आपके जीवन में ऐसे मौके जरूर आते होंगे, जब आप किसी आदमी के बारे में सोचते हों कि वह आपसे दूर चला जाए और आपको अकेला छोड़ दे, मगर उसे आपकी इच्छाओं की फिक्र नहीं होती। ऐसे लोग, जो आपसे चिपके रहते हैं, उन्हें चिपकू (लिंपेट्स) कहा जाता है। मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चाहते होंगे कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उनसे दूर हो जाएं, लेकिन ट्रंप महोदय उनकी इच्छा पूरी नहीं करेंगे।

ट्रंप 2024 में चुनाव जीते और अभी साढ़े तीन साल और वाइट हाउस में जमे रहेंगे

ऐसा लगता है कि ट्रंप मानते हैं कि 22 अप्रैल, 2005 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद शुरू हुए भारत-पाकिस्तान संघर्ष में संयुक्त राज्य अमेरिका भी एक पक्षकार है। हर बार, जब उन्होंने कुछ बोला या लिखा, तो उन्होंने ऐसा ही जाहिर किया कि वे एक पक्षकार हैं। मगर प्रधानमंत्री मोदी ने इसका कोई जवाब नहीं दिया, वे अब तक चुप्पी साधे हुए हैं। मुझे लगता है कि मोदी दुविधा में हैं और उन्हें उस दिन का पछतावा है, जब उन्होंने ‘अबकी बार, ट्रंप सरकार’ (ह्यूस्टन, सितंबर 2019) का नारा दिया था। ट्रंप 2024 में चुनाव जीते और अभी साढ़े तीन साल और वाइट हाउस में जमे रहेंगे।

अन्य नेताओं की तरह, 22 अप्रैल को ट्रंप ने इस घटना पर हैरानी जाहिर की और उसकी निंदा की। 25 अप्रैल को, उन्होंने कहा कि दोनों देश ‘किसी न किसी तरह इस मामले को सुलझा लेंगे’। सात मई को, जब भारत ने जवाबी कार्रवाई की और मिसाइलों और ड्रोन से पाकिस्तान के चुनिंदा ठिकानों पर हमला किया, मगर साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि पूरी तरह युद्ध शुरू करने का उसका कोई इरादा नहीं है, तो ट्रंप ने कहा कि, ‘मैं बस यही कामना करता हूं कि यह शीघ्र समाप्त हो जाए।’ अगले दिन, जब लड़ाई जारी रही, तो उन्होंने कहा कि ‘अगर मैं कुछ मदद कर सकता हूं, तो हस्तक्षेप जरूर करूंगा।’ ये सभी बयान सामान्य थे।

चौंकाऊ और दिलचस्प

आठ और नौ मई की दरम्यानी रात को सब कुछ बदल गया। पता चला कि पाकिस्तान ने चीन निर्मित सैन्य विमान और मिसाइल तथा तुर्किये निर्मित ड्रोन तैनात किए थे। वरिष्ठ भारतीय सैन्य अधिकारियों के बयान के मुताबिक, भारत ने उसके हर हमले को विफल कर दिया। हालांकि कुछ दिनों बाद भारत ने कुछ ‘नुकसान’ स्वीकार किया- युद्ध में दोनों पक्षों को नुकसान होना तय है- लेकिन भारत इसे लेकर बहुत चिंतित नहीं था। न ही भारतीय लोग थे। मगर 10 मई को ट्रंप के अपने व्यक्तिगत सोशल मीडिया साइट ‘ट्रुथ सोशल’ पर किए गए ट्वीट से ‘अलार्म’ बज उठा। शाम 5.25 बजे, ट्रंप ने अमेरिका की मध्यस्थता में पूरी रात लंबी बातचीत का जिक्र किया और लिखा कि ‘यह घोषणा करते हुए मुझे प्रसन्नता हो रही है कि भारत और पाकिस्तान पूर्ण और तत्काल संघर्ष विराम पर सहमत हो गए हैं। दोनों देशों को बधाई…’। कुछ मिनट बाद, अमेरिकी विदेश मंत्री ने ट्वीट किया कि भारत और पाकिस्तान किसी ‘तटस्थ जगह’ पर बातचीत के लिए मिलेंगे। मीडिया ने बताया कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति वेंस ने पिछली रात मोदी के साथ टेलीफोन पर बातचीत में ‘खतरनाक खुफिया जानकारी’ साझा की थी।

