मानस मनोहर

हरियाला पीठा दाल
लोग ज्यादातर पीठे में चना या तुअर यानी अरहर की दाल का इस्तेमाल करते हैं, मगर हम इसमें साबुत मूंग या छिलके वाली मूंग दाल का उपयोग करेंगे। मूंग दाल सबसे सुपाच्य होती है। इसकी जगह आप बिना छिलके वाली मसूर या मोठ भी ले सकते हैं।

ये दालें भी बहुत सुपाच्य होती हैं। अगर दालें साबुत ले रहे हैं, तो उन्हें चार से पांच घंटे के लिए धोकर भिगो दें। अगर बिना छिलके की ले रहे हैं, तो एक से डेढ़ घंटा भिगोना काफी होगा।

इसके अलावा एक मुट्ठी या काटने पर दो कटोरी बराबर बने उतनी मात्रा में पालक के पत्ते लें। पालक का जब भी इस्तेमाल करें, उसे ब्लांच जरूर कर लें, इससे उसका हरापन बना रहता है, वरना सीधे पकाने पर उसका रंग कुछ काला पड़ जाता है।

ब्लांच करने के बारे में कई बार बात कर चुके हैं, पर फिर बता दें कि एक भगोने में नमक मिला पानी उबालें, उसमें पालक के पत्तों को डाल कर पांच मिनट के लिए छोड़ दें। फिर पानी को निथार लें और पालक के पत्तों को तुरंत ठंडे बर्फ के टुकड़े मिले पानी में डाल दें।

इसी तरह पांच-सात मिनट के लिए छोड़ दें। फिर दो-तीन बार ठंडे पानी से धो लें। इस तरह पालक की हरियाली बरकरार रहती है। फिर इन पत्तों को मिक्सर में डाल कर पीस लें और अलग रख दें।

अब दो कटोरी आटा गूंथें, जैसे रोटी के लिए गूंथते हैं। इसे ढंक कर रख दें। तब तक दाल को तैयार करें। एक कुकर में पानी समेत भिगोई हुई मूंग दाल को डालें, उसमें जरूरत भर का नमक, चौथाई चम्मच हल्दी, चुटकी भर हींग और चौथाई चम्मच सब्जी मसाला डाल कर दो सीटी आने तक उबाल लें। आंच बंद करें और भाप शांत होने के बाद ढक्कन खोल लें।

अब गूंथे हुए आटे में से छोटे-छोटे टुकड़े लेकर अंगुलियों से फैला कर या बेलन से बेल कर छोटे-छोटे गोलाकार बनाएं और उन्हें चार जगहों से मोड़ कर चकरी फूल की तरह बना कर दबाएं। अगर ऐसा नहीं करना चाहते तो बेली हुई रोटी को चौकोर बड़े टुकड़ों में काट लें।

इन टुकड़ों को उबली हुई दाल में डालें और ढक्कन बंद करके एक सीटी आने तक पका लें। फिर आंच से उतार कर दाल में से आटे के पीठे को अलग बरतन में निकाल लें। दाल को मिक्सर में डाल कर पीस लें।

अब एक कड़ाही में दो खाने के चम्मच बराबर देसी घी गरम करें। उसमें जीरा और अजवाइन का तड़का दें और फिर पिसी हुई दाल और उसके साथ ही पिसा हुआ पालक भी डाल दें। अगर पानी कम लग रहा है, तो थोड़ा पानी डाल सकते हैं। आंच मध्यम रखें। दाल और पालक को चलाते हुए उबाल आने दें। इसी में उबले हुए पीठे भी डालें और पांच से सात मिनट तक पकने दें।

अब हरियाला दाल पीठा तैयार है। इसे परोसने वाले बरतन में निकालें। तड़का पैन में दो-तीन चम्मच मक्खन गरम करें, उसमें चुटकी भर हींग और चौथाई चम्मच कुटी लाल मिर्च या दो साबुत लाल मिर्च से तड़का तैयार करें और दाल पीठा पर डाल दें। गरमागरम परोसें।

लौकी हलवा
जिन लोगों को पाचन संबंधी परेशानी रहती है, उन्हें आमतौर पर और खास तौर पर इस मौसम में, दुग्ध उत्पाद वाली मिठाइयों से परहेज ही करना चाहिए। ऐसे में फलों और सब्जियों से बनी मिठाइयां बेहतर होती हैं। लौकी का हलवा या फिर बर्फी बनाना बहुत आसान है। इसे जब चाहें, घर में बना सकते हैं। इसे बनाने में न तो अधिक सामग्री की जरूरत होती और न ज्यादा कौशल की।

बहुत सारे लोग इसमें खोया या दूध का इस्तेमाल करते हैं। कुछ लोग इसमें मिल्क पाउडर या मिल्कमेड का भी उपयोग करते हैं। मगर आप किसी भी तरह के दुग्ध उत्पाद का उपयोग न करें, तो बेहतर। हां, इसमें कुछ सूखे मेवे डाल सकते हैं। इसे नरम बनाने के लिए नारियल का बुरादा भी डाल सकते हैं। चाहें तो कच्चे नारियल की गीरी को घिस कर इस्तेमाल कर सकते हैं।

लौकी को धोकर उसका छिलका उतारें और मोटे कद्दूकस पर कस लें। इसके लिए बिना बीज वाली कच्ची लौकी ही लें। फिर कड़ाही में दो चम्मच देसी घी गरम करें और उसमें कद्दूकस की हुई लौकी डाल दें। मध्यम आंच पर इसे तब तक चलाते हुए पकाएं, जब तक कि इसका पानी सूख न जाए। फिर इसमें नारियल का बुरादा या घिसा हुआ नारियल डालें।

सूखे मेवे कूट कर डालें और थोड़ी देर और चलाते हुए पकाएं। फिर जितनी मात्रा लौकी की ली है, उसकी चौथाई मात्रा यानी अगर चार कटोरी लौकी ली है, तो एक कटोरी चीनी लें और इसमें डाल दें। चलाते हुए थोड़ी देर तक पकाएं। अब फिर से दो-तीन चम्मच देसी घी डालें और गाढ़ा होने तक पकाएं।

लौकी का हलवा तैयार है। अगर इसी को बर्फी रूप में बनाना चाहते हैं, तो दो-तीन चम्मच और घी डाल कर थोड़ी देर और पकाएं ताकि सारा मिश्रण कड़ा हो जाए। फिर इसे किसी ट्रे या परात में मोटी परत में बिछाएं। ठंडा होने के बाद बर्फी के आकार में काट लें। यह कई दिनों तक खराब नहीं होता।