बच्चों, ‘संधि नियम’ रटो : ‘उप’ माने ‘उत्तर प्रदेश’ और ‘योगी’ माने ‘योगी’ और दोनों को मिला दो तो बनता है ‘उपयोगी’! इस तरह ‘योगी’ बराबर ‘उपयोगी’! ‘उपयोगी’! योगी बड़े ‘उपयोगी’! एकदम गलत : ‘उपयोगी’ नहीं ‘अनुपयोगी’! योगी के आगे ‘अन’ लगाइए, तो ‘उपयोगी’ हो जाते हैं ‘अनुपयोगी’! अनुपयोगी! अनुपयोगी! अनुपयोगी! उपयोगी नहीं, ‘अनुपयोगी’ कहिए!

एक कांग्रेसी प्रवक्ता उवाच : रावण हिंदुत्ववादी! कंस हिंदुत्ववादी! दुर्योधन हिंदुत्ववादी! अपने नेता नित्य की तू-तू मैं-मैं के जरिए भाषा और संस्कृति का ज्ञान बढ़ा रहे हैं और बावली जनता की ताली पा रहे हैं! चुनाव हैं तो नेता हैं, नेता हैं तो भीड़ें हैं, भीड़ें हैं तो ताली है! लेकिन भीड़ें हैं तो ओमीक्रान की तीसरी लहर बनने का खतरा भी है!

कई दिन से कई एंकर रैलियों पर रोक लगाने की पैरवी कर रहे हैं, लेकिन चुनाव आयोग कान नहीं दे रहा! एक परम राष्ट्रवादी एंकर दो दिन से चीख-चीख कर कह रहा है कि बूस्टर लगाओ, वरना ओमीक्रान आ जाएगा और जनता को खा जाएगा, इसलिए अभी दो बूस्टर! तुरंत दो बूस्टर! और नहीं तो मुझे लगा दो बूस्टर!

विशेषज्ञ विभाजित हैं : कुछ कहते हैं कि बूस्टर दो! कुछ कहते हैं कि आंकड़ा नहीं कहता कि दो! कई चैनल और विपक्ष बूस्टर देने की जिद पर हैं, तो सरकार ‘इंतजार और अभी और अभी और अभी’ वाली लाइन पर है!

ऐसी हर खबर के पहले और बाद में चैनल बाजारों में भीड़ों को दिखा कर डराते हैं कि बताइए, तीसरी लहर कैसे न फैले? एक एंकर जोर-जोर से चिल्लाता है : ओमीक्रान के पांच मामले और बढ़े! कुल संख्या दो सौ तीस हुई, फिर कहता है कि दो सौ तैंतीस हुई! देखा, बीस दिन में दस हजार गुना वृद्धि!

फिर एक डर बेचा जा रहा है! बूस्टर लाबी खुल कर खेल रही है! इतना बड़ा बाजार देख वैश्विक टीका कंपनियों के मुंह से लार टपक रही है! कहीं बिल गेट्स लाइन दे जाते हैं, तो कहीं अमेरिका बूस्टर की मांग पैदा कर जाता है! कई विशेषज्ञ सुझाव देने लगे हैं कि चुनावों की तिथि आगे बढ़ाएं!

फिर एक दिन अचानक खबर टूटती है! एक चैनल दिखाता है कि एक नौजवान छलांग मार कर गर्भगृह की रेलिंग फांद कर पवित्र तलवार उठाता दिखता है कि वहां मौजूद लोग उसे पकड़ लेते हैं और फिर इस ‘बेअदबी’ की हरकत की प्रतिक्रिया में उसके ‘लिंच’ कर दिए जाने की खबर आती है!

फिर अगले रोज कपूरथला के एक गुरुद्वारे से एक और व्यक्ति द्वारा ‘बेअदबी’ करने और उसके ‘लिंच’ कर दिए जाने की खबर आती है! फिर दो दिन छोड़ लुधियाने की अदालत के परिसर से बम विस्फोट में एक के मारे जाने और कइयों के घायल होने की खबर आती है और देखते-देखते पंजाब के चुनाव ‘आतंकवाद’ से जुड़ते दिखाए जाने लगते हैं!

एक नेता बोले कि 2014 के पहले लिंचिंग शब्द नहीं सुना गया, तो दूसरा बोला 1984 में सबसे बड़ी लिंचिंग हुई और सबसे बड़े लिंचर रहे आपके एक पूर्व पीएम! लेकिन धन्य हमारे दल और नेता कि सब बेअदबी की तो निंदा करते हैं, लेकिन ‘लिंच’ कर दिए गयों के लिए एक शब्द भी नहीं कहते! सिर्फ एक एंकर ने ताना मारा कि इस मुद्दे पर सभी दलों के नेताओं के मुंह में दही क्यों जम जाता है!

और फिर एक दिन वह दाक्षिणात्य ‘खुला खेल फर्रुखाबादी’ कि एक के बाद एक पांच मोटर साइकिलों पर दस सवारों का एक गली में घुसना और कुछ देर बाद एक संघी कार्यकर्ता को लिंच कर एक-एक कर बाहर निकल जाना… यह एक ‘परफेक्ट फिल्मी एक्शन सीन’ था जो दक्षिण की फिल्मों में अक्सर दिखता है, जो साक्षात जीवन में दिखा!

खबरें बताती रहीं कि इससे पहले एक एसडीपीआई के कार्यकर्ता को मारा गया था! इस पर एक चैनल ने दो मिनट चिंता की! जब सभी ने बदले की कार्रवाई कह कर इसे ‘नार्मलाइज’ कर दिया, तो इस कांड की ‘इतिक्रिया’ हो गई!

लिंचिंग के अलावा इन दिनों कोई एंकर बूस्टर बेच रहा है, तो कोई तीसरी लहर का डर बेच रहा है! एक एक्सपर्ट कहता है कि फरवरी के अंत तक हर दिन ‘ओमीक्रान’ के डेढ़ से पौने दो लाख मामले आएंगे! सो, बूस्टर दो! एक एंकर भी बूस्टर बेचता है!

एक कहता है कि चुनावी रैलियों में भीड़ बनाना बंद करो! नहीं तो तीसरी लहर आ जाएगी! बूस्टर कंपनियां मस्त कि अब मिला उनके बूस्टर को इतना बड़ा बाजार! फिर एक दिन सरकार ने आधार कार्ड और वोटिंग कार्ड को जोड़ने वाला विधेयक हो-हल्ले के बीच पास कर दिया, तो फिर हाय हाय हुई! एक बार फिर जनतंत्र पर ‘खतरा’ बढ़ा!

और फिर एक दिन चैनलों ने ऐश्वर्या राय बच्चन को प्रवर्तन निदेशालय के दफ्तर आते जाते दिखाया और बाद में जया बच्चन को शाप देते दिखाया : मैं श्राप देती हूं कि तुम्हारे बुरे दिन आने वाले हैं!