पश्चिमी यूपी में प्रथम चरण के वोट पड़ रहे हैं। एबीपी लाइव कवरेज दिखा रहा है और बताए जा रहा है कि ग्यारह बजे तक बागपत में छब्बीस प्रतिशत, मुजफ्फरनगर में सत्ताईस प्रतिशत, फिरोजाबाद में इक्कीस प्रतिशत और मथुरा में पच्चीस प्रतिशत वोट पड़ चुके हैं। हाथरस में एक नब्बे साल के वोटर वोट डालने आते दिखाए जा रहे हैं!
पूरे सप्ताह अपनी रैलियों में पीएमजी दहाड़ते दिखे हैं। उनके भक्त अब भी मोदी मोदी चिल्लाते दिखे हैं, लेकिन कुछ कम मात्रा में! भीड़ वे अब भी खूब खींचते हैं! एक रैली में मोदीजी कहते नजर आए कि जबान संभाल कर बात करो, नहीं तो कुंडली खोल दूंगा।  अखिलेश की रैलियां भी बड़ी हुई हैं और राहुल-अखिलेश की जुगल जोड़ी हिट नजर आती है! दोनों छोरे यानी अखिलेश और राहुल आजकल मधुर व्यंग्य वचनों से बड़ी मीठी मार करने लगे हैं! बाकी नेता अपने-अपने हिसाब से कटु-तिक्त वचनों से काम लेते हैं!  मायावती की रैलियों में कैमरे के सामने बैठी जनता को नहीं दिखाते, वे सिर्फ मायावती पर केंद्रित रहते हैं! इससे उनके सामने की जनता का पता नहीं चलता!

पिछले सप्ताह, जो कुछ दिव्य वचन सुनाई-दिखाई पड़े, उन्हीं में से कुछ का आनंद आप भी लें:
– मेरठ के सुनील मराला के वचन किसी के प्रति: ‘भारतीय जनता पार्टी की सरकार में अगर किसी ने गऊ माता की पूंछ के पास हाथ भी रख दिया तो वो काम करेंगे जो वरुण गांधी ने कहा था, वहीं से उड़ा देंगे!’ एबीपी ने चाहा भी कि कोई ताल ठोके, लेकिन नहीं ठुकी! ऐसे वचन आकाशभाषित होते ही नजर आए!
– पूरे सप्ताह तमिल राजनीति बजती रही। अंगरेजी के पांच चैनलों में तमिल नेताओं के वचन-प्रतिवचन ही बजते रहे:
– पन्नीरसेल्वम ने दबाव में इस्तीफा दिया, लेकिन अब इस्तीफा वापस लेना चाहते हैं!
थूके को चाटने की ऐसी प्रबल भावना देख हमें कवि ओमप्रकाश आदित्य की पुरानी लाइन याद आई, जो उन्होंने पूर्व पीएम वीपी सिंह के इस्तीफे के बाद वीपी सिंह के लिए कही थी: ‘मेरा इस्तीफा लौटा दो वरना इस्तीफा दे दूंगा!’
– एक तमिल नेता के हवाले से चैनलों ने लाइन पर लाइनें मारनी शुरू कीं ‘कि अम्मा को धक्का दिया गया था। उनको मारा गया था। अंगरेज डॉक्टर बोला कि अम्मा को सेप्सिस था, जो उनके अंगों को दूषित कर चुका था, लेकिन जो भी इलाज हुआ ठीक हुआ! लेकिन चैनलों को कहां चैन! वे क्रिटीकल लाइन को पकड़े रहे! पन्नीरसेल्वम को दिन-रात दिखाते रहे! उनको हीरो बनाते रहे!
– चैनलों ने दो दिन बजाया: राज्यपालजी कहां हैं? राज्यपाल बिजी हैं और मुंबई से कल आएंगे या परसों पता नहीं, लेकिन यह तय है कि शशिकला नहीं बन सकतीं सीएम! सात-आठ दिन से तमिलनाडु में जो कुछ हुआ, उसमें अंगरेजी के दो चैनलों का गहरा निवेश लगता रहा।
– सारे चैनल एक ही वचन बजाते रहे: ‘शशिकला सीएम नहीं बन सकतीं’! एक एंकर तो खुलेआम जनता का आवाहन तक करता दिखा!
जब तक ऐसे चैनल हैं तब तक कोई राज्य सरकार और सीएम सुरक्षित नहीं है। वे विपक्षी दल की तरह काम करते दिखते हैं! वे सीएम बनवाने के धंधे में शामिल दिखते हैं! भाजपा की उपस्थिति भी परिपार्श्व में दिखती रही।
जब पांच अंगरेजी चैनल दिन-रात एक लाइन देने लगें कि शशिकला नहीं बन सकतीं, तो फिर डीएमके क्यों न कूदती?
और तो और, हीरो कमल हासन खुद चैनलों पर आकर एक लाइन देने लगे और चैनल हवा बनाने लगे कि क्या राजनीति में आंएगे? रजनीकांत ने भी अपनी पार्टी शुरू करने की खबर बनाई!

