लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता व केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान का दावा है कि बिहार ने विकास के लिए फिर से डबल इंजन सरकार के साथ चलने का मन बना लिया है। उनका आरोप है कि लंबे समय तक केंद्र व राज्य में विरोधाभासी सरकारों के रहने के कारण बिहार विकास में पिछड़ गया। बिहार की जनता डबल इंजन के फायदे समझ चुकी है। पासवान दावा करते हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव में राजग से जुड़े पांच दलों के गठबंधन में जीतने की क्षमता है जो 225 से ज्यादा सीटें हासिल कर लेगा। उन्होंने कहा कि चुनावों तक विपक्ष एकजुट रह ले तो इतना ही महागठबंधन की राजनीतिक उपलब्धि होगी। नई दिल्ली में चिराग पासवान के साथ कार्यकारी संपादक मुकेश भारद्वाज की विस्तृत बातचीत के चुनिंदा अंश।
देश का अहम राज्य बिहार चुनाव की दहलीज पर खड़ा है। बिहार के युवा और प्रासंगिक नेता से पहला सवाल यही कि वहां क्या होगा? आपका आकलन क्या है?
चिराग पासवान: बिहार बदलाव की दहलीज पर खड़ा है। देश की जनता समझ चुकी है कि भारत के संघीय ढांचे के संदर्भ में डबल इंजन की सरकार होनी कितनी जरूरी है। उत्तर प्रदेश राज्य ने महाकुंभ जैसा भव्य आयोजन जितनी सरलता से किया, वहां 65 करोड़ लोगों ने डुबकी लगाई, यह सब डबल इंजन की सरकार की वजह से हुआ। दिल्ली की जनता ने डबल इंजन सरकार की जरूरत को समझते हुए 27 साल बाद भाजपा को सत्ता दी। मेरे प्रदेश का दुर्भाग्य रहा कि यहां लंबे समय तक विरोधाभासी सरकारें रहीं। विरोधाभासी सरकारें एक-दूसरे के लिए गतिरोध पैदा करती हैं। मेरा मानना है कि बिहार की जनता ने फिर से डबल इंजन की सरकार के साथ चलने का मन बना लिया है। बिहार में राजग के पांच दलों के गठजोड़ का नेतृत्व नीतीश कुमार कर रहे हैं। नीतीश कुमार के नेतृत्व पर जनता को विश्वास है। मुझे उम्मीद है, बिहार में हम 225 से ज्यादा सीटें जीतेंगे और अपनी सरकार बनाएंगे।
बिहार में किसी तरह के ‘खेला’ होने की कोई आशंका तो नहीं?
चिराग पासवान: वहां ऐसी कोई आशंका नहीं है। कई लोगों ने कई तरह के प्रयास करके देख लिए। बीते लोकसभा के चुनाव ने सबको अहसास दिला दिया कि आप झूठ बोल कर थोड़े समय के लिए लोगों को भ्रम में डाल सकते हैं। पर यह काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ेगी। बिहार के लोगों का नजरिया बहुत साफ है कि इस बार विपक्ष के बहकावे में नहीं आना है। ये लोग अपनी महत्त्वाकांक्षाओं के लिए एक साथ आते हैं, फिर अलग हो जाते हैं। ‘इंडी अलायंस’ बनाए थे तो क्या हुआ? अलग-अलग राज्यों में चुनाव आते ही भानुमति का कुनबा पूरी तरह बिखर गया। इस बार कांग्रेस जिस तरह से उग्र होकर बिहार में चुनाव लड़ने की मंशा दिखा रही है, तो मेरा मानना है कि महागठबंधन ही एकजुट रह जाए तो बहुत बड़ी उपलब्धि होगी विपक्ष के लिए।
खेला’ के संदर्भ में बात सिर्फ विपक्ष की नहीं है। वहां नीतीश कुमार भी हैं, जिन्हें लेकर आशंका बनी रहती है कि किस ओर जाएंगे।
चिराग पासवान: मेरे मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के साथ और हर मंच से निरंतरता में इस बात को दोहराया है कि वे मानते हैं, उस वक्त उनका महागठबंधन के साथ जाने का फैसला सही नहीं था। राज्य के हित में नहीं था। इस बात को उन्होंने कई बार स्वीकार किया है। नीतीश कुमार अनुभवी मुख्यमंत्री हैं। वे भी इस बात को जानते हैं कि अगर हम लोगों को विकास करना है तो प्रधानमंत्री की सोच के साथ आगे बढ़ना जरूरी है। जिस तरह केंद्र सरकार द्वारा मुख्यमंत्री जी की मदद की जाती रही है तो मुझे नहीं लगता है कि इस परिस्थिति को कोई छोड़ना चाहेगा।
आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हमेशा प्रशंसा करते हैं। यहां तक कि खुद को उनका ‘हनुमान’ भी घोषित कर दिया। उन पर इस भरोसे का कारण?
