मस्तिष्क की क्षति या किसी मस्तिष्क रोग के कारण याद करने की क्षमता में आने वाली कमी को स्मृतिलोप या भूलने की बीमारी कहते हैं। ऐसा मुख्य रूप से मस्तिष्क की क्षति, मस्तिष्क संबंधित रोग, दर्द कम करने वाली औषधि आदि का अधिक इस्तेमाल करने से, नींद की दवाओं के ज्यादा उपयोग या मनोवैज्ञानिक विकार आदि की वजह से होता है।
भूलने की बीमारी के प्रकार
स्मृतिलोप मुख्यत: दो प्रकार का होता है। पहली प्रतिगामी भूलने की बीमारी (रेट्रोग्रेड एमनेसिया) और दूसरी अग्रगामी भूलने की बीमारी (एंटेरोग्रेड एमनेसिया)
1-प्रतिगामी भूलने की बीमारी
भूलने की बीमारी के प्रतिगामी प्रकार में रोगी मौजूदा पहले की यादें खो देता है। इस प्रकार की भूलने की बीमारी पहले हाल ही की यादों को प्रभावित करती है। पुरानी, जैसे बचपन की यादें, आमतौर पर धीमी गति से प्रभावित होती हैं। डिमेंशिया जैसे रोग भूलने की बीमारी के प्रतिगामी प्रकार के कारण ही बनते हैं।
2-अग्रगामी भूलने की बीमारी
भूलने के बीमारी के अग्रगामी प्रकार में रोगी नई यादें नहीं बना पाता। यह प्रभाव अस्थायी और स्थायी दोनों प्रकार से हो सकता है। उदाहरण के लिए बहुत अधिक शराब पीने से ऐसा अनुभव होता है। इस प्रकार की भूलने की बीमारी होने से लोग लंबे समय तक चीजों को याद नहीं रख पाते हैं। यह दोनों प्रकार परस्पर अलग नहीं हैं।
रोग के कारण
1-धूम्रपान से
अत्यधिक शराब पीने या धूम्रपान से भूलने की बीमारी हो सकती है। धूम्रपान मस्तिष्क में आक्सीजन की मात्रा को कम कर स्मृति को हानि पहुंचाता है।
2-नींद में कमी
नींद की मात्रा और गुणवत्ता दोनों ही स्मरणशक्ति के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण हैं। बहुत कम नींद लेने या रात में अक्सर जागने से भूलने की समस्या पैदा हो सकती है।
3-अवसाद और तनाव
अवसाद होने से ध्यान बनाए रखने में परेशानी होती हैं, जो स्मृति को प्रभावित करती है। तनाव और चिंता एकाग्रता में बाधक बनकर स्मृति की क्षमता पर बुरा असर डालते हैं।
4-पोषक तत्वों की कमी
अच्छे और उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन और वसा मस्तिष्क के कार्यों को ठीक रखने के लिए अहम होते हैं। विटामिन बी 1 और बी 12 की कमी विशेष रूप से स्मृति को प्रभावित करती हैं।
5-सिर में चोट
कई बार सिर की गंभीर चोट मस्तिष्क को क्षति पहुंचाती है और छोटी व लंबी अवधि तक स्मृति को प्रभावित करती है।
बचाव एवं उपचार
भूलने की बीमारी से बचने के लिए शारीरिक क्रियाएं जैसे व्यायाम, नृत्य, एरोबिक्स, बास्केटबाल, तैराकी और साइकिलिंग करना बेहद फायदेमंद होता है। आहार में हरी सब्जियां, फल, दाने, आलिव तेल और विनेगर आदि शामिल करें। ग्रीन चाय, काफी, डार्क चाकलेट दिमाग की खुराक है। इनके सेवन से मस्तिष्क की कार्य क्षमता में सुधार होता है।
प्रतिदिन 7-8 घंटे की नींद जरूर लें। कम सोने से मस्तिष्क के एक हिस्सा में नए न्यूरोंस का विकास प्रभावित होता है। इससे स्मृति, एकाग्रता एवं निर्णय लेने की क्षमता में कमी आती है। साथ ही शरीर में मौजूद प्रोटीन एमिलायड बीटा को असंतुलित करता है। इससे अल्जाइमर हो सकता है। इसलिए भूलने की बीमारी से बचने के लिए पर्याप्त नींद लेना आवश्यक है।
दिमाग को दुरुस्त रखने वाले सुडोकू या पहेली, क्विज, शतरंज, तार्किक या इलेक्ट्रानिक खेल भी दिमाग को तेज करने के हथियार हैं। रोज 15-20 मिनट खेलने से दिमाग तरोताजा होता है।
प्राणायाम व ध्यान करने से तनाव दूर होता है। एकाग्रता आती है। दिमाग को पर्याप्त आक्सीजन, रक्त व पोषक तत्त्व मिलते हैं। भूलने की बीमारी का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि आपको किस कारणवश यह बीमारी है जैसे – रासायनिक रूप से प्रेरित भूलने की बीमारी (उदाहरण के लिए शराब से) को विषहरण के माध्यम से ठीक किया जा सकती है।
सिर की चोट से भूलने की बीमारी आमतौर पर समय के साथ उपचार के बिना ठीक हो जाती है। सिर की गंभीर चोट से हुई भूलने की बीमारी ठीक नहीं होती। हालांकि, सुधार आमतौर पर छह से नौ महीने के भीतर होते हैं। डिमेंशिया से हुई भूलने की बीमारी का अक्सर इलाज नहीं होता है।
(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)