भैया जी की लोकसभा सदस्यता खत्म। अगर फैसला अटल रहा, तो आठ साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। फैसला अदालत का, लेकिन जवाब राजनीतिक यानी हाय हाय हाय… गजब की रणनीति! एंकर कहें कि ‘अदालत क्यों नहीं जाते’ तो जवाब आता कि हम क्या करेंगे हम जानें, हमें तो करनी है हाय हाय हाय! फिर एक ओजस्वी भाषण कि हम उस परिवार से आते हैं, जिसने दो दो कुरबानियां दी हैं। यह इनको महंगा पड़ेगा… और कितना डराओगे… जेल में डाल दो, हम डरने वाले नहीं, क्योंकि हम उस परिवार से आते हैं..!

फिर एक बयान कि हाय हाय, ये डरे हुए हैं, कि हाय हाय, इन्होंने तो सबको डरा कर रखा हुआ है, कि हाय हाय, हम नहीं डरने वाले, कि हम सिद्धांत की लड़ाई लड़ते रहेंगे..! एक पल ‘पीड़ित’ अगले पल ‘शहीद’, फिर ‘पीड़ित’ फिर ‘शहीद’, एक पल ‘हाय हाय’ अगले पल ‘वाह वाह’ कि ‘हम निडर हम निडर’!

एक ओर फिसलनभरी ‘अतियथार्थवादी’ राजनीति और दूसरी और भाजपा प्रवक्ताओं के वही ताने-तिश्ने की राजनीति कि ‘अदालत क्यों नहीं जाते’… अरे भाई जी! जो मजा ‘विक्टिम’ खेलने में है, वह अदालत जाने में कहां?

सिर्फ भाजपा के एक नेता की चुटकी मजेदार रही कि वे कहते थे कि दुर्भाग्य से एमपी हूं, अब मुक्ति मिल गई… ये अपने को कानून से ऊपर समझते हैं… अन्यथा, हर बहस में भाजपा वही वही तर्क देती दिखती रही कि इनकी जुबान पर लगाम नहीं… ये पहले भी माफी मांग चुके हैं… अदालत क्यों नहीं जाते… ओबीसी समाज को अपमानित किया है… ये क्या भारत के हित की लड़ाई है… आप अंग्रेजों से गुहार करेंगे कि बचाओ… इसी तरह अतीत में कइयों की सदस्यता गई, अब आपकी गई… रोना क्या?

इसके आगे एक चैनल पर एक पोस्टर दिखा: आधा चेहरा हिटलर आधा चेहरा… शीर्षक: ‘फासिज्म का नया चेहरा’… कुछ देर में हटा दिया गया..!
फिर एक बड़ी प्रेस वार्ता… कि लोकतंत्र पर आक्रमण हो रहा है… मैंने एक ही सवाल पूछा कि अडाणी की फर्जी कंपनियों से आया बीस हजार करोड़ रुपया किसका है… मेरे लोकसभा के भाषण को हटा दिया गया… लेकिन मैं किसी से नहीं डरता, मैं सवाल पूछना बंद नहीं करूंगा कि इनका उनसे क्या रिश्ता है… आप मुझे निकाल दें… मैं लड़ता रहूंगा… फिर सवाल-जवाब के दौरान अचानक एक वाक्य गूंजता है: ‘हवा निकल गई’ और इसके साथ प्रेस वार्ता की भी हवा निकल जाती है, फिर ‘मेरा नाम सावरकर नहीं’ वाला वाक्य आता है और एक सावरकरवादी मित्रदल नाराज हो जाता है, इसलिए कहना पड़ता है कि आगे ध्यान रखेंगे..!

यों एक दो चैनलों ने ‘हवा निकल गई’ के बरक्स ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ के मुद्दे पर चर्चा कराई, लेकिन ‘हाय हाय कथा’ फिर भी जारी रही।
फिर एक शाम एक चैनल के एक एंकर ने अपने ‘इंट्रो’ में जैसे ही ‘वाड्रा कांग्रेस’ कहा, वैसे ही एक नए प्रवक्ता ने तीखा एतराज किया कि आप कांग्रेस को ‘वाड्रा कांग्रेस’ कैसे कह सकते हैं और यह सब उसी चैनल पर दिखा, जिसके एंकर कांग्रेस को ‘वाड्रा कांग्रेस’ कहने के आदी हैं… कांग्रेस का नया कवच उसकी नई आक्रामकता है।

इस तरह, इधर आक्रामकता, तो उधर भी आक्रामकता: एक दिन 12 तुगलक रोड को भी खाली करने का आदेश, तो एक शाम लाल किले पर जुलूस की इजाजत न दिए जाने का आदेश!

यानी वही ‘मरे को मारें क्या शाह मदार’ वाली बात! फिर भाजपा के मुख्यालय के सामने आवासीय परिसर का उद्घाटन और पीएम का संबोधन कि… लोग कहते हैं कि भारत का डंका बज रहा है, ऐसे में देश के बाहर और भीतर बैठी भारत-विरोधी शक्तियों का नाराज होना जरूरी है। वे हमारा विकास बंद कर देना चाहती हैं… देश की जनता भ्रष्टाचारियों पर हो रही कार्रवाई से खुश है। जहां जाता हूं, लोग कहते हैं रुकना मत…
एक चैनल लाइन लगाता है: ‘24 का एजंडा सेट’! एक चर्चक बोला कि साफ-सुथरी छवि ही 24 की असली कुंजी है..!

फिर एक दिन ज्यों ही कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तारीख घोषित हुई, त्यों ही कर्नाटक खबरों में रहने लगा। फिर जैसे ही एक दिन खबर आई कि कर्नाटक में अल्पसंख्यकों को दिया गया चार फीसद आरक्षण हटा दिया गया है, वैसे ही हाय हाय शुरू हो गई। फिर अल्पसंख्यकों के एक नेता ने कहा कि अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है..!

फिर एक हिंदी चैनल ने कर्नाटक को लेकर एक ‘ओपिनियन पोल’ देकर जैसे ही बताया कि अगर आज मतदान हों तो कांग्रेस को 115 से 127 और भाजपा को 68 से 80 तक सीटें मिल सकती हैं… बहुत दिन बाद कुछ कांग्रेसी प्रवक्ताओं के चेहरे खिले दिखे!
बहरहाल, ‘वारिस पंजाब दे’ के खालिस्तानवादी अमृतपाल सिंह को अभी तक न पकड़ पाने के कारण केंद्र और पंजाब पुलिस चैनलों में आलोचना का विषय बनी रही।
इसी बीच एक शाम ‘हिंदू नफरती भाषण’ को बंद करने’ की मांग वाली याचिका की खबर ने ‘नफरती भाषण’ को फिर से बहस में ला दिया। कई एंकर-चर्चक यही कहते दिखे कि नफरती भाषण ‘एकतरफा’ नहीं होता और हर ‘नफरती भाषण’ दंडनीय होना चाहिए! फिर एक दिन, अंकल सैम ने उस आर्तनाद को सुन कर अचानक अभयदान दिया कि हम भारत पर नजर रखे हैं… फिर जर्मनी ने भी कहा कि हम भी नजर रखे हैं… इसे देख धन्यवादी ने तुरंत धन्यवाद देकर साफ कर दिया कि आ जाओ अमेरिका..! हाय! रामनवमी पर फिर हावड़ा, वडोदरा, संभाजीनगर में भीषण दंगे और फिर वही तर्क कि ‘हिंदू निशाना’ कि ‘मुसलिम निशाना’!