राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा का दावा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में राजग का पलड़ा भारी रहेगा। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को हमसे थोड़ी बहुत नाराजगी है, वे भी मानते हैं कि राजग का कोई विकल्प नहीं। बिहार के लोगों को भरोसा है कि सूबे में विकास का काम राजग करेगा, राजद नहीं। उन्होंने कहा कि भाजपा से लेकर राजग के सभी घटक दलों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व पर पूरा भरोसा है। बिहार में चुनाव के समय 80-20 जैसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की आशंका को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि राजग के दलों की अपनी विचारधारा है। टकराव की राजनीति नहीं होनी चाहिए। नई दिल्ली में उपेंद्र कुशवाहा के साथ कार्यकारी संपादक मुकेश भारद्वाज की विस्तृत बातचीत के चुनिंदा अंश।

हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली विधानसभाओं के चुनावों ने भाजपा व राजग को बढ़त दी। अब पूरे देश की नजरें बिहार पर हैं। बिहार के आगामी विधानसभा चुनाव को आप कैसे देखते हैं?
उपेंद्र कुशवाहा: अभी की स्थिति के हिसाब से बिहार में राजग का पलड़ा भारी है। प्रधानमंत्री ने विशेष ध्यान दिया है बिहार पर। प्रधानमंत्री ने 2047 तक विकसित देश बनाने का संकल्प लिया है तो उसमें बिहार को भी शामिल करना पड़ेगा। उस दृष्टि से जो फैसले हुए हैं, जिसे लेकर आम बजट में आरोप लगे कि यह बिहार का बजट है, आंध्र का बजट है तो इसे झेलते हुए भी प्रधानमंत्री और राज्य की सरकार ने विकास पर ध्यान केंद्रित किया है। लोगों को लगता है कि यही सरकार आएगी तो विकास का काम तेजी से होगा।

कुछ लोग आशंका जता रहे कि बिहार में कोई खेल तो नहीं हो जाएगा जैसा महाराष्ट्र में हुआ। कनिष्ठ सहयोगी को आगे कर चुनाव लड़ा गया और बाद में वरिष्ठ ने सत्ता संभाली।
उपेंद्र कुशवाहा: किसी दो राज्य की इस तरह से तुलना नहीं की जा सकती है। बिहार में भाजपा सहित राजग के सभी घटक दलों ने कहा है कि नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में ही बिहार में चुनाव होगा और नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही बिहार में अगली सरकार बनेगी। इसमें कोई किंतु-परंतु नहीं है। इस पर कोई शंका बेबुनियाद है।

नीतीश कुमार के नेतृत्व को लेकर भाजपा के खेमे में थोड़ी झिझक दिखती है। बिहार गए केंद्रीय नेताओं ने उनके नेतृत्व को लेकर अभी तक स्पष्टता नहीं दिखाई।
उपेंद्र कुशवाहा: ऐसी कोई झिझक नहीं है। कुछ स्थानीय नेताओं के बयान से ऐसा लगा होगा। लेकिन प्रधानमंत्री जी नीतीश कुमार जी को लेकर एकदम स्पष्ट हैं। कई बार इस तरह के बयान आ चुके हैं कि नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाएगा।

नीतीश कुमार के साथ आपका रिश्ता भी धूप-छांव सा रहा है। नीतीश कुमार कहते हैं कि अब मेरा यह पक्ष, राजग से रिश्ता पक्का है। तो आपका भी नीतीश कुमार के साथ रिश्ता पक्का है?
उपेंद्र कुशवाहा: आदमी की उम्र का एक पड़ाव आता है लेकिन नीतीश जी की अभी वह स्थिति नहीं आई है कि वे समर्पण कर घर बैठ जाएं। अभी तो इतना काम कर रहे हैं। बिहार भर की यात्रा की है। हर जिले में गए हैं। खूब मेहनत कर रहे हैं इसलिए अभी यह मुद्दा नहीं है। हां, अगर नीतीश जी खुद सोचेंगे तो यह अलग विषय है। वरना वे सक्रिय अगुआई कर रहे हैं और वे ही करेंगे।

