मीना

जिस तरह पतझड़ के बाद वसंत आता है, उसी तरह हमारी जिंदगी में नौकरी से अवकाश यानी रिटारयमेंट के बाद वसंत आता है। सेवानिवृत्ति के बाद एक नई जिंदगी मिलती है, जिसे आप अपने मन मुताबिक जी सकते हैं। मगर अक्सर लोग मान लेते हैं कि अब हम सेवानिवृत्त हो गए, किसी काम के लायक नहीं रहे, और सारी जिम्मेदारी बच्चों पर छोड़ देते हैं। ऐसी स्थिति में कई बार घरों में कलह बढ़ने लगता है। क्योंकि मशीनी होते इस युग में घर के बच्चे समझ नहीं पाते कि उन्हें कुछ समय घर के बुजुर्गों के साथ भी बिताना चाहिए। तो ऐसी स्थिति आपकी सेवानिवृत्ति के बाद आए उससे पहले आपको सेवानिवृत्त होने के बाद क्या करना है, अपने खाली समय को कैसे इस्तेमाल करना है? इस सबकी योजना बना लेनी चाहिए, ताकि आपके सेवानिवृत्ति के बाद जीवन सुखमय बीते।
कुछ लोग योजना बनाते हैं कि हम सेवानिवृत्ति के बाद कहीं लंबी यात्रा पर निकल जाएंगे। कुछ की योजना होती है कि दोस्तों की मंडली बना कर खूब गप्प किया करेंगे। सभी अपनी इच्छानुसार जिंदगी जीना चाहते हैं। सरकार भी कर्मचारियों को पेंशन देती है। ऐसे में किसी भी सेवानिवृत्त अधिकारी की जिम्मेदारी बन जाती है कि उसने समाज से जो लिया है वह उसे वापस करे।

अगर आप ऐसा करते हैं, तो आप खुद को भी सक्षम समझेंगे और आपके मन में कभी यह भाव भी नहीं आएगा कि मैंने समाज के लिए कुछ नहीं किया। आप अपने सेवानिवृत्ति के बाद के जीवन को उबाऊ न बनाएं, बल्कि उसे एक नई शुरुआत के रूप में लें। जैसे सीमा पाठक कर रही हैं। सीमा पाठक एक सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य हैं। सेवानिवृत्ति के बाद वे अपना खाली समय लिखने-पढ़ने में बिताती हैं। इसके अलावा वे एक संस्था के लिए लोगों में खुशहाली का सर्वेक्षण करती हैं और उस संस्था के लिए किताबों का अनुवाद करती हैं। जो विचार लोगों को खुशी दे सकते हैं उन्हें वॉट्सएप समूह के लोगों में भेजती हैं। सीमा को कंप्यूटर चलाना नहीं आता, पर वे स्मार्टफोन से सारी सामग्री टाइप करती हैं।

आज सेवानिवृत्ति की उम्र अधिक नहीं है। विभिन्न देशों में सेवानिवृत्ति की उम्र अलग-अलग है। जैसे विश्व बैंक के अनुसार पोलैंड में पुरुषों के लिए सड़सठ वर्ष और महिलाओं के लिए साठ वर्ष है। एपेरियन कैफे के अनुसार चीन में औसत उम्र छप्पन साल है। संयुक्त अरब अमीरात में उनचास है। जापान और भारत में साठ वर्ष है। इस उम्र में सेवानिवृत्त होने के बाद भी व्यक्ति में इतनी क्षमता होती है कि आगे आठ से दस साल काम और कर सकता है। चूंकि आज लोगों की जीवनशैली में काफी बदलाव आया है और यही बदलाव बुजुर्गों की जीवनशैली में भी आ रहा है। तो ऐसे में आप खुद को उम्र के इस पड़ाव में भी साबित कर सकते हैं। सेवानिवृत्त अधिकारी के पास अपने क्षेत्र का अथाह अनुभव होता है। वह अपने इस अनुभव को लोगों के साथ साझा कर देश की सेवा कर सकता है। एक शोध में सामने आया कि सेवानिवृत्त होने के बाद जीवन में अधिक सकारात्मकता आती है। क्योंकि इस समय हमारे खाने-पीने, सोने और दैनिक गतिविधियों की अवधि बढ़ जाती है और हम जीवन को उसकी रवानगी में जीते हैं।

बंगलुरू में रहने वाले आर एसएन मूर्ति ने रक्षा लेखा महायनियंत्रक, रक्षा मंत्रालय में काम किया है। वे सेवानिवृत्ति के बाद खाली नहीं बैठे। मूर्ति सप्ताह में एक-दो दिन परिवार को देते हैं और बाकी समय में लोगों को पेंशन के बारे में जानकारी देते हैं। चूंकि मूर्ति अकाउंट के काम से जुड़े रहे हैं, इस वजह से अकाउंट से संबंधित लोगों की समस्याओं को भी निपटाते हैं। वे कहते हैं कि ‘आज लोगों के पास कई तरह की पेंशन सुविधाएं हैं। जैसे विधवा महिला के लिए, अविवाहित लड़की के लिए, माता-पिता किसी कारणवश जीवित नहीं रहे तो उनके बच्चों के लिए पेंशन है। लेकिन इतनी तरह की पेंशन होने के बावजूद लोगों को इसके बारे में पता नहीं है। मैं लोगों को सिर्फ जागरूक करने का काम करता हूं।’ यह सब काम वे बिना किसी पैसा लिए करते हैं।

