मानस मनोहर

गर्मी के मौसम में खानपान को लेकर खासतौर पर सावधान रहने की जरूरत होती है। इस मौसम में ऐसा भोजन करना चाहिए, जो आसानी से पच जाए और शरीर के तापमान को संतुलित रखे। उसे पचाने में पाचन तंत्र को अधिक ऊर्जा व्यय न करनी पड़े। अगर भोजन को पचाने में अधिक ऊर्जा खर्च करनी पड़ेगी तो शरीर का तापमान बढ़ेगा और लू लगने का खतरा अधिक रहेगा। इसलिए इस बार कुछ देसी व्यंजन।

लिट्टी घाठी

लिट्टी मुख्य रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में खाया जाने वाला शुद्ध देसी व्यंजन है। इसे उस इलाके की सत्तू वाली कचौड़ी भी कह सकते हैं। दरअसल, कचौड़ी की पहचान एक सामान्य रूप-रंग में रूढ़ हो चुकी है। नहीं तो, कचौड़ी के भी कई रूप हैं। राजस्थान में दाल के अलावा मटर और प्याज की कचौड़ी बनती है, तो उत्तर प्रदेश और बिहार में आलू की कचौड़ी भी बनती है। सत्तू भर कर कचौड़ी की तरह बनने वाली लिट्टी को घाठी भी कहते हैं।

लिट्टी की खास बात यह है कि इसमें चने के सत्तू का मसाला तैयार करके भरा जाता है। चने के सत्तू की विशेषता यह है कि गर्मी में यह शरीर का तापमान संतुलित रखता है। इसे खाने के बाद बार-बार प्यास लगती है, जिससे शरीर में पानी की मात्रा ठीक बनी रहती है। इसलिए पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में गर्मी के मौसम में सत्तू का शर्बत भी खूब पिया जाता है। गर्मी में चने के सत्तू का सेवन स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम माना जाता है। सत्तू की लिट्टी बना कर खाएं, स्वाद भी बेहतर होगा और सेहत भी अच्छी रहेगी। इसमें पौष्टिकता भी भरपूर होती है। इसे बच्चे भी बड़े मन से खाते हैं।

लिट्टी घाठी बनाना कोई मुश्किल काम नहीं है। कचौड़ी बनाने के लिए तो फिर भी थोड़े कौशल की रूरत पड़ती है, घाठी कोई भी बड़ी आसानी से बना सकता है। इसे बनाने में सारी कुशलता इसका मसाला तैयार करने में है। इसके लिए एक कटोरी चने का सत्तू लें। इसमें डालने के लिए एक मध्यम आकार का प्याज खूब बारीक-बारीक काट लें। इसके साथ ही आठ-दस लहसुन की कलियां, थोड़ा-सा अदरक, कुछ हरा धनिया पत्ता और तीन हरी मिर्चें बारीक-बारीक काट लें।

सारी सामग्री को सत्तू में डालें। फिर ऊपर से एक छोटा चम्मच अजवाइन रगड़ कर डालें, जरूरत भर का नमक, दो खाने के चम्मच बराबर सरसों का तेल और एक बड़ा या दो मध्यम आकार के नीबू का रस डालें और सारी सामग्री को दोनों हाथों से रगड़ते हुए मिलाएं। जब तेल और नीबू का रस अच्छी तरह सत्तू में मिल जाएं और मुट्ठी बांधने पर सत्तू बिखरे नहीं, तो समझें कि मसाला तैयार है।

अब, जैसे रोटी के लिए आटा गूंथते हैं, वैसे आटा गूंथें। छोटी-छोटी लोइयां बनाएं। हर लोई को अंगूठों से दबा कर कटोरी जैसा आकार दें और उसमें एक चम्मच सत्तू का मसाला भर कर ठीक से बंद कर दें। हथेलियों से दबा कर चपटा आकार दें। इस तरह सारी घाठी बना लें।