नीतीश कुमार की सेहत पर सवाल उठ रहे हैं। विपक्षी पार्टी राजद आगामी चुनाव को बुजुर्ग बनाम युवा का भी मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है।
उपेंद्र कुशवाहा: यह कोई पीढ़ीगत अंतराल का मामला नहीं है। लोगों को एक ही चीज चाहिए, बिहार का विकास। राजग की सरकार ने विकास का काम करके दिखाया है। अभी दो-तीन महीने पहले मैं भी बिहार में यात्रा पर था। कई जगहों पर लोगों को प्रशासन से कुछ शिकायतें हैं। जब उनसे पूछा जाता है कि बताइए करना क्या है तो वे कहते हैं, हमें भरोसा तो राजग के ऊपर ही है। नहीं हुआ इसकी शिकायत है, लेकिन राजग से ही होगा इसका भरोसा है। राजद के लोग विकास का काम नहीं करेंगे। राजद के लोग सत्ता में आने की व्याकुलता में कुछ-कुछ बोलते रहते हैं और नीतीश कुमार पर ऐसे आरोप लगाते हैं।

मेरा अगला सवाल कानून-प्रशासन पर ही था। बिहार में इसे लेकर सवाल उठते रहते हैं। हाल ही की घटना में अपराधियों को बचाने के लिए अररिया के सहायक उप-निरीक्षक को पीट-पीट कर मार डाला गया। कानून व्यवस्था पर आपका क्या कहना है?
उपेंद्र कुशवाहा: कानून व प्रशासन की समस्या हर जगह रहती है। ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ बिहार में है। आम तौर पर यहां तुलना होती है 2005 से जब बिहार में राजग की सरकार बनी। 2005 के पहले कानून प्रशासन बड़ा मुद्दा था। जनता ने उस कुशासन को समाप्त किया। जनता अपराध के आतंक से मुक्ति चाहती थी जो मिल गई। तब और आज में यह फर्क है कि उस समय अपहरण की घटना होती थी तो एक-अणे मार्ग, मुख्यमंत्री आवास पर बैठ कर तय होता था कि कितनी फिरौती की रकम दी जाए। यह सब लोगों को मालूम है। आज वैसी स्थिति नहीं है। आज कोई अपराध होता है तो उसके बाद प्रशासन, पुलिस जिसकी भी वहां जवाबदेही बनती है उसके निर्वहन पर नजर रखी जाती है। किसी घटना के बाद तत्परता के साथ कार्रवाई होती है। कोई भी घटना होती है तो उसका उद्भेदन होता है। पता चलता है, कौन करनेवाला है। पहले कार्रवाई ही नहीं होती थी।

रोजगार के मुद्दे पर बिहार के युवा असहज दिख रहे हैं। बिहार लोक सेवा चयन आयोग से जुड़े आंदोलन ने बेरोजगारी को लेकर युवाओं के असंतोष की बड़ी तस्वीर सामने रखी।
उपेंद्र कुशवाहा: नई तकनीक आने के बाद बेरोजगारी पूरे देश की समस्या है। यह सिर्फ बिहार की समस्या नहीं है। जिस दफ्तर में पहले 15 लोग काम करते थे, अब उनकी जगह एक कंप्यूटर ने ले ली है। बीपीएससी की जो बात है वो एक घटना है। उसमें सरकार की बहुत भूमिका नहीं है। बीपीएससी स्वायत्त संस्था है। चुनाव में यह बड़ा मुद्दा नहीं बनने वाला है।

तेजस्वी यादव भरपूर आत्मविश्वास दिखा रहे हैं कि राजग सरकार को गिरा देंगे। उनके इस आत्मविश्वास के पीछे क्या वजह है?
उपेंद्र कुशवाहा: वे सिर्फ आत्मविश्वास दिखाने की कोशिश करते हैं ताकि उनके राजनीतिक कार्यकर्ताओं का पहले ही मोहभंग न हो जाए।

