बांग्लादेश में अतिवादियों का हुक्मनामा: दुर्गापूजा में न कोई पंडाल लगाएगा, न समारोह मनाएगा, न कोई विसर्जन करेगा। फिर खबर कि प्रसिद्ध काली मंदिर से काली का स्वर्ण मुकुट चुराया। सब चुप कविजन निर्वाक! एक चैनल पर एक अल्पसंख्यक वक्ता उवाच: मंदिरों से यहां भी तो सोना चुराया जाता है। जवाब में एक हिंदुत्ववादी नेता कहिन कि हिंदू के एक होने का समय है। इन दिनों सारी ‘फाल्ट लाइनें’ खुली रहती हैं। एक खबर कि हुबली के दंगाइयों को छोड़ दिया गया। दशहरे की शाम दिल्ली में एक में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री आदि राम-लक्ष्मण को तिलक करते हुए, फिर ‘रावण दहन’, फिर वही वार्षिक गायन-वादन कि असत्य पर सत्य की जीत।

मोहन भागवत बोले- विदेशी शक्तियां भारत को कमजोर कर रही हैं

फिर एक को ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ वाला मुहावरा याद आया, तो तुरंत एक बड़े नेता ने कह दिया कि भाजपा एक आतंकवादी पार्टी है, लेकिन अफसोस कि ऐसे कथन को बहुत तवज्जो नहीं मिली। फिर आया विजयादशमी पर संघ प्रमुख मोहन भागवत का ‘संबोधन’ और उसके कुछ सूत्र कि कुछ विदेशी शक्तियां भारत को कमजोर करना चाहती हैं, कि अतिवादी भारत को नुकसान पहुंचाने में लगे हैं, कि असहिष्णुता भारत विरोधी है।

इसी शाम मुंबई में एक ही वक्त में दोनों शिवसेनाओं की दो स्पर्धात्मक रैलियां और दावे भी दिखे। लेकिन जैसे ही सलमान खान के दोस्त बाबा सिद्दीकी की लाारेंस बिश्नोई गिरोह द्वारा गोली मार कर हत्या की खबर ने सनसनी फैलाई, इसके बाद हर चैनल पर लारेंस बिश्नाई गिरोह का ब्योरा था कि उसके गिरोह में सात सौ शूटर हैं! दो मौका-ए-वारदात पर पुलिस ने पकड़े, बाकी फरार हो गए और अब उनकी धर-पकड़ जारी।

एंकर ने कहा- एक बड़े प्रापर्टी युद्ध का हिस्सा है मुंबई की घटना

शाम तक सभी चैनलों में हत्या के विविध ‘पाठ’ आते रहे। बाबा सिद्दीकी कितने बड़े दिलवाले थे, बताया जाने लगा। उनके अंतिम दर्शन के लिए सलमान समेत बालीवुड के कई लोग और कई नेता दिखते रहे, लेकिन रात तक एक एंकर और एक भाजपा प्रवक्ता ने बाबा की हत्या को महाराष्ट्र के चालू ‘प्रापर्टी युद्ध’ का हिस्सा बताकर ‘बाबा की सलमान से निकटता’ वाली कहानी की हवा निकाल दी और इसके पीछे बीस हजार करोड़ रुपए के ‘काम’ को कारण बताया। बाबा के बेटे जीशान ने ‘एक्स’ पर कहा कि उनके पिता की जान जनसेवा करने की वजह से गई। एक एंकर तुरंत बोला कि देखा, हमारी बात सही सिद्ध हुई कि बाबा की हत्या सलमान से दोस्ती की वजह से नहीं हुई, बल्कि वह ऐसे ही एक बड़े प्रापर्टी युद्ध का हिस्सा है।

फिर एक दिन ‘महान किसान आंदोलन’ में बारे में एक बड़े किसान नेता ने कहा कि किसानों को भड़काया गया था, ताकि हरियाणा का माहौल खराब हो… आने वाले चुनाव में जीत सकें..! आश्चर्य! इसका खंडन करने कोई बड़ा नेता सामने नहीं आया। फिर एक शाम ‘बहराइच’ से खबर आई कि दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के लिए निकलता एक जुलूस जैसे ही एक घर के आगे से गुजरा, त्यों ही जुलूस पर पत्थर चलने लगे। कारण कि कुछ को जुलूस के भजन और उसके तेज स्वर पर आपत्ति थी, कुछ ने लाउडस्पीकर के तार काट दिए..! वीडियो में रामगोपाल मिश्रा एक मकान का झंडा उतारता दिखा। उसके बाद किसी ने उसे गोली मार दी।

दंगा भड़क गया। इलाके में कर्फ्यू लगाना पड़ा। रामगोपाल मिश्रा को बंदूक से गोली मारने की घटना को एक वीडियो दिखाता रहा। खबरें बताती रहीं कि तीस दंगाई हिरासत में लिए गए, बाकी भागे हैं। फिर एक शाम खबर आई कि एक पुलिस मुठभेड़ में मिश्रा की हत्या के आरोपी युवकों के पैर में गोली लगी। वीडियो में वे पुलिस वालों से रोते-रोते कहते भी दिखे कि हमने सोचा कि गोलीबारी करते नेपाल भाग जाएंगे… गलती हो गई… अब ऐसा नहीं करेंगे। इसके बाद एक कहिन कि ये सरकार का ‘बैलेंसिंग एक्ट’ है, तो दूसरा कहिन कि ‘मुठभेड़’ का सच सबको पता है!

इस बीच चुनाव आयोग ने झारखंड और महाराष्ट्र के चुनावों के साथ बहुत से उपचुनावों की तिथियां घोषित कर दीं और मतगणना पूर्व सर्वेक्षणों की असली भूमिका भी बता दी। साथ ही, ईवीएम पर बार-बार उठाए जाते और बैटरी को लेकर उठाए सवालों का काफी हद तक जवाब दे दिया, लेकिन कई चैनल ‘मिलकीपुर’ का चुनाव टलने पर अटके रहे, जबकि आयोग ने बता दिया था कि ‘कोर्ट केस’ होने के कारण टाला गया।

इसी बीच उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली, लेकिन कांग्रेस सरकार में शामिल न हुई। उमर ने यह कह कर कि जम्मू का बराबर का ध्यान रखा जाएगा, अपने बड़े नेता होने का परिचय दिया। लेकिन सबसे मजेदार चर्चा एआइयूडीएफ के नेता बदरुद्दीन अजमल के उस वक्तव्य की रही, जिसमें उन्होंने कहा कि ‘संसद से लेकर वसंत विहार तक की जमीन वक्फ की जमीन है’। ‘मलबे के नए मालिक’ की जय हो! इसके बाद हर एंकर वक्फ के ऐसे दावों को लेकर चकित था।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का जवाब नहीं। एक साल तक कहते रहे कि निज्जर की हत्या में भारत का हाथ है, अब कह दिए कि उनके पास कोई प्रमाण नहीं थे, किसी के कहे पर कह दिए!