पांच सौ वर्ष पहले की अपेक्षा आज अधिक लोग एक-दूसरे से हाथ मिलाते हैं। हाथ मिलाना संसार में अभिवादन का जाना-पहचाना तरीका है। जहां कहीं भी लोग मिलते हैं, एक-दूसरे से हाथ मिलाकर अपनेपन का परिचय देते हैं। लेकिन हाथ मिलाने की परंपरा कब शुरू हुई? आदिकाल से ही हाथ को शक्ति का प्रतीक माना जाता था। आदिमानव हाथ का प्रयोग जानवरों को मारने, दुश्मनों से लड़ने और हथियार बनाने में किया करता थे। जब मानव अपनी भाषा नहीं बना पाया था, किसी व्यक्ति की तरफ हाथ बढ़ाने पर उसे सद्भावना और मैत्री का संकेत माना जाता था। प्राचीन धर्मों में भी हाथ को शक्ति का प्रतीक माना गया है।

किसी समय हाथ जोड़कर नमस्ते करने को सम्मानसूचक माना जाता था। भारत और एशिया के कई देशों में यह परंपरा आज भी प्रचलित है। मध्यपूर्व में लोग एक-दूसरे के आगे बढ़े हाथों को चूमकर अभिवादन करते हैं। हाथ मिलाने की पंरपरा प्राचीन यूनान से शुरू हुई मानी जाती है। यूनानी लोग जब अपने देवताओं की पूजा करते थे, तब सम्मान में अपने हाथ ऊपर उठा देते थे। प्राचीन यूनान में जब कोई व्यक्ति किसी अजनबी से दोस्ती करना चाहता था, तब उसकी ओर दायां हाथ बढ़ा देता था। आज संसार के अधिकांश देशों में भिन्न भिन्न संस्कृतियों के होने के बावजूद, कुछ अपवादों को छोड़कर, हाथ मिलाना आपसी अभिवादन का सबसे अधिक प्रचलित तरीका बन गया है।

किसी व्यक्ति से हाथ मिलाकर आप उसके छिपे हुए व्यक्तित्व को जान सकते हैं। दूसरे के हाथ को दृढ़ता और शिष्टता से पकड़ना हाथ मिलाने का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है। इससे मित्रता और अपनत्व की भावना प्रकट होती है। आपसी परिचय, विदाई, बधाई, कृतज्ञता आदि प्रकट करने के साथ ही आपस में हाथ मिलाया जाता है। जब किसी संस्था या समूह से औपचारिक रूप से विदा हो रहे हों, तब उसके प्रत्येक सदस्य से हाथ मिलाना एक प्रथा बन गई।