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कम से कम, ये ट्वीट दिलचस्प और चौंकाने वाले थे। दस मई को शाम छह बजे भारत के विदेश सचिव ने पुष्टि की कि दोपहर 3.35 बजे दोनों देशों के सैन्य अभियान महानिदेशकों के बीच बातचीत हुई और शाम पांच बजे से संघर्ष विराम हो गया। लड़ाई रुक गई। इसलिए ट्रंप तथ्यों के मामले में गलत नहीं थे। मुझे खुशी है कि हमारे रक्षा बलों ने बहादुरी से लड़ाई लड़ी, कई कामयाबियां हासिल कीं और लड़ाई रुक गई।

गाजर और छड़ी

12 मई को, ट्रंप ने एक ‘परमाणु संघर्ष’ को रोकने का दावा किया और बहुत खराब ढंग से कहा, ‘चलो, अब इसे रोक दो। आप इसे रोकेंगे, तभी हम व्यापार कर सकते हैं। अगर आप इसे नहीं रोकेंगे, तो हम आपके साथ कोई व्यापार नहीं कर सकेंगे।’ (राष्ट्रपति ट्रंप ने सऊदी अरब और कतर की अपनी यात्राओं में अपने बयान दोहराए।) 13 मई को, मोदी जी ने ‘नया सामान्य’ (न्यू नार्मल) निर्धारित किया और घोषणा की कि भारत किसी भी ‘परमाणु धमकी’ के आगे नहीं झुकेगा।

हम निश्चित रूप से अपने रक्षा बलों पर भरोसा बनाए रखेंगे और सरकार द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ उठाए जाने वाले किसी भी निवारक कदम का समर्थन करेंगे। मगर सरकार से तो सवाल पूछे जाएंगे। सवाल पूछना लोकतंत्र में लोगों का अधिकार है।
सवाल और जवाब

कुछ सवाल वाजिब हैं:

  1. त्रिसूत्रीय फार्मूले में कुछ भी नया नहीं है: आतंकवादी हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा; परमाणु धमकी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा; राज्य आतंकवाद और आतंकवाद के सरगना के बीच कोई भेद नहीं किया जाएगा। क्या मोदी जी ने इस सुस्थापित सिद्धांत के तहत केवल एक मोटी लाल लकीर नहीं खींची है?
  2. क्या उपराष्ट्रपति वेंस और सचिव रुबियो ने आठ और नौ मई को भारत से युद्ध विराम के बारे में बात की थी? अगर उन्होंने उन्हीं तारीखों में पाकिस्तान से भी बात की होती, तो क्या यह मध्यस्थता नहीं मानी जाती?
  3. क्या वेंस ने नौ मई, 2025 को प्रधानमंत्री मोदी के साथ ‘खतरनाक खुफिया जानकारी’ साझा की थी? क्या यह परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की पाकिस्तानी धमकी के बारे में ‘खुफिया जानकारी’ थी? अगर नहीं, तो प्रधानमंत्री (12 मई) और रक्षामंत्री (15 मई) ने ‘परमाणु ब्लैकमेल’ का उल्लेख क्यों किया?
  4. राष्ट्रपति ट्रंप को दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच दोपहर 3.35 बजे हुए युद्ध विराम समझौते के बारे में कैसे पता चला और उन्होंने शाम 5.25 बजे अपने ट्वीट में इसकी घोषणा कैसे की?
  1. ट्रंप के दो अप्रैल को शुल्क युद्ध शुरू करने के बाद, क्या भारत ने जवाबी प्रस्ताव नहीं भेजे? क्या वेंस ने भारत दौरे के दौरान मोदी जी के साथ ‘व्यापार समझौते’ का विषय नहीं उठाया? (स्रोत: टीओआई, एचटी)
  2. क्या भारत ने ट्रंप के संघर्ष विराम में मध्यस्थता करने और युद्ध विराम के लिए व्यापार का उपयोग करने के बार-बार किए गए दावों के खिलाफ अमेरिका के समक्ष विरोध जताया है?
  3. भारत ने पाकिस्तान को मिले आइएमएफ ऋण के खिलाफ मतदान क्यों नहीं किया?
    सवाल और भी हैं, लेकिन उन्हें उठाने का यह न तो समय है और न उचित जगह। ट्रंप अदम्य हैं, वे जल्दी नहीं जाएंगे, शर्मनाक बयान देते रहेंगे, और इस तरह और सवालों के लिए पर्याप्त सामग्री उपलब्ध कराते रहेंगे। क्या हमें इन सवालों के जवाब मिलेंगे या चुप्पी ही जवाब है?