मानस मनोहर

भारतीय खानपान में सेहत का ध्यान रखते हुए व्यंजन बनाने का तरीका और उन्हें खाने का समय निर्धारित है। कौन सा व्यंजन कैसे पकाना चाहिए, बकायदा इसका शास्त्र है। आयुर्वेद में भोजन से ही अनेक रोगों पर काबू पा लिया जाता है। यों हर वनस्पति किसी न किसी रूप में औषधीय गुण लिए होती है, पर कुछ वनस्पतियां मुख्य रूप से दवाओं के रूप में ही इस्तेमाल की जाती हैं। उनमें से कुछ को नियमित भोजन में भी शामिल किया जा सकता है। ऐसे ही कुछ औषधीय व्यंजन।

ग्वारपाठे का हलवा
रोग-तिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए भी आंवला, तुलसी, एलोवेरा का रस पीने को कहा जाता था। सौंदर्य निखारने के लिए महिलाएं इसका लेप तो लगाती ही हैं। ग्वारपाठा यानी एलोवेरा का स्वाद थोड़ा तिक्त होता है, इसलिए इसका रस हर कोई नहीं पी पाता। खासकर बच्चों के स्वाद के तो यह विपरीत ही होता है। इसलिए क्यों न ग्वारपाठे का हलवा बनाएं, जो सभी को अच्छा लगेगा। बच्चे-बड़े, मेहमान हर किसी को परोसा जा सकेगा। ग्वारपाठे का हलवा बनाना कोई मुश्किल काम नहीं।

इसमें सबसे झंझट का काम अगर कुछ लगता है, तो वह है उसका गूदा निकालना। एलोवेरा एक ऐसी वनस्पति है, जिसे घर में कहीं भी एक-दो गमलों में लगा दीजिए, दो-तीन महीने में गझिन होकर फैल उठता है। इसकी देखभाल भी बहुत नहीं करनी पड़ती। घर की सुंदरता बढ़ाने के अलावा यह आपकी सेहत को भी दुरुस्त रखेगा। हर महीने चार-छह पत्ते काटिए और उपयोग कीजिए। अगर घर में ग्वारपाठा उपलब्ध नहीं है, तो इसके पत्ते बाजार में आसानी से मिल जाते हैं।

सबसे पहले ग्वारपाठे के पत्तों को धो लें। फिर उन्हें छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। दोनों तरफ के कांटे वाले हिस्से को चाकू से काट कर निकाल दें। फिर बीच से चीरा लगा कर दो हिस्सों में बांटें और चम्मच की मदद से इसका गूदा बाहर निकाल लें। हरे वाले हिस्से को चाहें तो पीस कर रस बना लें या फिर लेप बना कर उबटन की तरह लगा लें।

इसके गूदे को मिक्सर में डाल कर पीस कर अलग रख लें। नाप लें कि गूदे की मात्रा कितनी है। इसी अनुपात में दूसरी सामग्री लेंगे। दो कप या कटोरी एलोवेरा का गूदा लिया है, तो इतनी ही मात्रा में सूजी लें और इससे थोड़ी कम चीनी। इसमें डालने के लिए एक कटोरी मेवे भी ले लें। बादाम, अखरोट, किशमिश, काजू, पिस्ता, जो भी मेवे आपके पास हों सबको मिला कर एक कटोरी के बराबर ले लें। अगर नारियल का बुरादा है, तो वह भी आधा कटोरी ले सकते हैं।

अब एक कड़ाही में दो चम्मच घी गरम करें। उसमें सबसे पहले मेवों को दो मिनट के लिए सेंक कर बाहर निकाल लें। फिर बचे हुए घी में सूजी डालें और मध्यम आंच पर चलाते हुए बादामी रंग का होने तक सेंकें। अगर और घी की जरूरत हो, तो डाल सकते हैं। अब इसमें एलोवेरा का गूदा डालें और चलाते हुए अच्छी तरह मिलाएं। जब एलोवेरा अच्छी तरह सूजी में मिल कर सूख जाए तो दो चम्मच घी और डालें और दो मिनट के लिए और पका लें। फिर चीनी डालें और चलाते हुए मिला लें।

चीनी पिघल जाए, तो उसमें दो से तीन कटोरी तक पानी डालें और अच्छी तरह चलाते हुए पकाएं। जब हलवा गाढ़ा होने लगे, तो उसमें तले हुए मेवे कूट कर डालें और मिलाएं। अब दो चम्मच घी और डालें। अच्छी तरह मिला लें। हलवा तैयार है। इसके ऊपर कुतरे हुए बादाम डाल सकते हैं।
इसे हफ्ते में कम से कम एक बार तो बना कर अवश्य खाएं और पेट संबंधी परेशनियों को दूर भगाएं, प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं और सौंदर्य निखारें।

मेथी दाने की सब्जी
मेथी के औषधीय गुणों से तो आप सभी परिचित हैं। मेथी दाने की सब्जी बनाने के कई तरीके हैं। पर सबमें सबसे पहले मेथी को धोकर साफ पानी में रात भर के लिए भिगोना जरूरी होता है। फिर सुबह छान और कपड़े में बांध कर इसे अंकुरित कर लें तो और अच्छा नतीजा आएगा। इस तरह मेथी की कड़वाहट भी काफी कम हो जाती है। जब भी मेथी दाने की सब्जी बनानी हो, तो उसे अंकुरित करने का प्रयास करें। अगर अंकुरित नहीं कर पाते, तो भी कोई बात नहीं। एक कटोरी मेथी दाने अंकुरित करके सब्जी बना लें और फिर दो-तीन दिन तक खाएं।

सब्जी बनाने के लिए एक कड़ाही में दो चम्मच घी गरम करें। उसमें जीरा, अजवाइन, सौंफ, दो साबुत लाल मिर्च और चुटकी भर हींग का तड़का लगाएं और मेथी दाने को छौंक दें। आंच मध्यम रखें। अब इसमें चौथाई चम्मच नमक, चौथाई चम्मच कुटी लाल मिर्च और चौथाई चम्मच हल्दी पाउडर डालें और मिला लें। चौथाई कटोरी पानी डालें और कड़ाही पर ढक्कन लगा कर इसे पकने दें।

तब तक आधा कटोरी की मात्रा में गुड़ को छोटे टुकड़ों में काट कर ले लें या खांड़ लेना चाहें, तो वह भी ले सकते हैं। जब मेथी पक कर कुछ नरम हो जाए, तो उसमें गुड़ या खांड़ डालें और अच्छी तरह मिला कर ढक्कन लगा दें। करीब पांच मिनट और पकने दें। फिर ढक्कन खोल कर चौथाई चम्मच अमचूर पाउडर डालें, अच्छी तरह मिलाएं और आंच बंद कर दें। कड़ाही पर ढक्कन लगा कर छोड़ दें।

मेथी दाने की खट्टी-मीठी-तीखी सब्जी तैयार है। इसे रोटी, परांठे, पूड़ी या फिर चावल-दाल के साथ चटनी या सब्जी के तौर पर खा सकते हैं। महीने में दो-तीन बार बना कर खाएं जरूर, सेहत अच्छी रहेगी।