दिखाया! चैनलों के भी अपने-अपने प्रधानमंत्री हो गए! फिर खबर आई कि महाराष्ट्र में आई तेज आंधी-बरसात के दौरान कुछ महीने पहले लगी शिवाजी की मूर्ति अचानक गिर गई और राजनीति गरम। एक कहिन कि शिवाजी का शाप लगेगा। फिर टूटने पर होने लगी माफी-माफी। प्रधानमंत्री तक ने मांगी माफी कि शिवाजी हमारे भगवान हैं। जांच करेंगे। दोषियों को सजा देंगे।

‘डंडों’, ‘गैस गोलों’ और ‘पानी की बौछारों’ वाला ‘न्याय’

फिर खबर में आया कोलकाता में सामूहिक बलात्कार की शिकार मृतका डाक्टर के लिए ‘हमें न्याय चाहिए’ नारे के साथ ‘नवान्न’ तक ‘विरोध प्रदर्शन’ और बदले में मिलता पुलिस का दमन। ‘डंडों’, ‘गैस गोलों’ और ‘पानी की बौछारों’ वाला ‘न्याय’। बहुत से घायल और बेहोश। फिर शाम की बहसों में प्रवक्ता बरक्स प्रवक्ताओं के बीच वैसे ही दोषारोपण… कि ये सरकार के खिलाफ साजिश, कि बंगाल की औरतों पर अत्याचार क्यों? राज्यपाल चिंतित! राष्ट्रपति चिंतित! कई चर्चक देते ज्ञान कि केंद्र कुछ करता क्यों नहीं, कि राष्ट्रपति शासन लागू हो..!

फिर आया बयान कि बंगाल को जलाने की साजिश हो रही है… बंगाल जलेगा तो ये राज्य जलेगा, वो जलेगा..! हम आपकी कुर्सी गिरा देंगे। फिर आया एक पूरक बयान कि ये लड़ाई उन्होंने शुरू की है, खत्म मैं करूंगा… मैं आंदोलन दिल्ली तक ले जाउंगा..! हम तो कहेंगे कि जल तू जलाल तू आई बला को टाल तू… बोलो ओम शांति: शाति: शाति:! एक एंकर बोला कि विचारों में हिंसा है। एक प्रवक्ता कहिन कि उन्होंने शासन करने का अधिकार खो दिया है, वे फासीवादी तरीके से लोगों का दमन कर रही हैं।

बहरहाल, शाम की बहसों में ‘आग’ सुलगती रही, जिसे कुछ एंकर बुझाते रहे। कुछ ‘अर्थविज्ञानी’ कहते रहे कि ‘जलाने’ नहीं, ‘जलेगा’ कहा। फिर कई राज्यों के प्रवक्ता भी धमकी के जवाब में धमकी दिए कि हमारे राज्य के बारे में कैसे बोला कैसे बोला। लेकिन वाह रे योगी जी कि इतने घमासान के बीच भी एक नए डिजिटल मीडिया कानून का एलान कर दिए, जिसके अनुसार अब से सोशल मीडिया में आते अभद्र, अश्लील, राष्ट्रविरोधी, आपत्तिजनक टिप्पणियां आदि सब बंद! विपक्षी कहें कि ये फासीवाद है!

इसके बाद आया एक चैनल पर विपक्ष के एक बड़े नेता का ‘जिउ-जित्सु’ जैसी ‘मार्शल आर्ट’ सिखाने वाला ‘डोजो प्लान’। साथ ही ‘जिउ-जित्सु’ के ‘दर्शन’ सहित ‘डेमो वीडियो’, जिसमें बताया गया कि वे इसके ‘ब्लैक बेल्ट’ हैं। वीडियो में वे दूसरे ‘जिउ-जित्सु’ लड़ाके को कई तरह से पटकते रहे। फिर बताया कि यह ‘डोजो प्लान’ युवाओं को ‘जिउ-जित्सु मार्शल आर्ट’ में ‘प्रशिक्षित’ करेगा। ये ‘गेम’ बड़ा ‘ऊर्जादायक’ है।

एक एंकर बताती रही कि ‘राष्ट्रीय खेल दिवस’ के दिन इधर शुरू हुआ भाजपा का नया राष्ट्रीय सदस्यता अभियान तो उधर शुरू हुआ ‘डोजो प्लान’! चर्चा में एक विपक्षी प्रवक्ता ने टिप्पणी की कि ये ‘डोजो’ नहीं ‘डोज’ प्लान है, जबकि भाजपा का सदस्यता अभियान अधिकाधिक सदस्य बनाने के लिए है। इसी क्रम में एक बहस में एक प्रवक्ता ने कटाक्ष किया कि भाजपा बूढ़ों की जमात है, जबकि ‘कांग्रेस-इंडिया’ युवाओं की जमात है।

एक दिन किसान आंदोलन को लेकर भाजपा सांसद कंगना का बयान आया और राजनीति गरमा गई। भाजपा ने तुरंत उससे अपना पल्ला झाड़ा। फिर आया पंजाब के एक बुजुर्ग सांसद का कंगना के खिलाफ विवादित बयान। इस गर्हित ‘लैंगिक’ और ‘स्त्रीद्वेषी’ कुंठा पर कई एंकर, चर्चक देर तक बरसते रहे कि कंगना के बारे में ऐसा कहने वाले पर कार्रवाई हो, लेकिन इस ‘स्त्रीद्वेष’ के भी कुछ पक्षधर मैदान में, कि न वे वैसा बोलतीं, न ऐसा सुनतीं।