अथ एक मुस्लिम नेता जी उवाच कि जिन्होंने अतीक की हत्या की वे गोडसे के नुत्फे (बीज) से पैदा हुए हैं। ये तीनों ‘टेरर माड्यूल’ के हिस्से हैं, इनको कहा गया कि गोड्से का ख्वाब पूरा करना है..! इसी बीच पटना में नारे लगते दिखते हैं: ‘शहीद अतीक अमर रहे’। एक भक्त प्रवक्ता: देखो-देखो! गली के गुंडे को शहीद कहा जा रहा है! एक अंग्रेजी चैनल: देखो-देखो! अतीक को कर्नाटक में चुनावी मुद्दा बनाया जा रहा है। एक दल का सितारा प्रचारक अतीक के कसीदे गा रहा है।

फिर एक मंत्री जी कहिन कि अतीक को विपक्ष ने मारा। फिर एक चैनल यह कह देता है: अलकायदा अतीक की हत्या का बदला लेगा। एक भक्त प्रवक्ता कहता है: यह हिंसा के लिए भड़काना है। फिर एक दिन कई चैनलों पर एनसीईआरटी द्वारा पाठ्यक्रम बदलने की खबर और विवाद: सेकुलर कहिन कि ‘मुगल’ गए, ‘डारविन’ गया। समिति ने बच्चों का बोझ हल्का किया। पाठ्यक्रम भारत केंद्रित बनाया। अभिनव गुप्त, न्याय, वैशेषिक दर्शन पर जोर..! प्रतिक्रिया में 1800 वैज्ञानिकों द्वारा ‘डारविन’ को हटाने का विरोध! एक जबाव कि डारविन आज ‘आउट आफ डेट’ है। बहरहाल, इस बार चैनलों में बहुत विरोध नहीं दिखा।

जंतर मंतर पर कुछ ‘राजनीतिक पहलवान’ भी धरने पर दिखे।

लेकिन यूपी वाले बाबाजी का जबाव नहीं। वे फिर कह दिए कि ‘न कर्फ्यू, न दंगा, यूपी में सब चंगा!’ इस बीच एलन मस्क ने फिर एक ‘ट्विटर लीला’ की। पहले डिफाल्टरों के ब्लूटिक हटाए, फिर कुछ सेलीब्रिटियों को दे दिए। फिर एक दिन सारे नामी पहलवान ‘यौन उत्पीड़न’ की जांच की मांग को लेकर ‘जंतर मंतर’ पर धरने पर बैठते दिखे। सभी नाराज कि पुलिस शिकायत तक नहीं लिखती। फिर सुप्रीम कोर्ट से गुहार। इस बार कुछ ‘राजनीतिक पहलवान’ भी धरने पर दिखे।

फिर एक दिन शरद पवार उवाच कि ‘महा विकास अघाडी’ कब तक है, नहीं मालूम। एक चैनल उछलता है कि ये ‘टेक्टोनिक शिफ्ट’ है और बहसों में ‘गठबंधन’ हिलते-हिलते रह जाता है। फिर एक दिन बिहार के एक आइएएस अफसर की हत्या में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद महाबली आनंद मोहन की वक्त से पहले रिहाई की खबर आती है। सौजन्य: जेल नियमों में किए गए संशोधन! छूटते ही महाबली एक दल के प्रवक्ता के लिए ‘सम्माननीय’ हो उठते हैं। एक चैनल व्यंग्य में लाइनें लगाता है: ‘जेल के ताले टूटेंगे, बिहार में गुंडे घूमेंगे..!’

मजा ये कि बिहार का विपक्ष तक इस अन्याय का विरोध करता नहीं दिखता। विपक्ष के एक बडे नेताजी के लिए यह महाबली ‘बेचारा’ है, जबकि दूसरे की नजर में वह ‘अपराधी’ है। कैसे दिन आ गए हैं कि माफिया डान अतीक ‘अतीक जी’ हो जाता है और महाबली आंनद मोहन ‘सम्माननीय आनंद मोहन जी’ हुआ जाता है! अगर आप अपनी जाति के महाबली हैं तो आप कुछ भी कर गुजरें आप ‘आपजी’ हैं।

इसके बाद बहसें निर्लज्ज हो उठती हैं: जो एक वक्त चाहते रहे कि यह बाहुबली कभी बाहर न आए, वही जेल नियमों को बदलकर उसके बाहर आने की व्यवस्था करते हैं और भीड़ के हाथों मार डाले गए आइएएस अफसर कृष्णैया की पत्नी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से गुहार लगाती नजर आती है और बेटी सुप्रीम कोर्ट जाने की कहती दिखती है, ताकि ऐसे लोगों को पूरी सजा मिले। यह कैसा सामाजिक न्याय है सर जी! एक दिन एक चैनल की ‘समिट’ में प्रधानमंत्री का गजब का संबोधन होता है और चैनल का एंकर मंत्रमुग्ध हो उठता है। गद्गद दिखता वह अपने चैनल की उपलब्धियों को गिनाता है और प्रधानमंत्री को अपना प्रेरणा-स्रोत कहता है।

इस बीच दो विस्फोटों की आतंकी कहानियां अचानक हस्तक्षेप करती हैं: पहली पुंछ में एक आतंकवादी विस्फोट की कहानी है, जिसमें पांच जवान शहीद होते हैं। दूसरी दंतेवाड़ा में नक्सलियों द्वारा एक विस्फोट के जरिए ग्यारह सुरक्षा बलों को ले जा रही गाडी के परखच्चे उड़ा देने की कहानी आतंकवादियों और नक्सलियों की बढ़ती चुनौतियों की खबर देती हैं।

फिर एक दिन प्रधानमंत्री की ‘मन की बात’ के सौवें एपीसोड के समारोह में आमिर खान की उपस्थिति बहुत कुछ कह जाती है। प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ के जरिए अपने को सीधे आम आदमी से जोड़ा है और फिर भी यह एक ‘गैरराजनीतिक कार्यक्रम’ है। आखिर में एक बड़े दल के अध्यक्ष जी एक सभा में बोल उठते हैं कि ‘जहरीले सांप’ की तरह है मोदी… जहर चखेंगे तो आप मर जाएंगे..! इतने वरिष्ठ सरजी और ऐसी हल्की जुबान? एक एंकर बोला: यह एक और ‘सेल्फ गोल’ है!

फिर एक दिन एक चैनल पर ‘द केरल स्टोरी’ का ट्रेलर! फिल्म बनाने वाले बताते रहे कि काफी शोध के बाद यह फिल्म बनाई है। इसमें केरल की 32,000 युवतियों का धर्म परिवर्तन करके और फिर ‘आइएसआइएस’ में भरती करने और अफगानिस्तान और यमन में उनके जीवन के नरक की कहानी कही गई है! और अंत में फिर एनसीपी के सबसे बडे नेताजी का ‘रोटी को न पलटो तो जल जाती है, रोटी को पलटने का वक्त आ गया है…’ वाला मुहावरेदार व्यंजना वाक्य! अब लगाते रहो इसके अर्थ!