चिराग पासवान: मेरा मेरे प्रधानमंत्री पर अटूट विश्वास है। राजनीति में मुझे लगता नहीं है कि इन बातों को इतनी मजबूती से और इतनी स्पष्टता से कहना चाहिए क्योंकि आप अपने लिए विकल्पों को समाप्त कर देते हैं। मैं फिर से दोहराता हूं कि जब तक मेरे प्रधानमंत्री हैं तब तक चिराग पासवान व लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के लिए और कोई विकल्प नहीं है। मैं पूरी तरह से प्रधानमंत्री की सोच के साथ खड़ा हूं। मेरा इस गठबंधन में आने का कारण ही प्रधानमंत्री थे। 2014 में जब नरेंद्र मोदी केंद्र की सत्ता में आए थे उस समय मेरे पिता रामविलास पासवान जी यूपीए गठबंधन में थे और सहज थे। उस वक्त मेरी ही जिद दी थी कि हम एक ऐसी सोच के साथ चलें जो जाति व धर्म से ऊपर उठ कर सबका साथ, सबका विकास की बात करे। मेरे लिए इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है कि प्रधानमंत्री ने भी मुझे बेटे की तरह अपना प्यार, आशीर्वाद और मार्गदर्शन दिया। जब तक वे हैं, मैं आंखें मूंद कर उनके साथ हूं।
राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता। इसलिए यहां विकल्प को विलुप्त नहीं किया जा सकता। आपका समर्पण कितना स्थायी रह सकता है?
चिराग पासवान: मैंने 2020 के चुनाव में खुद को साबित भी किया जब मैं विभिन्न कारणों से राजग का हिस्सा नहीं बन पाया था। उस वक्त मेरे पास वैकल्पिक गठबंधन में जाने का विकल्प था। अगर मैं राजद-कांग्रेस के गठबंधन के साथ चुनाव लड़ता तो वहां से भी अच्छी-खासी संख्या में विधायकों को जिता कर ला सकता था। मगर उस वक्त मैंने भारतीय जनता पार्टी के सामने अपनी पार्टी के प्रत्याशी नहीं उतारे। उस वक्त भी मैंने यह समर्पण भाव दिखाया था।
क्या इसका एक कारण यह भी है कि आज की तारीख में नरेंद्र मोदी का नाम चुनावी जीत की गारंटी बन गया है?
चिराग पासवान: मैंने उनके ऊपर यह समर्पण और विश्वास तब भी जताया था जब 2014 में कई लोग विभिन्न कारणों से राजग से जुड़ने में संकोच करते थे। उस वक्त मेरे पिता के मन में भी संशय था राजग को लेकर। उस वक्त भी मैंने कहा था कि मेरा विश्वास मेरे प्रधानमंत्री हैं। पिछले दस सालों में तो यह और ज्यादा मजबूत हुआ है।
आपके चाचाजी के साथ राजग ने गठबंधन किया। क्या तब भी आपके अंदर किसी तरह की असहजता नहीं आई थी?
चिराग पासवान: बिल्कुल नहीं। मेरी शिकायत किसी और से है ही नहीं। मेरे अपनों ने उस वक्त मेरा साथ छोड़ा था। किसी दूसरे से, तीसरे से क्या उम्मीद लगाता जब मेरे अपने मेरे साथ नहीं थे। मेरा अपना खून मेरे साथ नहीं था। जब धोखा मुझे मेरे अपनों से मिला तो किसी तीसरे से क्या उम्मीद लगाता? कैसे बोलता कि भाजपा या जद (एकी) ने ऐसा क्यों नहीं किया? जबकि मेरे अपने पिता स्वरूप मेरे चाचाजी ने ही मुझे अकेला छोड़ दिया तो किसी दूसरे से क्या शिकायत?
भाजपा की अगुआई में राजग के दलों पर दृश्यता की राजनीति करने का आरोप लगता है। आम बजट पेश करने के लिए वित्त मंत्री मधुबनी पेंटिंग की साड़ी पहन कर आईं। प्रधानमंत्री ने कहा कि वे साल में तीन सौ दिन से ज्यादा मखाना खाते हैं। आप इसे कैसे देखते हैं?
