Pakistan Baloch insurgency: दशकों से पाकिस्तान के सैनिक शासकों ने दहशत को बढ़ावा दिया है, सो पिछले सप्ताह जब बलूच आतंकवादियों ने एक ट्रेन में सौ से ज्यादा यात्रियों को बंधक बनाया, तो दुनिया के मीडिया ने उसे खास तवज्जो नहीं दी। भारत में वह खबर सुर्खियों में रही एक दो दिन, लेकिन वह दर्द जो होना चाहिए बेगुनाह लोगों को मारा जाता देख कर, वह नहीं दिखा। कैसे दिखेगा, जब हमारे देश के अंदर इतनी बार बेगुनाह लोगों का पाकिस्तानी आतंकवादियों ने ऐसे शिकार किया है जैसे वे इंसान ही न हों।

पाकिस्तान किसी की नसीहत नहीं सुनता है

मुंबई में आज भी जब उन जगहों से गुजरती हूं, जहां अजमल कसाब और उसके साथियों ने लोगों को मारा था, तो 26/11 की यादें ताजा हो जाती हैं। पाकिस्तान को कई बार नसीहत दी है दुनिया के बड़े नेताओं ने कि आतंकवादियों को पालना खतरे से खाली नहीं है, लेकिन इस मुल्क के सैनिक शासकों ने किसी की नहीं सुनी। एक बार जब अमेरिकी राजनेता हिलेरी क्लिंटन पाकिस्तान में थीं बतौर खास सरकारी मेहमान, उन्होंने अपने भाषण में खुलकर कहा था कि जो लोग सांप पालते हैं अपने आंगन में, उन्हें याद रखना चाहिए कि कभी न कभी वे सांप उनको डंस सकते हैं। इस नसीहत के बावजूद, पाकिस्तान पालता रहा आतंकवादियों को, शरण देता रहा उसामा बिन लादेन जैसे दहशतगर्दों को।

अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के पीछे भी पाकिस्तान का हाथ है, और आज वहां महिलाओं को पूरी तरह अदृश्य कर दिया गया है। महिलाएं न बाहर जा सकती हैं बिना बुर्के में खुद को लपेटे, न नौकरी कर सकती हैं, न पढ़ सकती हैं। कुछ महीने पहले तालिबान शासकों का फरमान आया कि उन्हें खिड़कियों पर नहीं आना चाहिए, ताकि गलती से भी कोई उनको देख न ले। पाकिस्तान के सैनिक शासकों ने तालिबान को न पाला-पोसा होता, तो शायद तालिबान नाम की यह जिहादी संस्था होती ही नहीं। जबसे नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, हम जैसे पत्रकारों के लिए पाकिस्तान आना-जाना तकरीबन पूरी तरह बंद हो गया है, मगर एक जमाना था जब हम वहां जाया करते थे, जब भी कोई बड़ी राजनीतिक घटना होती थी।

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उन दिनों मैं अक्सर जाया करती थी पाकिस्तान, सो मैंने अपनी आंखों से देखा है कि किस तरह आतंकवादियों को खास मेहमान की तरह रखा जाता है उस देश में। पेशावर में मैं मिली हूं उन सारे अफगान जिहादी नेताओं से, जो आगे जाकर अफगानिस्तान के शासक बने थे। लाहौर के एक गुरुद्वारे में मैं मिली हूं खालिस्तानी आतंकवादियों से, और देखा है कि किस तरह हाफिज सईद जैसे दरिंदे को सरकारी संरक्षण में रखा गया है। एक बार जब मैं वापस भारत आ रही थी तो एअरपोर्ट पर एक सिपाही मिला, जिसने मुझसे कहा कि ‘आप सिखों को हमारे सदर जिया उल-हक का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि उन्होंने बहुत मदद की है आपकी।’

मैंने मुस्कराकर उसकी बात टाल दी थी, लेकिन वापस दिल्ली आकर अपने लेख में विस्तार से लिखा था कि कैसे मैं ननकाना साहब गुरुद्वारे में गई थी और वहां लोगों से बातें की, तो मालूम हुआ कि आपरेशन ब्लू स्टार के बाद भिंडरांवाले के कई नौजवान साथी यहां आए थे और उनको आतंकवाद का प्रशिक्षण पाकिस्तानी सेना के अफसरों से मिला था। वापस जब अपने पंजाब में आए, तो एक पूरे दशक तक इतना आतंक फैलाया था कि शाम के छह बजने के बाद कोई भी बाहर नहीं निकलता था डर के मारे। हर गांव में हुआ करते थे उनके जासूस और हथियारबंद सिपाही, हर गुरुद्वारे के अंदर हुआ करते थे इनके अड्डे। दहशत के उस दौर को समाप्त किया था केपीएस गिल ने, आतंकवादियों के साथ वही सलूक करके, जो वे किया करते थे पुलिसवालों के साथ, और उनके साथ भी जो उनकी नजर में पुलिस के मुखबिर थे।

पंजाब में हालत सुधरे, तो पाकिस्तान ने कश्मीर में आतंक फैलाया और घाटी के शहरों-कस्बों में वही हाल हुआ, जो पंजाब में कभी था। रात होने से पहले लोग अपने घर लौट जाते थे। कश्मीर में इसलिए कि जिहादियों को आम लोगों का काफी समर्थन मिला, जिहादी आतंकवाद को समाप्त करने में देर भी लगी और सख्ती भी बरतनी पड़ी इतनी कि आज भी श्रीनगर की हर दूसरी गली में पहरा देते हैं हमारे सैनिक और सुरक्षाकर्मी। मुंबई हमले के बाद हमारी सरकार ने सबूत दिए पाकिस्तान को कि हमले के दौरान जो दस हत्यारे इस शहर में भेजे गए थे, वे हर कदम पर किसी पाकिस्तानी फौजी अफसर से संपर्क करके आगे बढ़ रहे थे। इन सबूतों को लेकर फिल्में बनी हैं, किताबें लिखी गई हैं, लेकिन आज तक पाकिस्तान सरकार मानने को तैयार नहीं है कि उस हमले के पीछे उसकी सेना थी।

सो, अब जब पाकिस्तान के अंदर ही हमले कर रहे हैं उसी किस्म के लोग, जिनको प्रशिक्षित किया था पाकिस्तानी सेना ने, तो हम क्यों आंसू बहाएं? पिछले सप्ताह ट्रेन को बंधक बनाने वालों ने औरतों और बच्चों को ढाल बना कर अपना बचाव करने की कोशिश की थी। कई बेगुनाह लोग मारे गए हैं, लेकिन पूरी खबर किसी को नहीं मालूम अभी तक, क्योंकि पाकिस्तानी सेना ने असलियत छिपाने के लिए पूरी तैयारी कर रखी है। कभी न कभी हकीकत सामने आ ही जाएगी। पर, सवाल है कि क्या पाकिस्तान के सैनिक शासक आतंकवादी गुटों को तैयार करना बंद कर देंगे या नहीं? मेरा खयाल है कि इनमें से कई गुट अब बेकाबू हो चुके हैं और वे अपने आकाओं को डंसने लगे हैं। जब कोई अपने आंगन में सांप पालता है, तो ऐसा ही होता है।