आयुर्वेद कहता है कि होली और नवरात्रि के बीच का समय पाचनतंत्र के लिए बहुत संवेदनशील होता है। उस दौरान चयाचय की प्रक्रिया मंद रहती है। मगर अब जलवायु परिवर्तन ने वह अवधि घटा दी है। होली से पहले ही मौसम बदलने लगा है। ऐसे में पाचनतंत्र की सेहत का ध्यान रखते हुए भोजन करना आवश्यक है। इस बार कुछ ऐसे ही व्यंजन।

दाल का दूल्हा

यह पूर्वी भारत का बहुत लोकप्रिय व्यंजन रहा है। हालांकि अब शहरी खानपान का चलन इस कदर बढ़ा है कि सब जगह बहुत सारे पारंपरिक व्यंजन लुप्तप्राय हो गए हैं। दाल का दूल्हा भी अब नई पीढ़ी को कम ही पता होगा। दरअसल, यह एक प्रकार से खिचड़ी का विकल्प है। खिचड़ी में दाल के साथ चावल का उपयोग होता है। दाल का दूल्हा में आटे का उपयोग होता है। अंतर सिर्फ इतना है। पकाने की प्रक्रिया, थोड़े-से अंतर के साथ, लगभग एक जैसी है। अच्छी बात है कि अब कहीं-कहीं इस व्यंजन को शादी-विवाह जैसे आयोजनों में परोसा जाने लगा है।

पाचन की दृष्टि से दाल का दूल्हा अत्यंत उपयुक्त व्यंजन है। इसकी खासियत यह है कि इसमें पोषण भरपूर मिलता है और स्वाद भी लाजवाब होता है। बच्चे भी इसे देख कर नाक-भौं नहीं सिकोड़ते और नया व्यंजन मान कर चाव से खाते हैं। इसमें न तो अधिक मसालों की जरूरत पड़ती है और न किसी प्रकार से तलने-भूनने की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। बस, जैसे खिचड़ी बनाते हैं, वैसे ही इसे फटाफट बना सकते हैं। जब भोजन बनाने का अधिक समय न हो और जल्दी में कुछ बनाना हो, तो यह एक प्रकार का तुरंता व्यंजन भी है। रात को हल्का भोजन करना होता है, उसके लिए यह बहुत उपयुक्त है। इस बदलते मौसम में तो सेहत के लिए मुफीद है ही।

दाल का दूल्हा बनाने के लिए बहुत तैयारी की जरूरत नहीं करनी पड़ती। इसके लिए अरहर यानी तुअर की दाल लें। जैसे दाल पकाते हैं, उसी तरह नमक, हल्दी, हींग और आधा चम्मच गरम मसाला डाल कर दो सीटी आने तक पका लें। चाहें, तो आधा चम्मच कुटी लाल मिर्च भी डाल सकते हैं। फिर आटे को बेल कर छोटी-छोटी रोटियां बना लें। रोटियों को दो तरफ से पकड़ कर बीच में मिलाएं और फूल का आकार देते हुए बीच में दबा कर अच्छी तरह चिपका दें। इस तरह जितनी रोटियां बनानी हों, बना लें। फिर एक बड़े भगोने में भरपूर पानी उबालें, उसमें एक छोटा चम्मच नमक डालें और रोटियों के बने फूल पानी में डाल दें।

मध्यम आंच पर तब तक पकाएं, जब तक रोटियों के फूल यानी दाल का दूल्हा पक कर पानी पर तैरने न लगे। अब आंच बंद कर दें। इन दाल के दूल्हों को छान कर दाल में डाल दें। अगर पानी की जरूरत है, तो जिस पानी में दाल का दूल्हा उबाला था, उसमें से पानी लेकर और डाल दें। दाल को पांच मिनट तक और उबालें। दाल का दूल्हा तैयार है। अगर जल्दी है तो कुकर में ही दाल के साथ दाल का दूल्हा डाल दें और दो सीटी आने तक पका लें।