कड़ाही में तलने के लिए तेल गरम करें। घाठी देसी तौर पर सरसों के तेल में तली जाती है, मगर जो लोग सरसों का तेल नहीं खाते उन्हें इसकी महक परेशान कर सकती है। इसलिए वे रिफाइंड का उपयोग कर सकते हैं। तेल गरम हो जाए, तो उसमें दो-दो चार-चार घाठी डाल कर पलट कर सुनहरा रंग आने तक तलें। घाठी तैयार है। इसे तरी वाले आलू और कच्चा आम, लहसुन, हरी मिर्च और पुदीने की चटनी के साथ परोसें। इसके साथ मसाला छाछ लें। इसे नाश्ते के रूप में खाना चाहें या रात के भोजन के रूप में, उत्तम आहार है। इसे एक दिन तक रख कर बासी भी खा सकते हैं।

प्याज सुंदरी मिर्च

गांवों में पुराने लोग कहते हैं कि जब भी घर से बाहर निकलो, तो जेब में एक प्याज रख लो, इससे लू नहीं लगेगी। पता नहीं, यह टोटका कितना काम आता है, मगर प्याज की खासियत यह होती है कि गरमी में इसे खाएं, तो शरीर के तापमान को संतुलित रखने में बहुत मदद करता है। बहुत सारे लोग खाने के साथ कच्चा प्याज सलाद के रूप में खाते हैं, मगर बहुत सारे लोग इसलिए नहीं खाते कि उससे मुंह में बदबू आती है। कई लोग इसे तामसी भोजन मान कर खाने से परहेज करते हैं। जो लोग लहसुन-प्याज बिल्कुल खाते ही नहीं, उन्हें तो इसे खाने की सलाह नहीं दी जा सकती, मगर जो इसे कच्चा खाने से परहेज करते हैं, उनके लिए सलाह है कि प्याज को पका कर खाएं, गर्मी में सेहत के लिए बहुत गुणकारी होता है।

प्याज के साथ सुंदरी मिर्च बनाएं, बहुत स्वादिष्ट सब्जी बनती है। सुंदरी मिर्च मोटी, लंबे आकार की होती है, जिसका उपयोग पकौड़े बनाने में भी किया जाता है। उसमें तीखापन अधिक नहीं होता। उसे बीच से चीर कर उसका सारा बीज बाहर निकाल दें, तीखापन बिल्कुल खत्म हो जाएगा। फिर उन मिर्चों को चार हिस्से में काट लें। इसी तरह चार-पांच प्याज छील कर साफ करें और मोटा-मोटा काट लें। प्याज और मिर्च की मात्रा बराबर-बराबर रख सकते हैं। कड़ाही में एक चम्मच घी गरम करें। उसमें जीरा, साबुत धनिया, अजवाइन और हींग का तड़का दें। अब पहले प्याज को छौंकें। थोड़ा-सा नमक डालें और प्याज को दो मिनट के लिए चलाते हुए पकाएं।

फिर कटी हुई सुंदरी मिर्च डालें और एक बार अच्छी तरह चलाने के बाद ढक्कन लगा दें। आंच मध्यम रखें। पांच मिनट बाद आंच बंद कर दें। सब्जी बन कर तैयार है। इसे गलाना नहीं होता है, बस इतना ही पकाना होता है कि प्याज नरम हो जाए। इसमें किसी प्रकार का मसाला भी नहीं डाला जाता, मिर्च अपने आप मसाले का काम कर देती है। इसे किसी भी समय भोजन में सूखी सब्जी की तरह परोसें। जिस तरह प्याज गर्मी से बचाती है, उसी तरह हरी मिर्च भी लू के प्रकोप से सुरक्षा देती है। मिर्च खाने से भी बार-बार प्यास लगती है और आदमी स्वाभाविक रूप से पानी पीता है, जिससे निर्जलीकरण का खतरा नहीं रहता। इससे कैल्शियम तो मिलता ही है।