कई चैनलों में सोरोस ही सोरोस छाया रहा। नए-नए सोरोस विशेषज्ञ बताते रहे कि जार्ज सोरोस है ही ऐसा दुष्ट। वह सरेआम सरकारें गिराने का धंधा करता है। एक एंकर ने बताया कि भारत पर उसकी खास ‘नजर-ए-इनायत’ है। बहसें बताती रहीं कि उसका एक बंदा राहुल की यात्रा में था। वह शाहीनबाग में था। वह किसान आंदोलन में था। वह दिल्ली के दंगों में था… वह जनतंत्र का दुश्मन है। वह भारत का दुश्मन है। भारत के कई नामी ‘एक्टिविस्ट’ उसके ‘वेतन’ पर हैं। उनमें से एक तो पिछली सरकार की ‘सलाहकार परिषद’ तक में था…

सोरोस ऐलान कर चुके हैं कि अडानी गिरेगा तो यह सत्ता गिरेगी, तो आओ गिराएं, चौबीस में हराएं, आओ सोरोस को लाएं… कई चैनलों ने अमेरिकी और आस्ट्रेलियाई विशेषज्ञों से सोरोस की षड्यंत्रकारी राजनीति का पर्दाफाश कराया। एक विशेषज्ञ ने तो सोरोस के पैसे पर काम करने वालों की सूची तक गिना दी।

ऐसी हर बहस में सोरोस के कुछ लठैत भी दिखे, जो सोरोस के खुले षड्यंत्रकारी होने को भी यह कहकर सही ठहराते रहे कि सरकार ने ऐसी नौबत ही क्यों आने दी कि कोई बाहर वाला बोले? यानी दोष षड्यंत्रकारी का नहीं, जिसके खिलाफ षड्यंत्र किया जा रहा है, उसका है!
है न गजब का तर्क, सर जी!

बहरहाल, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक चैनल से लंबी बातचीत में सोरोस की इस खुली दुरभिसंधि की राजनीति को ‘पालिटिक्स बाई अदर मीन्स’ (दूसरे माध्यमों से राजनीति) बताया! एक विशेषज्ञ ने साफ किया कि षड्यंत्र का सिद्धांत अपनी जगह है, लेकिन आंख की असल किरकिरी भारत के विकास की कहानी है। इस बीच चुनाव आयोग ने शिवसेना के चुनाव निशान को शिंदे खेमे को जैसे ही ‘आबंटित’ किया कि तुरंत आफत आई। उद्धव गुट के एक प्रवक्ता ने तुरंत आरोप लगाया कि दो करोड़ का लेन-देन हुआ… फिर मामले को संभालते हुए एक शीर्ष नेता ने एक ‘शिष्टकूट’ वाक्य कहा कि हमारा चुनाव चिह्न चोरी किया गया…

निकाह नहीं, तब तक शादी नहीं…, सात फेरे नहीं, तब तक शादी नहीं…!

बलिहारी वक्त की, जरा-जरा-सी बात पर चर्चित हो उठने वाली अभिनेत्री स्वरा भास्कर, फहाद से ‘सिविल मैरिज’ करके भी चर्चा में न आ सकीं। सिर्फ एक हिंदी चैनल पर एक मौलाना कहिन कि जब तक निकाह नहीं, तब तक शादी नहीं… उधर एक हिंदूवादी भी कहिन कि जब तक सात फेरे नहीं, तब तक शादी नहीं…!

सब एकजुट हो जाएं तो भाजपा सौ तक सिमट जाएगी…

फिर एक दिन एक बड़े नेताजी के मन में एकता का लड्डू फूटा। एक भरत वाक्य बोल दिए कि सब एकजुट हो जाएं तो भाजपा सौ तक सिमट जाएगी… संग खड़े एक कांग्रेसी नेता ने तुरंत सारे उत्साह में सुई चुभोई कि प्यार में एक समस्या आती है कि ‘आइ लव यू’ कौन कहेगा… कुछ देर दृश्य में हंसी अटकी रही, फिर दूसरे नेता ने दूसरी सूई चुभोई कि हमने भाजपा से समझौता कभी नहीं किया… यानी एकता की टांय टांय फिस्स!
बहस के बीच एक चैनल बताता रहा कि इन दिनों सात-आठ चेहरे प्रधानमंत्री के दावेदार हैं और ‘इलू इलू’ की तो बात क्या, इनमें से कई तो एक-दूसरे से ‘हलो’ तक नहीं करते!