चिराग पासवान: दक्षिण भारत की महिला जो वित्त मंत्री हैं वे मेरे बिहार की मधुबनी पेंटिंग की साड़ी पहनती हैं, इससे खूबसूरत बात और क्या होगी। ये देश की एकता दिखाने वाली खूबसूरत तस्वीरें हैं। लोगों को जोड़ने की ईमानदार भावना है, जिसे हम राष्ट्रीय एकता कहते हैं।
विधानसभा चुनाव में जनता से किस तरह के समर्थन की उम्मीद है? किन वजहों से राजग को जनता पसंद करेगी?
चिराग पासवान: यह मेरा विश्वास है कि राजग गठबंधन 225 से ज्यादा सीटें जीतेगा। हम पांच दलों के गठबंधन में जीत के सारे तत्त्व मौजूद हैं। उपचुनाव में हमने बेलागंज, तरारी जैसी सीटें जीतीं। इन सीटों पर हमने लंबे समय के बाद जीत हासिल की है। प्रधानमंत्री की दूरदृष्टि, उनके मार्गदर्शन के साथ मुख्यमंत्री की नीति ‘बिहार प्रथम’ की है। बिहार में कुछ ऐसे दल हैं जो आज भी जाति और मजहब के भरोसे हैं। मैं जात-पात और मजहब में विश्वास नहीं करता। आज की तारीख में जब लोग जातिगत समीकरण और सांप्रदायिकता को आधार बनाते हैं, बड़े गर्व से जाति और धर्म के आधार पर बने समीकरण का प्रदर्शन करते हैं तो मेरा अपना समीकरण है। मेरा अपना ‘एमवाय’ समीकरण है जिसमें मैं महिलाओं और युवाओं को संबोधित करता हूं। लोकसभा चुनाव में मैंने इस समीकरण को सफल साबित कर दिया। लोकसभा चुनाव में मेरी पार्टी मात्र पांच सीटों पर चुनाव लड़ रही थी। उन पांच सीटों पर दो महिला और तीन युवा आए। ऐसे में मैं मानता हूं कि आने वाले चुनाव में राजग का प्रदर्शन बेहतर रहेगा।
आपने 225 सीटों का दावा किया। इसमें आपकी पार्टी की कितनी सीटें होंगी?
चिराग पासवान: इसमें कहां कोई शक है कि सारी सीटें हमारी होंगी। चाहे भाजपा हो, जद (एकी) हो, ‘हम’ या उपेंद्र कुशवाहा जी की पार्टी हो। हम सब एक इकाई हैं।
राजग के लिए सीटों का बंटवारा चुनौती होगी?
चिराग पासवान: लोकसभा चुनाव के वक्त भी राजग को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा था कि इतने दल हैं, कैसे करेंगे। आपने देखा होगा कितनी सहजता के साथ दोस्ताना अंदाज में हमने सीटों का बंटवारा कर लिया था। कहीं कोई फुसफुसाहट नहीं, कहीं कोई विवाद नहीं। मुझे लगता है, उसी सहजता और दोस्ताना तरीके से विधानसभा चुनाव में हम पांच दलों के बीच सीटों का बंटवारा हो जाएगा।
राजनीतिक हलकों में चर्चा हो रही है कि कहीं बिहार में नीतीश कुमार का हाल एकनाथ शिंदे जैसा नहीं हो जाए?
चिराग पासवान: भारतीय जनता पार्टी अपनी बातों, अपने शब्दों को पूरी तरह से मानने वाले दलों में हैं। आज के समय में प्रधानमंत्री के द्वारा कहे शब्द उनके पूरे होने की गारंटी बन गए हैं। मोदी की गारंटी पर देश की एक बड़ी आबादी आंख मूंद कर विश्वास करती है। मैं मानता हूं, किसी के साथ अन्याय नहीं होगा। महाराष्ट्र में जनादेश भाजपा के पक्ष में था। वहां बहुत सहजता के साथ मिल-बैठ कर फैसला किया गया था। वहां मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और जनता, किसी को शिकायत नहीं है। महाराष्ट्र की ही तरह बिहार में भी जनभावना को देख कर फैसला लिया जाएगा।
बिहार के साथ दक्षिण के राज्यों में जातिगत जनगणना बड़ा मुद्दा है। भाजपा इसे लेकर मुखर नहीं है। इस पर आपकी क्या सोच है?
