घड़ी की टिक-टिक या फिर किसी के छींकने और खांसने की आवाज कर रही है परेशान तो हो जाएं सावधान, क्योंकि आप मिसोफोनिया के शिकार हैं। यह एक तरह की मानसिक बीमारी या विकार है, जिसमें दिगाग कुछ खास तरह की आवाजों को तुरंत पकड़ लेता है और वहीं अटक कर रहा जाता है यानी उसका फोकस वहीं बन जाता है। इससे कानों में गूंज पैदा होती है।

यही नहीं, इसमें खाना खाने, किसी के कुछ निगलने, चाटने यहां तक कि सांस लेने की आवाज से भी चिढ़ होने लगती है। देखने में यह बीमारी सामान्य लग सकती है, लेकिन नजरअंदाज करने पर यह गंभीर रूप ले सकती है। वैसे शोध में पता चला है कि मेसोफोनिया का कोई वैज्ञानिक कारण नहीं होता। शोधकर्ताओं ने पाया कि मिसोफोनिया से पीड़ित लोगों में दिमाग का आंतरिक हिस्सा बहुत सक्रिय हो जाता है। वही परेशानी का सबब बनता है।

लक्षण

यह ऐसी बीमारी होती है, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। बस, उनके कानों में दिक्कत महसूस होती है तो वे उंगली डाल कर हिला देते हैं, ताकि वह सामान्य स्थिति में आ जाए। अमूमन ऐसा हो भी जाता है। हालांकि यह समस्या गंभीर होती है, इसलिए इसे कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यह समस्या जब अधिक बढ़ती है तो व्यक्ति को चबाने, छींकने, निगलने, सांस लेने, खर्राटे लेने, खांसने, सीटी बजने, चाटने जैसी आवाजें परेशान कर देती हैं। मिसोफोनिया के मरीजों को अचानक पसीना आने की शिकायत होने लगती है। साथ ही उनके दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं।

कारण

मानसिक बीमारी के कोई स्पष्ट कारण तो नहीं होते हैं, लेकिन कुछ ऐसी घटनाएं, शारीरिक-सामाजिक बदलाव होते हैं, जिनसे मानसिक विकार उभरते हैं। जैसे परिवार में पहले किसी को मानसिक समस्या होना, तनाव और बचपन में हुए दुर्व्यवहार का दिमाग पर असर पड़ना, मस्तिष्क में चोट लगना। गर्भावस्था के दौरान विषाणु के संपर्क में आना, शराब और नशीली दवाओं का उपयोग करना आदि।

चिंता

मिसोफोनिया का सीधा संबंध चिंता, क्रोध, तनाव जैसी सामान्य समस्याओं से माना जाता है। परेशान करने वाली आवाजें भावनात्मक रूप से या कुछ मामलों में शारीरिक प्रतिक्रिया को प्रभावित कर सकती हैं। इस बीमारी का कोई निश्चित कारण अभी तक नहीं मिला है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने पुष्टि की है कि यह किसी श्रवण विकार यानी आपके कानों की समस्या अथवा मानसिक विकार का मामला नहीं है। इसे आंशिक रूप से ही मानसिक और शारीरिक बीमारी माना जा सकता है, जिसे मस्तिष्क आधारित विकार भी कह सकते हैं।

उपचार

ऐसा नहीं है कि यह बीमारी लाइलाज है। थोड़ी सी सावधानी से इसका इलाज हो सकता है। मिसोफोनिया अमूमन मनोवैज्ञानिक विकार और गलत जीवनशैली के कारण होती है। इसलिए सबसे पहले विशेषज्ञ जीवनशैली को बदलने की सलाह देते हैं। अलग-अलग तरह की थैरेपी और काउंसिलिंग भी इसमें फायदेमंद साबित होती है।

ऐसी ही एक विधि में मिसोफोनिया से ग्रस्त व्यक्ति को छह से बारह सप्ताह तक अलग-अलग आवाजों के संपर्क में रखकर जांच की जाती है, ताकि यह पता लगाया जा सके की उसे सबसे ज्यादा दिक्कत किस आवाज से होती है। फिर उसी के अनुसार उसका इलाज शुरू किया जाता है। मिसोफोनिया पीड़ित व्यक्ति को शोर-शराबे से बचना चाहिए। मेहनत करते रहना चाहिए, देर रात तक न जागें और सुबह जल्दी सोकर उठें तथा पर्याप्त नींद लें। तनाव से बचें और व्यायाम करें।

(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)