– जब इतने से काम नहीं चला तो एंकर सवाल उठाने लगे कि शशिकला कैंप ने अपने समर्थक विधायकों को क्यों एक रिसॉर्ट में कैद कर रखा है?
– कई कानूनी विशेषज्ञ कई बार कहते रहे कि कानूनी आधार पर राज्यपाल को शशिकला को बुला कर फ्लोर टेस्ट के लिए कहना चाहिए, इसमें वे क्यों देर कर रहे हैं?
कुछ विपक्षी वक्ता और एंकर एक साथ कहने लगे कि पहले अदालत शशिकला केस को क्लीअर करे, कल को आरोप सिद्ध हो गए तब क्या फिर बदलेंगे सीएम?
– एक अंगरेजी चैनल बोली लगाता रहा: नया सर्वे ले लो नया सर्वे! ये रहा ताजा ताजा सर्वे! सर्वे ले लो सर्वे! यूपी का ताजा चुनावी सर्वे! यूपी के चुनाव में और दो साल बाद के संसदीय चुनाव में क्या होगा?

जो अंगरेजी चैनल पिछले ओपिनियन पोल में भाजपा को ‘प्रचंड बहुमत’ दे-दिला चुका था वही इस नए पोल के जरिए यूपी की जनता के बदले हुए मूड को बताने लगा और एंकर भाजपा प्रवक्ताओं से ऐसे कष्टकारी वचन कहने लगा: यूपी के चुनाव नोटबंदी या मोदी की सरकार पर जनमत संग्रह है या नहीं? कल तक मोदी-मोदी जाप करने वाला एक निराश प्रवक्ता चेहरा उवाचा: मोदीजी पर नहीं, यूपी चुनाव अखिलेश पर रेफरेंडम होगा! ऐसा ‘यू टर्न’ क्यों?
– पीएमजी के अनमोल वचन पूर्व-पीएमजी के प्रति संसद में: रेनकोट पहन कर नहाने की कला सिर्फ मनमोहनजी को आती है!
इस तिक्त वचन ने कांग्रेस को बेचैन किया और विरोध में उसके सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया! कांग्रेस ने वचन कहे कि ‘पीएम ने पद की गरिमा न रखी’, तो भाजपा से जवाब मिला कि कांग्रेस ने ही कब रखी है गरिमा? अंत में बोले यूपी के लड़के! वे जब बोलते हैं, गजब ढाते हैं: प्रेस कान्फरेंस में अखिलेश बोले: वे (मोदीजी) गुस्सा कम करें। उनका इमोशनल होना बताता है कि (उनकी) जमीन सरक गई है। मन की बात करते हैं, लेकिन काम की बात नहीं करते!  राहुल ने कहा: मोदीजी को जन्मपत्री पढ़नी अच्छी लगती है। मोदीजी को बाथरूमों में झांकना अच्छा लगता है, लेकिन ये काम वे अपने प्राइवेट टाइम में देखें और जनता की सोचें!
पिछले सात दिनों में एक से एक दिव्य वचनामृत बरसे हैं!