चिराग पासवान: मैं जातिगत आधार पर राजनीति का विरोध करते हुए भी जातिवार जनगणना का समर्थन इसलिए करता हूं क्योंकि हमें देश की सच्चाई को समझना होगा। ऐसी कई सरकारी नीतियां बनती हैं जो किसी खास जाति को मुख्यधारा के साथ जोड़ने की सोच के साथ बनाई जाती है। ऐसे में सरकारों के पास जातिगत आंकड़ा होना चाहिए ताकि उस आधार पर नीति बना कर राशि आबंटित की जा सके। कई बार किसी मसले पर माननीय अदालत पूछती है कि फलां जाति की क्या आबादी है? मैं इसके आंकड़े को सार्वजनिक करने के पक्ष में नहीं हूं क्योंकि इससे विवाद बढ़ता ही है। पहले आप फलां जाति वाले हो जाते हैं फिर आप ‘परसेंटेज’ वाले हो जाते हैं। यह भेदभाव को बढ़ाता है। लेकिन सरकार के पास नीतिगत संदर्भों के तहत ये आंकड़े जरूर होने चाहिए।
आप युवा नेता हैं और आपका जनाधार है। बेरोजगारी आज सबसे बड़ी समस्या है। इस मुद्दे पर लोगों को कैसे भरोसा दिलाएंगे?
चिराग पासवान: निश्चय तौर पर हमारे लिए यह चुनौती है। प्रधानमंत्री ने कौशल विकास योजना के तहत युवाओं को नौकरी लेने वाला नहीं नौकरी देने वाला यानी उद्यमी बनाने की पहल की है। मेरा खुद का खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय बड़ी संख्या में रोजगार सृजित करने की क्षमता रखता है। इस क्षेत्र में हम सफल होंगे।
तेजस्वी यादव का दावा है कि उन्होंने नीतीश कुमार की इच्छा के खिलाफ जाकर नौकरियां दीं।
चिराग पासवान: किसी भी फैसले पर राज्य के मुख्यमंत्री की अंतिम मुहर लगनी होती है। तेजस्वी यादव राजद काल के नब्बे के दशक की बात क्यों नहीं करते जब मेरे बिहारियों को दूसरे राज्यों में पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा। नब्बे के दशक में इन्हीं के परिवार के मुख्यमंत्री थे। आज की तारीख में जब राजग सरकार इन मुद्दों पर काम कर रही है तो सिर्फ श्रेय लेने की होड़ लग गई है। पंद्रह साल का लंबा कार्यकाल रहा था। आप अपने पिता की तस्वीर तक होर्डिंग से उतार देते हैं ताकि किसी को नब्बे के दशक का जंगल राज याद न आए।
आगामी विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की भूमिका को कैसे देखते हैं?
चिराग पासवान: प्रशांत जी मेरे पुराने मित्र हैं। आप उनसे सहमत-असहमत हो सकते हैं लेकिन वे बिहार की राजनीति में नई सोच के साथ दिख रहे हैं। उपचुनाव में उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। चुनावी राजनीति का उन्हें ज्यादा अनुभव नहीं है इसलिए मैं बहुत ज्यादा टिप्पणी नहीं कर पाऊंगा।
भाजपा और राजग का कड़ा प्रहार कांग्रेस के वंशवाद पर रहता है। आपकी गिनती भी वंशवादी चेहरों में होती है। आप कैसे देखते हैं इसे?
चिराग पासवान: मैं इस तथ्य से न तो भाग सकता हूं और न शर्मिंदा हो सकता हूं। मेरे लिए तो यह गर्व की बात है। मुझे लगता है, घमंड शब्द भी सही है कि मैं रामविलास पासवान जी का बेटा हूं। एक ऐसे व्यक्तित्व का बेटा जिन्होंने सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ी। मुझे लगता है कि मेरे पिता के जाने के बाद मुझे वंशवादी चेहरे के तौर पर नहीं देखना चाहिए। मेरे पिता ने अपने खून-पसीने की मेहनत से जो पार्टी खड़ी की थी उसे भी मुझसे छीन लिया गया। मैंने तो शुरू से ही शुरुआत की। मेरे परिवार तक को मुझसे अलग कर दिया गया। जिस घर में मैंने 34 साल बिताए मुझे वहां से अलग कर दिया गया। मुझे लगता है, भाजपा अपने बूते खड़े होने वालों के संघर्ष की सराहना करती है।
प्रस्तुति : मृणाल वल्लरी
विशेष सहयोग: सुशील राघव