सरकारें और अस्पताल लोगों को स्वास्थ्य संबंधी हिदायतें जारी कर रहे हैं। जिन्हें सांस संबंधी समस्याएं जैसे अस्थमा, क्रोनिक आब्सट्रक्टिव पल्नोमरी डिजीज (सीओपीडी), क्रोनिक ब्रोंकाइटिस आदि बीमारियां पहले से हैं, उनके लिए यह मौसम अधिक परेशानी भरा होता है। ऐसे में जरूरी है कि सर्दियों में सांस की समस्या से बचाव के इंतजाम किए जाएं।
सर्दियों में सांस की समस्या होने का मतलब यह नहीं कि घर से बाहर ही निकलना बंद कर दें। इसके लिए स्वस्थ रहना ज्यादा जरूरी है। कुछ स्वस्थ लोगों को भी सर्दियों में ठंडी हवा के कारण फेफड़े में परेशानी हो सकती है। महानगरों में बढ़ते वाहनों की वजह से उनका धुआं हवा में घुल कर लोगों को सांस संबंधी परेशानियां पैदा कर रहा है। इससे पार पाने के लिए अपने फेफड़ों को स्वस्थ रखना बहुत जरूरी है।
सर्दियों में वायुमंडल सिमट कर धरती की सतह के आसपास आ जाता है, जिससे वायु प्रदूषण अधिक तकलीफदेह साबित होता है। तापमान जब काफी कम हो जाता है तो सीओपीडी के लक्षण दिखने लगते हैं, नतीजा यह होता है कि फेफड़ों में सांस सामान्य ढंग से नहीं जा पाती। इससे व्यक्ति में कुछ खास प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं। जैसे: सांस अच्छी तरह से न ले पाना, बलगम का बढ़ना, हल्की-हल्की सांसें लेना, खांसी की समस्या, घरघराहट, सांस लेने में कष्ट होना आदि।
कारण, लक्षण और उपाय
सर्दियों में सांस की समस्या से पार पाने के लिए जरूरी है कि ठंड के संपर्क में कम से कम आएं। इसका अर्थ यह हुआ कि सुबह और रात के समय जब तापमान काफी कम होता है तो कोशिश करें कि घर के बाहर न निकलें। इसके अलावा अगर घर के बाहर जाते भी हैं तो ऐसे कपड़े पहनें ताकि ठंड न लगे।
अगर आपको सीओपीडी की शिकायत है तो सर्दियों में घर से बाहर जाने के पहले ‘रेस्क्यू इनहेलर’ को अपने साथ रख लें, लेकिन इसके लिए डाक्टर की सलाह जरूर लें। बल्कि घर से ही इसकी खुराक लेकर बाहर निकलें। खासकर तब, जब आप लंबी सैर पर या बाहर व्यायाम के लिए निकल रहे हों। ठंड अधिक होने पर संभावना है कि सीओपीडी के मरीजों को परेशानी हो। ऐसे में अच्छा यही होगा कि आप उसके लिए तैयार रहें।
अलाव के पास न बैठें
जिन्हें सांस संबंधी परेशानी है, उन्हें सर्दियों में आग के आसपास बैठने से बचना चाहिए। आम लोगों की तुलना में फेफड़े की समस्या से ग्रस्त इंसान को आग के आसपास जाने से स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है। संभव है कि आग से उड़ने वाले छोटे-छोटे कण के कारण उन्हें परेशानी हो। इसकी वजह से श्वास नलियों में दिक्कत हो सकती है। सर्दियों में गर्माहट के लिए कोशिश करें कि अलाव के बजाय इलेक्ट्रिक हीटर आदि का इस्तेमाल करें।
धूम्रपान को कहें ना
जिन्हें सांस संबंधी परेशानी है, उन्हें सिगरेट आदि धूम्रपान बिल्कुल छोड़ देना चाहिए। इससे सांस नलियों में संकुचन हो सकता है। एक सिगरेट में करीब चार हजार से अधिक घातक रसायन होते हैं। सर्दियों में सांस की समस्या से ग्रस्त होने के बावजूद अगर धूम्रपान करते हैं, तो सीओपीडी की गंभीर समस्या हो सकती है। शुरुआत में परेशानी और आगे चलकर मरीज की मौत तक हो सकती है। अगर आपको सीओपीडी, अस्थमा और अन्य सांस संबंधी समस्या है, तो धूम्रपान बिल्कुल न करें। ऐसा कर सर्दियों में आप सामान्य रह पाएंगे।
घर में ही करें व्यायाम
सांस संबंधी समस्या से ग्रस्त लोगों को व्यायाम अपनी दिनचर्या में जरूर शामिल करना चाहिए, मगर सर्दियों में कोशिश यही होनी चाहिए कि घर में ही व्यायाम करें। योग से सांस संबंधी समस्याओं से पार पाने में काफी मदद मिलती है। सर्दियों में नाक से ही सांस लेना बेहतर होता है। ऐसा करने से श्वासनलियों तक सांस जाने से पहले ही वह गर्म हो जाती है। इस तरह सांस फूलने की समस्या नहीं होती। कोशिश यही होनी चाहिए कि हमेशा गर्म कपड़ें पहनें। मुंह पर मास्क और स्कार्फ या मफलर का इस्तेमाल करें।
(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)