एक मौलाना का बयान: सभी मुसलमानों को भाजपा के खिलाफ गोलबंद होना चाहिए। भाजपा के एक बड़े नेता का जवाब: ‘वोट जिहाद’ करोगे तो ‘धर्मयुद्ध’ का समय आएगा। एक चैनल ने लाइन लगाई: ‘वोट जिहाद’ पर सियासी बवाल। फिर एक बड़े विपक्षी नेता उवाच कि डरोगे तो कटोगे… वे आपको मारने पर लगे हैं। एक सत्ता प्रवक्ता: जो काम मुसलिम लीग ने किया था, वह आज एक विपक्षी दल कर रहा है। इस बीच नवनीत राणा की सभा पर हमला, हंगामा, विरोध प्रदर्शन और शिकायतें। हर बयान पर चर्चा में बतबढ़ हो रही है। महाराष्ट्र में सभी के तेवर तीखे दिखते हैं। हर दांव जायज लगता है! यह अपना जनतंत्र है! फिर एक दिन दिल्ली के सत्ता दल को झटका लगता है। एक वरिष्ठ मंत्री ने दल की सदस्यता और पद से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफे में ‘शीशमहल’ और अन्य आपत्तियों का जिक्र है। नेता जी के एक समझदारी भरे जवाब से सारे आरोप प्रत्यारोपों पर पानी डाल दिया जाता है कि जो जहां चाहे जा सकता है। फिर खबर आती है कि दिल्ली के सत्ता दल में एक पूर्व भाजपा नेता शामिल हो गए हैं, यानी हिसाब बराबर!

नाइजीरिया से से लेकर धारावी ‘सेफ’ नहीं है तक

इस बीच प्रधानमंत्री को नाइजीरिया का सर्वाेच्च सम्मान, लेकिन एक चर्चा में इस पर भी कटाक्ष! फिर आया एक ‘सेफ’ दिखाते हुए ‘पोस्टर कटाक्ष’ कि ये सेफ (तिजोरी) किसकी है! फिर आया यह कटाक्ष कि ‘एक हैं तो सेफ हैं’। धारावी ‘सेफ’ नहीं है, एक धन्ना सेठ के हाथ में धारावी दे दी है। एक चर्चक ने जवाब दिया कि इसी धन्ना सेठ को विपक्ष के कई राज्यों ने दसियों हजार करोड़ की योजनाएं दी हैं, उनका क्या? एक पक्ष कहिन कि वे पोस्टर शो के जरिए एक धारणा बना रहे हैं।

फिर आया विपक्ष के एक बड़े नेता का यह तिक्त बयान कि वे दल जहरीले सांप हैं… सांप को मार देना चाहिए! एक विश्लेषक ने कटाक्ष किया कि उसे इन नेता पर दया आती है… इस उम्र में इनके अंदर इतना जहर भरा है! फिर आई सत्ता दल के एक बड़े नेता द्वारा कथित रूप से पैसा बांटने की खबर। आरोप कि पांच करोड़ बंटे। फिर खबर आई कि साढ़े नौ लाख थैले में थे। फिर बचाव में संवाददाता सम्मेलन कि नोट तो विपक्षी कार्यकर्ताओं के हाथ में दिखते हैं, कि ये प्लान करके बदनाम करने के लिए किया जा रहा है, कि हम जांच के लिए तैयार हैं, कि सारे सीसीटीवी फुटेज देखे जाएं, कि आप हवा में आरोप नहीं लगा सकते, कि हमारे विपक्षी अपनी हार को देख ऐसे दृश्य खड़े कर रहे हैं। लेकिन विपक्ष ने इसे ‘नोट जिहाद’ का नाम दिया। इसके बाद हुई ‘एफआइआर’ और गिरफ्तारी की मांग, लेकिन यह खबर जल्दी ही चर्चा से बाहर हो गई। शुरू में लगा कि ये खबर महाराष्ट्र के चुनाव पर असर डालेगी, लेकिन एक चुनाव विश्लेषक ने गलतफहमी दूर की कि चुनावों के दौरान आते ऐसे आरोपों का आम वोटर पर कोई असर नहीं होता। सब जानते हैं कि चुनाव से पहले ऐसे राजनीतिक खेल अक्सर किए जाते हैं!

फिर आई फिल्म ‘साबरमती रिपोर्ट’ के रिलीज होने की खबर साथ ही सत्ता दल के कई बड़े नेताओं द्वारा उसकी तारीफ कि गोधरा का सच अब सामने आया है। एक चैनल चर्चा में यह बात आई कि अब तक एक ‘झूठी धारणा’ गढ़ी जाती रही कि संघ ने ही गोधरा में ट्रेन का डिब्बा जलाया होगा, लेकिन फिल्म ने पहली बार इस धारणा की जगह सत्य को उजागर कर दिया है। लेकिन कुछ देर से आया एक विपक्षी नेता का ‘अडाणी’ की ‘सेफ’ को लेकर एक बयान कि अडाणी और धारावी का मुद्दा कभी विचार में था ही नहीं… इसलिए यह आरोप अब क्यों?

इसके बाद आए ‘एक्जिट पोल’ और हम जीत रहे हैं… कि हम ही जीतेंगे की बहसें गरम! तीन-चार पोल महाराष्ट्र में ‘महायुति’ को बहुमत दिलाते दिखते हैं और ‘महाविकास आघाड़ी’ को हारते दिखाते हैं। एक के अनुसार ‘महायुति’ को 137-157 सीट, जबकि ‘महाविकास आघाड़ी’ को 126-147 सीट, दूसरे के अनुसार 152-160 सीट बरक्स 130-138, तीसरे के अनुसार 150-170 बरक्स 110-130 सीट। सिर्फ एक ने ‘महायुति’ और ‘आघाड़ी’ को बराबर की टक्कर में बताया!

झारखंड में भी ज्यादातर ‘एक्जिट पोल’ ने ‘राजग’ को बहुमत दिखाया, जैसे एक ने एनडीए को 44-53 सीट दी, जबकि ‘झामुमो’ को 25-30 सीट दी। दूसरे ने राजग को 45-50 सीट दीं और मोर्चे को 25- 30 सीट दी। तीसरे ने राजग को 42 सीट. जबकि मोर्चे को 39 सीट दी। सिर्फ एक ने मोर्चे को बहुमत लेते दिखाया। चर्चा में वही दिखा, जो अक्सर दिखता है कि जो जीतते दिखे, वे अपनी बगलें बजाते दिखे, जो हारते दिखे वे ‘एक्जिट पोलों’ की हंसी उड़ाते दिखे कि ये ‘एक्जिट पोल’ हरियाणा में फेल हो चुके हैं। यूपी के ‘नौ’ उपचुनावों में से कुछ बूथों को लेकर सपा की शिकायतें आती रहीं। कई पुलिस अधिकारियों को आयोग द्वारा तुरंत हटाया गया, फिर भी मांग रही नौ में से तीन सीट के चुनावों को निरस्त किया जाए। सत्ता पक्ष कहिन कि इनको अपनी हार दिख रही है, इसलिए ऐसी मांग कर रहे हैं।