नफरत के बाजार में मुहब्बत की यह कैसी दुकान

फिर एक दिन गृहमंत्री ने कहा कि सरकार समान नागरिक संहिता की दिशा में आगे बढ रही है’, मगर मुद्दा चर्चा में न आ सका! फिर कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने एक प्रेस वार्ता में ‘गौतम दामोदर दास… गौतम दास है कि दामोदर दास’ (और फिर हंसी…) जैसा कुछ बोल दिया और आफत बुला ली। इसके बाद तो हर चैनल पर बहसें थीं। आहत पक्ष के प्रवक्ता कहिन कि नफरत के बाजार में मुहब्बत की यह कैसी दुकान कि पीएम का अपमान, कि जब-जब पीएम पर हमला किया गया, तब तब वो जीते…

जवाब में प्रवक्ता पक्ष कहिन कि ‘जर्सी गाय’, ‘पचास करोड़ की गर्लफ्रेंड’ किसने कहा? यह किसने कहा, वह किसने कहा? इधर बहसें चलती रहीं, उधर प्रवक्ता पर एफआइआर होती रहीं। जब गुरुवार को असम पुलिस ने प्रवक्ता को हवाई जहाज से उतार कर गिरफ्तार किया, तो हर चैनल पर सीधा प्रसारण होता रहा और तू तू मैं मैं चलती रही। जब अदालत ने जमानत दी, तो बहसें निपटीं! बहरहाल, सारे प्रकरण ने जता दिया कि आप लाख कहें कि ‘जबान संभाल के’ बात करिए जी, लेकिन इन दिनों कुछ बड़े लोगों की जबान या तो फिसल जाती है या फिसला दी जाती है! ऐसी ही एक उत्साहवर्धक घड़ी में खड़गे जी उवाच दिए कि 2024 में कांग्रेस की सरकार बनेगी… इसका जवाब भी तुरंत आया कि कांग्रेस दूरबीन से भी देखने पर न मिलेगी यानी कांग्रेस को ढूंढ़ते रह जाओगे…

इसके बाद ‘कट टू’ भिवानी, फिर ‘कट टू’ मोनू मानेसर, कि दिखने लगी एक जली हुई जीप, कि जिसमें दो कंकाल दो मुसलिम नौजवानों के, कि फिर आरोप कि ये गो तस्कर थे, कि प्रत्यारोप कि हिंदू उपद्रवी समूह ने सामूहिक हिंसा की, कि मांग कि मोनू को गिरफ्तार करो, कि खाप पंचायत हरकत में, कि फिर एक राज्य की पुलिस द्वारा दूसरे राज्य की पुलिस की पकड़-धकड़… सवाल कि पंचायत बड़ी कि सरकार?

फिर एक ‘फतवा’ कि दाढ़ी नहीं, तो स्कूल नहीं और चार बच्चे बाहर। बिना दाढ़ी वाले एक उदार मुसलिम बुद्धिजीवी कहिन कि अगर उनको निकाल दोगे, तो कौन पढ़ने आएगा। यों भी मुसलमान में शिक्षा कम है… मुसलिम बच्चे को कुएं का मेढक मत बनाओ… गुरुवार को खालिस्तानवादी अमृतपाल सिंह के समर्थकों द्वारा पंजाब के अजनाला थाने पर हमला करके अपने एक साथी को छुड़ा कर ले जाने और राज्य सरकार के हतप्रभ बने रहने की खबर ने सबसे अधिक चौंकाया! एक चर्चा में एक एंकर ने दो टूक कहा कि पंजाब में अराजकता है। इस पर भी सत्ता प्रवक्ता का कहना रहा कि हमें आम नागरिकों की चिंता है!