इसे अलग बर्तन में निकालें और चार चम्मच घी गरम कर उसमें जीरा, हींग और साबुत लाल मिर्च का तड़का तैयार करें और दाल के दूल्हा पर डाल दें। चाहें तो थोड़ा-सा बारीक कटा हरा धनिया और अदरक भी डाल सकते हैं। गरमागरम परोसें।

रसम-पापड़

यह दक्षिण भारत का बहुत लोकप्रिय व्यंजन है। यह अपने आप में खाद्य पदार्थ तो है ही, औषधि भी है। आजकल जिस तरह मौसम बदल रहा है, बहुत सारे लोगों को खासी-जुकाम और गले की खरास वगैरह की परेशानी रहने लगी है। ऐसे में रसम एक औषधि का काम करता है। इसे गरमागरम पीएं, तो खांसी-जुकाम में बहुत राहत मिलती है। वैसे भी रात को हल्का भोजन करना होता है, उसमें केवल रसम-पापड़ खा लें, तो संपूर्ण भोजन का काम करता है। इसका स्वाद तो लाजवाब होता ही है।

दक्षिण भारत में इसे पकाने के अलग-अलग तरीके हैं। मगर रसम मुख्य रूप से केवल टमाटर और दालों से बने मसाले का उपयोग करके बनाया जाता है। इसे बनाने का सारा कौशल इसका मसाला बनाने में है। इसलिए सबसे पहले इसका मसाला तैयार कर लें। चाहें तो यह मसाला बना कर डिब्बे में भर कर रख सकते हैं और जब भी रसम बनाना हो, तो झटपट बना सकते हैं। इसका मसाला बनाने के लिए दो-दो चम्मच की मात्रा में तुअर, चना और मूंग या उड़द की दाल लें। इन सबको अलग-अलग रखें। इसके अलावा दो छोटा चम्मच साबुत धनिया, एक चम्मच जीरा, आठ-दस साबुत काली मिर्च, तीन से चार साबुत लाल मिर्च लें।

अब तवा या नान स्टिक पैन गरम करें। आंच मध्यम रखें और उस पर एक-एक कर सारी चीजों को चलाते हुए सेंक लें। जब दालों से सोंधी गंध आने लगे, तो उन्हें तवे से उतार लें। इसी तरह मसालों को भी हल्का सेंक लें। अगर यह मसाला बना कर रखना चाहते हैं तो अपनी मर्जी से इन चीजों की मात्रा बढ़ा सकते हैं। अब इन भुनी हुई सारी चीजों को एक साथ ग्राइंडर में डालें और जैसे मसाला पीसते हैं, उसी तरह पीस लें। रसम की मुख्य सामग्री तैयार हो गई।

इसके अलावा रसम में डालने के लिए दो-तीन इंच बराबर अदरक, सात-आठ लहसुन की कलियां और दस-बारह कढ़ी पत्ता साफ कर एक साथ कूट या पीस लें। इसे अलग रखें। रसम के लिए दो मध्यम आकार के टमाटर बारीक काटें। इसके साथ धनिए के कुछ डंठल समेत पत्ते लें और बारीक काट लें। अब कुकर में पांच से छह गिलास पानी डालें और उसमें कटे हुए टमाटर और धनिया पत्ता डाल कर दो सीटी आने तक पका लें। इस तरह टमाटर अच्छी तरह नरम हो जाएंगे। भाप निकलने के बाद ढक्कन खोलें और उसमें पूरा पिसा हुआ मसाला डाल दें।

अगर पहले से पिसा हुआ मसाला रखा है, तो उसमें से पांच से छह चम्मच डालें। एक चम्मच इमली का गूदा भी डालें अर कुकर का ढक्कन लगाए बिना इसे चलाते हुए दस मिनट तक पकने दें। फिर जरूरत भर का नमक और कुटा हुआ लहसुन-अदरक डाल दें। पांच मिनट और पकने दें। रसम तैयार है। खाने के तीन चम्मच बराबर सरसों का तेल गरम करें और उसमें एक से डेढ़ छोटा चम्मच राई, चार से पांच साबुत लाल मिर्चें और दस-बारह कढ़ी पत्ते का तड़का तैयार करें और रसम में डाल दें। तवे पर सिंके या तले हुए पापड़ के साथ गरमागरम रसम का आनंद लें।