एक दिन खबर आई कि ‘जम्मू एअर फोर्स स्टेशन’ पर ड्रोनों से हमला किया गया है और दो विस्फोटों से कुछ नुकसान हुआ है। इस खबर को बहुत से चैनलों ने दो दिन तक लगातार बजाया! इसके बाद कई चैनलों को रोज-रोज ‘ड्रोन’ दिखने लगे। एक दिन चार ड्रोन दिखे। फिर वे सात हो गए। फिर वे तेरह हो गए!
एक एंकर ने ज्ञान दिया कि ये ‘ड्रोन’ पाक को चीन ने दिए थे, वह उन्हीं का उपयोग कर रहा है। शुरू में चैनल बताते रहे कि इस हमले को आतंकियों ने अंजाम दिया है, फिर तीन दिन बाद कहने लगे कि इसके पीछे आइएसआइ का हाथ है! यह तो पहले भी बताया जा सकता था। लेकिन तीन दिन तक कहानी कैसे खिंचती? असली चीज है खतरे को खींचना! अब देखिए न! एक ओर पाक के ड्रोनों का खतरा, दूसरी ओर कोरोना के नए स्वरूप डेल्टा प्लस से खतरा!
एक चैनल ‘डेल्टा प्लस’ के ‘खतरनाक खतरे’ को देर तक बेचता रहा। विशेषज्ञ कहते रहे कि कोई चिंता की बात नहीं, लेकिन एंकर को चाहिए था ‘खतरा’ और विशेषज्ञ उसे निराश करते थे! फिर एक शाम एक छिद्रान्वेषी एंकर ‘तीसरी लहर’ का स्वागत करने के लिए देर तक आकुल रहा। वह तो आइसीएमआर ने समझाया कि बंधु, डरने की कोई जरूरत नहीं। तीसरी लहर दूसरी से कम खतरनाक होगी! अपना एंकर फिर निराश हुआ!
खबरों से चुनावी राजनीति को किस तरह बनाया जाता है? इसकी एक दिलचस्प मिसाल रही जम्मू-कश्मीर की दो सिख लड़कियों को जबरन मुसलमान बनाने और दो उम्रदराज मुसलमानों (जिनमें एक शादीशुदा था) से शादी कराए जाने की खबर! एक सिख नेता देर तक कहते रहे कि जबरन धर्मांतरण कराना कानूनन अपराध है। जम्मू-कश्मीर में धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानून बनाया जाना चाहिए, लेकिन जैसे ही कुछ चर्चकों ने धर्मांतरण की इस कहानी को सिख-मुसलमानों की ‘मित्रता’ के खिलाफ मोड़ा, वैसे ही मामला नाजुक हो गया और सिख प्रवक्ता ने बड़ी ही ‘टाइट रोप वाकिंग’ की! तीन दिन बाद एक चैनल पर सिख लड़की बोली कि वह बालिग है, उसने मर्जी से शादी की है, जबकि दूसरी लड़की सिख समुदाय में ‘लौट आई’ बताई गई और मामला शांत हो गया!
फिर एक दिन खबर तोड़ी गई कि कोरोना टीका लगाने के मामले में भारत ने अमेरिका को भी पीछे छोड़ा! लेकिन विपक्ष ने तुरंत टांग खींची कि यह भी एक जुमला है। बंगाल की हर खबर दिल्ली को चिढ़ाती लगती है। चुनाव बाद की हिंसा पर एनएचआरसी की रिपोर्ट कहती है कि ‘हिंसा पूर्वनियोजित’ थी, लेकिन टीमएसी कहती है कि यह रिपोर्ट ‘इरादतन’ (मोटीवेटेड) है! इसके बाद जादवपुर में एनएचआरसी की टीम पर हमले की खबर रही! किस्सा खत्म!
अब रोते रहो सर जी कि ममता निरंकुश हैं! तानाशाह हैं! हैं तो है! क्या कर लोगे? और बंगाल के महामहिम राज्यपाल जी! वे जब भी खबर में आते हैं, शिकायत करते नजर आते हैं! बंगाल ने सबको हिला रखा है! लेकिन ट्विटर भी बड़ा ही धृष्ट है। कानूनी दबिश के बावजूद वह अपनी सी करने से बाज नहीं आता और सरकार है कि सिर्फ शिकायत करती नजर आती है!
ये क्या बात हुई सर जी? न बंगाल कमान मानता है, न ट्विटर मानता है! ट्विटर ‘चाइल्ड पोर्न लिंक’ परोसता रहता है और ‘सॉरी’ बोल कर निकल जाता है। जब लोनी वाले केस में लोनी पुलिस बुलाती है, तो डरता है और बचने के लिए एक हाईकोर्ट से स्टे ले आता है! ऐसे तो हो लिया राजकाज सर जी!
एक दिन ‘केंद्रीय वीथि (सेंट्रल विस्टा) निर्माण योजना’ का रहा! उस पर ‘रोक’ लगाने के लिए अपील करने वाले याचिकाकर्ताओं के ‘विघ्न संतोषी’ भाव को समझ दिल्ली हाईकोर्ट ने उनको न केवल फटकारा, बल्कि एक लाख का जुर्माना भी ठोक दिया! नतीजतन, बचे विघ्न संतोषी एक चैनल पर ‘नैतिकता-नैतिकता’ चिल्लाते रहे कि महामारी के इन दिनों में इतना खर्चा करना कहां की संवेदनशीलता है?
पहले यूरोपीय यूनियन ने अपना नस्लवाद दिखाया कि कोविशील्ड लगवाने वालों को ‘नो ग्रीन पास’, लेकिन जब दबाव पड़ा तो कह दिए ‘ओके’!
इन दिनों पंजाब सुर्खियां बटोर रहा है। अमरिंदर दिल्ली आए, लेकिन न राहुल मिले, न प्रियंका, लेकिन सिद्धू आए तो दोनों मिले!
इसी तरह उत्तर प्रदेश में चुनावों की हलचल शुरू है! रथी, महारथी, बली, महाबली, बाहुबली सभी टीवी में खबरें बनाने लगे हैं। सबसे मजेदार ‘ओवैसी-राजभर’ का गठबंधन है, जो अगर जीता तो अपनी यूपी को पांच साल में ‘पांच मुख्यमंत्री’ और ‘बीस उप-मुख्यमंत्री’ मिलेंगे! इसे कहते हैं : एक बटे पांच जनतंत्र!

