कान का दर्द एक ऐसी समस्या है जो लोगों को सामान्य तौर पर कभी न कभी जरूर परेशान करती है। कान के दर्द की समस्या अगर बढ़ जाए तो आदमी बहरेपन तक का शिकार हो सकता है। पर आमतौर पर कान से जुड़ी समस्या को हम महत्व नहीं देते और इस बारे में घोर लापरवाही दिखाते हैं। यह खतरनाक प्रवृत्ति है। बेहतर तो यही होगा कि हम एक तो कान के दर्द के कारणों को समझें और दूसरे कान की देखभाल अच्छे तरीके से करें।
पहली बात तो यही कि अगर कान में दर्द की समस्या है तो इसकी अनदेखी करना सही नहीं है। दो या तीन दिन से ज्यादा कान में दर्द रहने पर डॉक्टर से संपर्क करना ही बेहतर है। कान दर्द दो तरह से होता है। एक, जब कान के बाहरी या अंदरूनी हिस्से में गड़बड़ी के कारण दर्द होता है। दूसरा, जब शरीर के अन्य हिस्से में हुई समस्या, जैसे दांत में दर्द या गला खराब होने पर कान में दर्द होता है।
सूजन के कारण दर्द
कान एक नली से नाक के पिछले व गले के ऊपरी हिस्से से जुड़ा होता है। साइनस और टॉन्सिल होने पर इसी कारण कान के भीतर दर्द महसूस होता है। कान में सूजन आ जाती है और यूस्टेकियन ट्यूब बंद होने लगती है। कान में मवाद बनने लगता है, जो कान के पर्दे को नुकसान पहुंचाता है। इसके अलावा जब महिलाएं छोटे बच्चों को करवट से लिटा कर दूध पिलाती हैं, तो कई बार दूध मध्य कान में पहुंच जाता है और संक्रमण पैदा कर देता है। कान में दर्द ,सूजन या कान से मवाद निकलना इसके लक्षण हैं।
मैल और संक्रमण
जिन लोगों की त्वचा बहुत तैलीय होती है, उनको मैल (वैक्स) की परेशानी ज्यादा होती है। वैक्स नाखून की तरह बढ़ता है। इसके निकलने के कुछ दिनों बाद ही यह फिर से बनने लगता है। ज्यादा समय तक वैक्स जमा रहने से वह सख्त हो जाता है और कैनाल को ब्लॉक कर देता है। इस कारण कान में दर्द होता है और कम सुनाई देने लगता है।
कान दर्द की समस्या बच्चों को खूब होती है। इसका एक प्रमुख कारण है कान के मध्य में होने वाला संक्रमण, जिसे ‘ओटाइटिस मीडिया’ कहते हैं। डब्लूएचओ के अनुसार दो हफ्ते से अधिक संक्रमण रहने पर उसे ‘क्रॉनिक इन्फेक्शन’ माना जाता है। यह बहरेपन का खतरा बढ़ाता है, पर यह ठीक हो सकता है। संक्रमण के आम कारणों में सर्दी या फ्लू का वायरस, धूल से एलर्जी शामिल हैं। इसमें तेज बुखार, कान में दर्द, सुनने में कठिनाई या कान से पस निकलता है।
चोट के कारण दर्द
कान की भीतरी ट्यूब बेहद संवेदनशील होती है। हल्का सा अधिक दबाव पड़ने पर यह ट्यूब चोटिल हो जाती है, जिससे दर्द होने लगता है। कान से पस भी निकलने लगता है। ज्यादा समय तक यह समस्या रहने से आसपास की हड्डियां गलने लगती हैं। बैरोट्रॉमा की समस्या, सिर पर गंभीर चोट, बहुत तेज आवाज, ओटाइटिस मीडिया, मध्य कान में संक्रमण जैसे कारण भी पर्दे को नुकसान पहुंचाते हैं।
इसके अलावा साइनस संक्रमण, बारिश के मौसम में कान में कवक संक्रमण और दबाव के कम ज्यादा होने से भी कान दर्द की समस्या हो सकती है।
हिदायत और परहेज
’ नहाते समय या तैराकी करते हुए कान में पानी न जाने दें।
’ पिन, तिल्ली या चाबी आदि कान में न डालें।
’ अगर आप हेडफोन इस्तेमाल करते हैं तो यह अच्छे और भरोसेमंद ब्रांड का ही लें।
’ तेज आवाज में हेडफोन लगाकर सुनना या लंबे समय तक हेडफोन का इस्तेमाल नुकसानदेह हो सकता है।
’ मांसपेशियों को सक्रिय रखने के लिए नियमित प्राणायाम करें।
’ कान में वैक्स बहुत बनती है तो नियमित अंतराल पर डॉक्टर से इसकी सफाई करवाएं।
’ ज्यादा समस्या होने पर या दो-तीन दिन तक कान में दर्द रहने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)