अपनी रुचियों को जगाएं
हर व्यक्ति की किसी न किसी काम में रुचि जरूर होती है। जैसे किसी की पेंटिंग में, किसी की खाना बनाने में, किसी की सिलाई-कढ़ाई-बुनाई में, किसी की संगीत में, किसी की पढ़ने-लिखने में, किसी की गाना गाने में आदि। वैसे ही आप भी अपनी रुचि के अनुसार लोगों की सेवा कर सकते हैं। रिटारयमेंट के बाद ही वह समय आता है जब खुद को निखार सकते हैं। आप अपने बारे में सोच सकते हैं। खुद को निस्वार्थ सेवा में लगा सकते हैं। अगर आपको समाज सेवा में दिलचस्पी है तो कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़ सकते हैं। अगर आप डॉक्टर हैं, तो अपना खुद का क्लिनिक खोल सकते हैं। लोगों को मुफ्त में दवाएं दे सकते हैं। अगर आप शिक्षक हैं तो बच्चों को मुफ्त में पढ़ा सकते हैं, जैसे अमिता जैन कर रही हैं। अमिता जैन पहले एक निजी स्कूल में पढ़ाती थीं। पर एक दुर्घटना में उनके पैर की हड्डी टूट गई और उन्होंने स्कूल जाना छोड़ दिया। पर उनकी पढ़ाने की ललक कम नहीं हुई। तब उन्होंने अपने पास की ही एक कल्याणकारी संस्था में झुग्गी बस्ती के बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। अमिता जैन पिछले बारह सालों से बच्चों को मुफ्त पढ़ा रही हैं। उनके पास जो भी पैसा होता है, वह उन बच्चों की मदद में लगा देती हैं। बच्चों को चाहे आर्थिक मदद चाहिए या भावनात्मक, वे दोनों स्तरों पर बच्चों की मदद करती हैं।

सेवानिवृत्ति के बाद ये न करें
देखने में आया है कि जो लोग सेवानिवृत्ति के बाद की योजना नहीं बनाते, वे बेवजह अपना समय व्यर्थ करते हैं। वे बहुत अधिक टीवी देखने लगते हैं। लंबे समय तक बैठे रहते हैं। इस वजह से उनकी आंखों पर असर पड़ता है। जिन बीमारियों को वे अपनी सक्रियता से रोक सकते थे, उसे खाली बैठ कर बढ़ा लेते हैं। इसके अलावा देखने में यह भी आया है कि सेवानिवृत्त लोग शराब का सेवन अधिक करने लगते हैं। उन्हें लगता है कि अब तो जिंदगी के चार दिन बचे हैं, इसलिए इसे जैसे गुजारना है वैसे गुजार लें। शराब अधिक पीने से आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता है।  सुप्रीम कोर्ट के पूर्व वकील और मोटिवेशनल स्पीकर अशोक अरोड़ा बताते हैं कि सेवानिवृत्ति के बाद व्यक्ति खुद को अकेला महसूस न करे। सेवानिवृत्ति के बाद खुद को रचनात्मकता, उत्पादकता और भावनात्मकता के स्तर पर उदासीन न रखें। अगर आप सेवानिवृत्त होने के बाद भी खुद को सक्रिय रखते हैं, तो अवसाद के शिकार नहीं होंगे। सेवानिवृत्त व्यक्ति को नकारात्मक सोच नहीं रखनी चाहिए। सबसे बड़ी बात कि सेवानिवृत्त के बाद हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि हमें सब कुछ आता है और हमसे ज्यादा ज्ञानी और कोई नहीं है।

नौकरी से सेवानिवृत्ति के बाद बहुत सारे लोगों के सामने समस्या होती है कि वे आगे का अपना जीवन कैसे गुजारें। कई लोग घर की जिम्मेदारियां बच्चों पर डाल कर दिन भर घर में बैठे रहते हैं। इस तरह वे कई तरह की बीमारियों को न्योता देते और कष्ट में जीवन बिताते हैं। पर सेवानिवृत्ति को सकारात्मक ढंग से लेने की जरूरत है। यह सोचना चाहिए कि इसके बाद एक नया जीवन शुरू हो रहा है। खाली समय काटने के लिए कई लोग अपनी रुचियों को नए सिरे से जगाते हैं और खुशहाल जीवन जीते हैं। सेवानिवृत्ति के बाद का जीवन कैसे बिताएं, बता रही हैं मीना। ंदर अहंकार आ जाता है और हमारे अंदर से सीखने की चाह खत्म हो जाती है। इसलिए कभी न सोचें कि हमें सब कुछ आता है, बल्कि यह सोचें कि हमें अभी बहुत कुछ सीखना है। यह नहीं सोचना चाहिए कि आधी जिंदगी निकल गई और आधी बच गई है। बल्कि यह सोचना चाहिए कि अब जो जिंदगी बच गई है उसे अच्छी तरह जीना है। सेवानिवृत्ति को सेवानिवृत्ति न समझ कर जीवन की नए सिरे से शुरुआत समझना चाहिए। ०