अगर हमारे शब्दकोश में ‘लगभग’ और ‘कुछ कुछ’ शब्द न हों, तो हमारा काम न चले! एक बोले कि ‘ठेकेदार’ हारे। दूसरे बोले कि ‘अहंकार’ हारा। तीसरा बोला कि ‘रिवाज’ जीता! कुछ विश्लेषकों के अनुसार, कहीं जीता ‘विकास’, कहीं जीती ‘रेवड़ी’ और कहीं जीती ‘पुरानी पेंशन योजना’!

जिन्होंने बंद की पेंशन, वही कहने लगे कि हम देंगे पुरानी पेंशन! कैसी गजब की राजनीतिक कलाबाजी और क्या गजब का ‘पेंशन का अर्थशास्त्र’!
एक ने कहिन कि हम दिल्ली जीतन, दूसरे कहिन कि हम भी दिल्ली ‘जीतन’! पहला ‘जीतन’ बोला कि सर्वाधिक सीट हम ‘जीतन’, तो हारा हुआ बोला कि वोट फीसद में सर्वाधिक फीसद हम ही ‘जीतन’!

प्रवक्ताओं की चुनौती कि अपनी हार को जीत कैसे सिद्ध करें और दूसरे की जीत को हार कैसे बताएं और कुछ नहीं तो हार को अपनी ‘नैतिक जीत’ कैसे जताएं! कभी ‘हारे को हरिनाम’ हुआ करता था और मन को समझा लिया जाता था, लेकिन आज हारा हुआ भी अपने को येन-केन जीता हुआ दिखाता है! क्या कर सकते हैं आप?

इन दिनों दलों के दिल इतने छोटे हो गए हैं कि उनके प्रवक्ता अपने रकीब की जीत पर दिल खोल कर बधाई तक नहीं दे पाते! एक विश्लेषक ने बताया कि इन चुनावों का एक ही सबक है कि ‘कांग्रेस’ को कम न समझना और ‘आप’ को भी कम न समझना! सच! ‘जहां काम आवै सुई कहा करे तलवार!’

एक एंकर बोला कि इन चुनावों से 2024 का रास्ता भी साफ हुआ! जिन्होंने कहा कि हिमाचल का ‘रिवाज’ बदलेगा, लेकिन जब न बदला तो कहने लगे कि सीट भले ही वो चालीस ले गए, हम पचीस पर रह ही गए, लेकिन वोट फीसद में हम उनसे सिर्फ ‘दशमलव छह’ फीसद ही पीछे रहे!

चुनाव परिणामों से पहले एक ने कहा था कि लिख लो हम जीत रहे हैं। दूसरे ने कहा था कि हम अब तक के सारे रिकार्ड तोड़ेंगे! तीसरे ने कहा था कि हम तो गुजरात में चुपके-चुपके काम कर रहे हैं जी! हम ही बनाएंगे इस बार सरकार! लेकिन जनता ने बना दी भाजपा के अभूतपूर्व बहुमत की सरकार! ऐसा बहुमत जो किसी राज्य में न कभी देखा, न सुना!

गुजरात की जनता ने अपने ‘रिकार्ड का रिकार्ड’ भी तोड़ दिया! ‘182’ में से ‘156’ सीटें भाजपा की गोद में, बाकी में कांग्रेस, आप और अन्य!
एक भाजपा नेता ने संपुट लगाया कि जैसे गुजरात में जीते, वैसे ही 2024 में जीतेंगे!

एक चैनल ने अपनी खिसियाहट निकाली और कहा, जिस मोरबी में पुल दुर्घटना में इतने लोग मरे, वहां से तीनों सीटों पर भाजपा जीती! पता नहीं चैनल वाले किसे कोस रहे थे? भाजपा को या कि मोरबी की जनता को? चुनाव परिणामों का विश्लेषण करते हुए एक एंकर बोला कि गुजरात में ‘प्रोटो टाइप हिंदू राष्ट्र’ जीता!

हाय! ये क्या कह दिया! जो गुजरात में हुआ, अगर वही 2024 में देश में हो गया तो आपका क्या होगा जनाबे आली! एक सच तो ‘एक्जिट पोलों’ ने ही कह दिया था, लेकिन हिमाचल को लेकर एक चैनल का ‘एक्जिट पोल’ लगभग सटीक दिखा। उस पोल वाले ने ‘घुटना डांस’ भी किया। अन्य ‘एक्जिट पोलों’ के विपरीत उसने हिमाचल में कांग्रेस को जीतते दिखाया और यही हुआ। आखिरी सच मतगणना ने बता दिया!

जीत हार के इस नशे में लोग चुनाव आयोग को भूले ही रहे, जिसने ऐसा साफ-सुथरा चुनाव कराया कि एक भी जगह दुबारा मतदान की जरूरत नहीं पड़ी! अगले रोज चैनल अपनी-सी पर आ गए और पूछने लगे कि आगे का एजंडा क्या? जो गुजरात में हुआ, क्या वही 2024 में होगा? गुजरात के चुनाव के मायने क्या?

हिंदी का एक चैनल पूरे दिन के लिए एक मुद्दा छेड़ कर बैठ गया कि ‘बीजेपी का मिशन 2024’ और चर्चा की शुरुआत कराई भाजपा से! साफ है: चौबीस की चढ़ान अभी से शुरू! मैनपुरी की सीट पर सपा जीती और रामपुर और बिहार की एक सीट पर भाजपा जीती, लेकिन खतौली में भाजपा हारी! यानी, कुछ खट्टा कुछ मीठा!