पहलगाम में उन पहाड़ों से घिरे, धूप से भीगे मैदान में इंसानों की ही नहीं, इंसानियत की हत्या की थी, उन कायर दरिंदों ने जो अपनी दरिंदगी करने के बाद भाग गए। दरिंदे ही होंगे, जो किसी नई दुल्हन के सामने उसके पति को जान से मार सकते हैं। जो छोटे बच्चे के सामने उसके पिता को मार सकते हैं। जो बूढ़ी मां की आंखों के सामने उसके बेटे को गोली मार सकते हैं। ऐसा काम कर सकते हैं, वैसे लोग जिनको मालूम ही नहीं होता है कि इंसानियत के मायने क्या हैं। सच पूछिए तो मेरे लिए बहुत मुश्किल था उन लोगों की बातें सुनना, जो गए थे पहलगाम खुशियां मनाने और लौटे थे अपनी बर्बाद जिंदगियों के टुकड़े समेट कर।

‘समय आ गया है एक दो पाकिस्तानी जरनैलों की हत्या करने का’

दर्द जब कम हुआ तो पाया मैंने कि मुझमें इतना क्रोध भर आया कि जब बरखा दत्त के मोजो स्टोरी पर मुझसे पूछा गया कि आगे क्या करना चाहिए भारत सरकार को, तो मैंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि शायद समय आ गया है एक दो पाकिस्तानी जरनैलों की हत्या करने का। जरनैल याद आए इसलिए कि कानों में गूंज रहा था पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष का वह भाषण, जो उन्होंने पिछले हफ्ते दिया था प्रवासी पाकिस्तानियों को संबोधित करते हुए।

इस भाषण में भारत और हिंदुओं को लेकर इतनी नफरत थी कि शायद ही पाकिस्तान के किसी आला नेता ने पहले इतने स्पष्ट शब्दों में कहा होगा कि पाकिस्तान बनाया गया था, इसलिए कि हिंदुओं के साथ कोई रिश्ता नहीं हो सकता था मुसलमानों का, क्योंकि हिंदू इतने अलग किस्म के लोग हैं कि उनके बीच मुसलमान रह ही नहीं सकते हैं। उनकी हर चीज अलग है हमसे, जनरल असीम मुनीर ने कहा, उनकी सभ्यता उनका मजहब, उनके तौर-तरीके। इस भाषण के अंत में उन्होंने कहा कि अंग्रेजी में कि कश्मीर पाकिस्तान की ‘जुगुलर वेन’ है। यानी शरीर की वह नस, जो काट दी जाए तो जीवित रहना असंभव है।

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पाकिस्तानी सेना के आला अफसरों को मारना आसान नहीं है, जानती हूं मैं। लेकिन हमें अपने देश को सुरक्षित रखना है पाकिस्तानी आतंकवादियों से, तो इस बार नुकसान ऐसा करना होगा पाकिस्तान का कि दोबारा हमारे देश में घुस कर हमारे लोगों को मारने की कभी कोशिश न कर सके। आतंकवादियों को पूरी तरह शरण मिलती है पाकिस्तानी सेना की, सो पहलगाम जनसंहार के कुछ घंटों बाद हाफिज सईद ने एक आम सभा में सीधे हमारे प्रधानमंत्री पर तल्ख बयानबाजी की।

यह वही महा-दरिंदा है, जिसने अपने प्यादों को भेज कर मुंबई में 26/11 वाली आतंकवादी घटना को अंजाम दिया था। मैं मुंबई में रहती हूं और आज भी जब उन जगहों से गुजरती हूं जहां निहत्थे लोगों को मारा गया था, तो मेरे दिल में क्रोध भर जाता है, क्योंकि इतने बड़े हादसे के बाद हमारी सरकार ने पाकिस्तान का थोड़ा-सा भी नुकसान करने का प्रयास नहीं किया था। सबूत थे हमारे पास कि उस जनसंहार में पाकिस्तानी सेना का हाथ था। सबूत था कि जिन प्यादों को मुंबई भेजा गया था, उन प्यादों ने हर कदम लेने से पहले किसी ऐसे व्यक्ति से बात की थी, जो उनको लगातार आदेश दे रहा था कि आगे क्या करना है। यहां तक कि जब इन प्यादों का असलाह खत्म हो गया था और उनको पकड़ने के लिए हमारे कमांडो पहुंच रहे थे, तो उस अनजान व्यक्ति ने सलाह दी कि बस अब अल्लाह के घर जाने की तैयारी कर लो।

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सारे सबूत दिए गए थे पाकिस्तान सरकार को, लेकिन एक बार भी हाफिज सईद और उसके साथियों के खिलाफ असली कार्रवाई करने की कोशिश नहीं हुई। याद है कि जब 2013 में मैं लाहौर गई थी चुनाव की रिपोर्टिंग करने, तो मैंने कोशिश की हाफिज सईद के ठिकाने की तहकीकात करने की। जब उसके अड्डे के पास पहुंची, तो देखा कि उस गढ़ की सुरक्षा कर रहे थे पाकिस्तानी पुलिसवाले। शायद पाकिस्तानी सेना की सुरक्षा में रहता है यह दरिंदा, बिल्कुल वैसे ही जैसे उसामा बिन लादेन को एबटाबाद की छावनी में रखा गया था। यथार्थ यह है कि जिहादी आतंकवादियों को पैदा किया है पाकिस्तानी सेना ने, जबसे उनको पता लगा कि युद्धभूमि में भारत को हराना असंभव है।

तो आगे क्या करना चाहिए भारत को? क्या पाकिस्तान इस बार भी हमारी भूमि पर आकर आतंक फैलाने के बावजूद दंडित होने से बच सकता है? इस बार भारत का साथ दे रहे हैं दुनिया के तमाम शक्तिशाली देश। यहां तक कि चीन की सरकार से भी पहलगाम वाली घटना की निंदा सुनने में आई है। लेकिन क्या हमारा साथ तब भी देंगे, अगर हम पाकिस्तान से युद्ध करने का निर्णय लेते हैं? शायद नहीं। डोनाल्ड ट्रंप बेशक मोदी को अपना दोस्त मानते हैं, लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति दूसरी बार बने हैं यह वादा करके कि दुनिया में हो रहे दोनों युद्ध रोकेंगे राष्ट्रपति बनते ही। उनके इस कार्यकाल के सौ दिन पूरे होने वाले हैं कुछ दिनों में और न यूक्रेन और रूस का युद्ध रोकने में सफल रहे हैं और न ही इजराइल को रोक पाए।

तो क्या कर सकते हैं मोदी? मेरी राय है कि पाकिस्तान को जवाब उसकी भाषा में देने की जरूरत है, जो उसको समझ में आए। पाकिस्तानी सेना के आतंकवादियों को खत्म करने की पूरी कोशिश होनी चाहिए, चाहे उनको ‘घर में घुस कर’ मारना पड़े। अभी तक जो कदम उठाए हैं सरकार ने वह बिल्कुल ठीक हैं, लेकिन इस बार हमको भूलना नहीं चाहिए पहलगाम। न आज, न कल, ना भविष्य में। इस बार सोच-समझ कर पूरी तैयारी से इसका बदला लेना चाहिए ऐसा कि पाकिस्तान के जरनैल नियंत्रण में लाए जाएं।