देश में वंशवाद को लेकर बहस चलती रहती है और प्रधानमंत्री का भी इस पर कड़ा हमला होता है। बिहार के संदर्भ में वंशवाद की राजनीति को कैसे देखते हैं?
उपेंद्र कुशवाहा: बिहार के संदर्भ में हो या पूरे देश के, मेरी निजी राय है कि किसी भी घर का कोई सदस्य अगर काबिल है तो उसे उसके अधिकार से इसलिए क्यों वंचित रखा जाए कि वह फलां का बेटा-बेटी या कोई और है? अगर योग्य नहीं है तो सिर्फ किसी की संतान होने की वजह से प्रवेश मिल जाना गलत है। कोई योग्य है तो फिर उसके लिए आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

राहुल गांधी योग्य नहीं हैं?
उपेंद्र कुशवाहा: अब यह तो खास व्यक्ति की बात हो गई। यह पूरा देश देख रहा है कि राहुल गांधी को अभी और परिपक्व होने की जरूरत है। राष्ट्रीय स्तर की राजनीति करने के लिए जो परिपक्वता होनी चाहिए उतनी उनमें नहीं है।

वंशवाद से समस्या तो भाजपा को भी कोई नहीं दिखती। उसके पास वंशवादी नेताओं की लंबी सूची है।
उपेंद्र कुशवाहा: आंख बंद करके वंशवाद को नहीं मानना चाहिए। कोई योग्य है तो अपनी पसंद की चीजों को चुनना उसका संवैधानिक अधिकार है, उसे कैसे वंचित कर दीजिएगा।

निशांत कुमार राजनीति में आ जाएंगे तो कोई समस्या वाली बात नहीं है?
उपेंद्र कुशवाहा: कोई भी आए, यह सिर्फ इस बात पर निर्भर करेगा कि उसकी योग्यता क्या है। इस चीज का सामान्यीकरण नहीं किया जा सकता है।

भाजपा गठबंधन की राजनीति में अग्रणी हो चुकी है। पूरे देश में उसका विभिन्न राजनीतिक दलों से गठबंधन है। यह देखा गया है कि भाजपा किसी क्षेत्रीय पार्टी के साथ गठबंधन करती है तो उसके बाद उसका वोट फीसद बढ़ जाता है और उसके साथ गठबंधन करने वाली पार्टी के राजनीतिक अस्तित्व को बचाने की नौबत आ जाती है। क्या आपको अपनी पार्टी के राजनीतिक अस्तित्व को लेकर कभी डर लगता है?
उपेंद्र कुशवाहा: मैं बिहार की बात करूंगा। बिहार का राजनीतिक मिजाज एकदम अलग है। यहां एक आदमी अकादमिक रूप से अशिक्षित हो सकता है, यह भी संभव है कि उसके घर में खाने का इंतजाम न हो। लेकिन उससे कोई राजनीतिक सवाल पूछा जाए तो दूसरे राज्यों के नागरिकों से ज्यादा संवेदनशीलता दिखेगी उसमें। यहां के समाज में जो बहुलता, विविधता है उसे कोई भी खत्म नहीं कर सकता है। यहां संभव नहीं है कि किसी एक पार्टी के अंदर सब समा जाएं।

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बयान दिया था कि जल्द ही देश के क्षेत्रीय दल खत्म हो जाएंगे।
उपेंद्र कुशवाहा: नड्डा जी ने ऐसा कहा था। उनके कहे का संदर्भ क्या था, यह जाने बिना इस पर बात नहीं हो सकती।

बिहार के आगामी चुनाव में प्रशांत किशोर को कहां देखते हैं?
उपेंद्र कुशवाहा: अभी वे ऐसी स्थिति में नहीं हैं कि उनका राजनीतिक आकलन किया जा सके।

आपको लगता है कि भाजपा अपने सहयोगियों के साथ आराम से सीटों का बंटवारा कर लेगी?
उपेंद्र कुशवाहा: जी, यह हो जाएगा। इसमें कोई कठिनाई नहीं है।

आपकी क्या अपेक्षा है?
उपेंद्र कुशवाहा: अपनी अपेक्षा की चर्चा तो वहां करूंगा जहां करनी चाहिए। उसकी चर्चा बाहर करने से क्या फायदा?

