ज्ञान और साधना का जो साझा सुकरात के यहां देखने को मिलता है, वह बेमिसाल है। अपने ज्ञान और प्रेरक जीवन प्रसंगों के कारण उनकी चर्चा बार-बार होती है। एक बार की बात है कि सुकरात अपने शिष्यों को उपदेश रहे थे। तभी वहां एक अमीर व्यक्तिउनसे मिलने के लिए पहुंचा। पर सुकरात ने उस व्यक्तिकी ओर ध्यान नहीं दिया। वे अपने काम में लगे रहे। अमीर आदमी को समझ आ गया कि सुकरात ने उसे नजरअंदाज कर दिया है। इससे वह क्रोधित हो गया। वह सुकरात के सामने पहुंचा और बोला कि क्या आप जानते हैं कि मैं कौन हूं?

इस पर सुकरात ने उससे कहा कि आप यहां बैठें और मुझे बताइए कि आप कौन हैं? इसके बाद उन्होंने उस व्यक्तिको दुनिया का नक्शा दिया और कहा कि आप बताएं, इसमें एथेंस कहां है? अमीर व्यक्तिने कहा कि दुनिया के नक्शे में तो एथेंस एक बिंदु की तरह है। उसने एथेंस पर उंगली रखी और कहा, ये एथेंस है। सुकरात ने उससे फिर पूछा कि अब इसमें ये बताओ कि तुम्हारा घर कहां है? उसने कहा, दुनिया के नक्शे में एथेंस तो खुद ही एक बिंदु है, इसमें मेरा घर कैसे दिख सकता है? सुकरात ने फिर पूछा, जब इस नक्शे में तुम्हारा घर ही नहीं दिख रहा है तो तुम अपने बड़े घर में कहां हो?

ये नक्शा तो एक पृथ्वी का है, ऐसी अनंत पृथ्वियां हैं, अनंत सूर्य हैं। इन सब में तुम कहां हो? सुकरात की बातें सुनकर वह शख्स चुपचाप वहां से जाने लगा। तब सुकरात ने उसे रोका और नक्शा देते हुए कहा कि इसे हमेशा अपने साथ रखना। जब तुम्हें अपने धन का अहंकार होने लगे तब इसे देख लेना। तुम्हारा घमंड दूर हो जाएगा। सुकरात ने कहा कि अब तुम्हें समझ आ गया होगा कि इस ब्रह्मांड में हम कुछ नहीं हैं। हमारा अहंकार ही हमारे दुखों का मूल कारण है। इसे जितनी जल्दी छोड़ दोगे, उतना ज्यादा अच्छा रहेगा। साफ है कि सुकरात यह सीख दे रहे थे कि घमंड कुछ नहीं, बस एक बड़ी मूर्खता है।