आपको नहीं लगता कि राजग के खेमे में चुनाव जीतने के लिए प्रधानमंत्री पर अत्यधिक निर्भरता है? इसी कारण बीते लोकसभा चुनाव में खराब अनुभव हुआ।
उपेंद्र कुशवाहा: लोकसभा का मुद्दा अलग था। बिहार में मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक का चेहरा है। प्रधानमंत्री का चेहरा तो है ही। उसके आधार पर लोग वोट करते हैं तो दिक्कत क्या है?

जाति जनगणना पर आपका क्या रुख है?
उपेंद्र कुशवाहा: जाति जनगणना तो होनी चाहिए।

भाजपा अभी इसके पक्ष में नहीं दिखती है।
उपेंद्र कुशवाहा: भाजपा का जो केंद्रीय रुख है उसकी बात नहीं करूंगा। बिहार में जो जाति जनगणना हुई उसका भाजपा के लोगों ने विरोध किया क्या? विधानसभा से जो प्रस्ताव पास हुआ उसमें भाजपा सहित तमाम दल के लोग थे। प्रधानमंत्री से जाति जनगणना के लिए आग्रह करने के लिए बिहार का जो प्रतिनिधिमंडल आया था उसमें भाजपा भी शामिल थी। बिहार में भाजपा के लोग जाति जनगणना के पक्ष में हैं। हमारी पार्टी भी चाहती है कि पूरे देश के स्तर पर जाति जनगणना हो।

बिहार में सबसे बड़ा मुद्दा जाति जनगणना था जिसे नीतीश कुमार की सरकार ने करवाया। बिहार में भाजपा के अलावा राजग के सभी घटक दल जाति जनगणना करवाना चाहते हैं। कांग्रेस पूरे देश में जाति जनगणना के पक्ष में है लेकिन दल उसके साथ नहीं जा रहे। जाति जनगणना पर चुप्पी के बाद भी भाजपा का साथ इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि उसके पक्ष में जाने से जीतने की उम्मीद बढ़ जाती है?
उपेंद्र कुशवाहा: कांग्रेस पर लोगों का भरोसा नहीं है। आजादी के बाद अभी के डेढ़ दशक छोड़ दें तो कांग्रेस ही रही है। उसके कार्यकाल में क्या हुआ जाति जनगणना पर? लोग समझते हैं कि कांग्रेस अभी सिर्फ वोट के लिए इस तरह की बात कर रही है। कांग्रेस की रुचि जाति जनगणना में नहीं है। लोगों के भरोसे के बिना राजनीतिक गोलबंदी कैसे होगी? प्रधानमंत्री के ऊपर भरोसा है तो इधर गोलबंदी ज्यादा है।

भाजपा आगे मान जाएगी जाति जनगणना को लेकर?
उपेंद्र कुशवाहा: अभी नहीं मानी है ऐसा भी नहीं है। उम्मीद है।

पिछले एक दशक में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण चुनाव की रणनीति बन गई है। राजग के घटक दलों को ‘80-20’ की लड़ाई का पैरोकार मान लिया जाता है। आपका क्या रुख है इस पर।
उपेंद्र कुशवाहा: ऐसी कोई लड़ाई बिल्कुल नहीं होनी चाहिए। किसी आधार पर टकराव नहीं होना चाहिए। यहां 80-20 की कोई लड़ाई नहीं। राजग के दलों की अपनी विचारधारा है जिससे वे समझौता नहीं करते हैं।

विधानसभा चुनाव में आप अपनी पार्टी का कैसा भविष्य देख रहे? लोकसभा में आपकी पार्टी के लिए खराब अनुभव था।
उपेंद्र कुशवाहा: लोकसभा का मुद्दा अलग था। विधानसभा में हम अच्छी स्थिति में रहेंगे।

विधानसभा चुनाव के पहले बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलने की उम्मीद है?
उपेंद्र कुशवाहा: मिलेगा, नहीं मिलेगा यह अभी नहीं कह सकता हूं। लेकिन जो प्रधानमंत्री का बिहार को लेकर लक्ष्य है, वे बिहार को विकास की राह पर आगे ले जाएंगे।