आइए, दुश्मन बनाएं और फिर भी ‘जनतांत्रिक’ कहलाएं। जो लाइन से जरा भी हटे, उसको फौरन निपटाएं। उसे दुश्मन का दलाल बताएं। उसे दगाबाज कहें। वह कुछ कहे न कहे, उसे लपेटते रहें और खारिज करके छोड़ दें। ऐसे वातावरण में लगता है कि इस बार थरूर तो जरूर निपट जाएंगे। कारण, यह सोच कि हमारा बंदा और हमी से दगा! हमारी बिल्ली और हमी से म्याउं। खाएं हमारे नाम की और गाएं उनके काम की!

इसी बीच कनाडा में होने वाली ‘जी 7’ की बैठक में शामिल होने जाते हुए प्रधानमंत्री पहले ‘साइप्रस’ जाते हैं। विपक्ष की हाय हाय शुरू हो जाती है। विपक्ष के एक नेता ताना मारते हैं कि ये साइप्रस भी क्या कोई देश है। यह तो दिल्ली के बराबर का देश है। (यानी वहां क्या जाना!) दूसरे विपक्षी नेता कटाक्ष करते हैं कि पीएम मनोरंजन के लिए यह कर रहे हैं। तीसरे कहने लगते हैं कि पीएम ने अब तक अठासी देशों का दौरा किया है, लेकिन आज एक भी देश भारत के साथ खड़ा नहीं है, जबकि पाक के साथ कई खड़े हैं।

एक के बाद एक आ रही हैं ब्रेकिंग खबरें

फिर, पीएम कनाडा में हैं और अचानक खबर आती है कि ‘जी 7’ की बैठक बीच में छोड़ कर ट्रंप अमेरिका लौट रहे हैं। वे धमकी भी देते जाते हैं कि लोग तेहरान खाली करें।… वे दो दिन में बताएंगे कि अमेरिका को क्या करना है। चैनल दिखाने लगते हैं कि लोग ईरान की राजधानी तेहरान से भाग रहे हैं। ट्रंप की चेतावनी है कि परमाणु हथियार युक्त ईरान स्वीकार्य नहीं। ईरान के खामेनेई या तो समर्पण करें या ईरान में तख्ता पलट हो। तभी युद्ध बंद हो सकता है।

चलिए, इसी बहाने विपक्ष ने अपना ‘प्रमोशन’ भी कर लिया! अब वह सिर्फ यहां का विपक्ष नहीं, ट्रंप का भी विपक्ष बन गया है! इजराइल-ईरान युद्ध जारी है। दोनों एक-दूसरे पर मिसाइलें और बम बरसा रहे हैं। अपने चैनल इस युद्ध को भी बढ़-चढ़ के दिखा रहे हैं और हर पल ‘डर’ बेच रहे हैं कि अब शुरू हुआ तीसरा युद्ध, अब शुरू हुआ परमाणु युद्ध। कई चैनल चर्चाओं में विदेश नीति और युद्ध विशेषज्ञ बताते हैं कि इन दिनों कोई देश पूरी तरह युद्ध नहीं जीतता। अगर आप किसी को ज्यादा दबाते हैं, तो हो सकता है कि वह देश और भी कट्टरतावादी बनकर उभरे।

बदले के इंतजार में थी जनता, थर्राया मीडिया, कांपा पाकिस्तान… और निकल आई जातियों की सूची

फिर, एक दिन जैसे ही ‘जनगणना’ का आदेश ‘गजट’ में छपता है, वैसे ही कई चैनलों में ‘जनगणना’ पर बहस छिड़ जाती है। विपक्षी प्रवक्ता कहते हैं कि इसमें ‘जाति गणना’ की बात तो लिखी ही नहीं। (यानी जाति गणना पर सरकार पलटी मार रही है!) सत्ता प्रवक्ता कहते हैं कि जाति गणना की बात तो ‘नोटिफिकेशन’ में कही जा चुकी है। वह होगी। लेकिन विपक्ष माने तब न! और इस तरह एक पूरी शाम कई चैनलों की बहसें पक्ष-विपक्ष द्वारा एक-दूसरे को ‘झूठा’ सिद्ध करने में गुजरती है!

ऐसा लगता है कि बहसों में भी हम एक झूठ से दूसरे और दूसरे से तीसरे झूठ में विचरण करते हैं। ऐसा लगता है कि इन दिनों ‘फेक’ ही ‘नेक’ है और यही सबकी ‘टेक’ है! ट्रंप अठारह बार कह चुके हैं कि मैंने युद्ध विराम कराया, लेकिन पीएम की ओर से एक खंडन नहीं आया। वे ‘दो टूक’ खंडन क्यों नहीं करते।… उधर ट्रंप पाक के फील्ड मार्शल को अमेरिका बुलाकर उसके साथ करते हैं लंच और इधर आपको कोई पूछ नहीं रहा।… (यानी इससे बड़ा अपमान क्या?)

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मगर जैसे ही विदेश सचिव, ट्रंप और पीएम के बीच फोन पर हुई लंबी बातचीत का सार बताते हैं कि पीएम ने साफ कहा है कि किसी तीसरे की मध्यस्थता न हमें कभी स्वीकार्य रही है और न होगी। तो भी विपक्ष अपनी-सी पर अड़ा रहता है! एक विपक्षी प्रवक्ता तो यह तक कह देते हैं कि ट्रंप और पीएम के बीच क्या बात हुई। यह तो ट्रंप ही बता सकते हैं। शुक्रवार की खबर में ट्रंप फिर बात बदलते और कहते हैं कि अब वे दो सप्ताह में इजराइल ईरान मुद्दे पर फैसला करेंगे।… कहां तो दो दिन में फैसले की बात और कहां दो सप्ताह की बात!

कई विशेषज्ञ ट्रंप के ऐसे तरल मिजाज के बारे में बताने लगे हैं कि वे ऐसे ही हैं, कुछ भी बोल सकते हैं, उनको परवाह नहीं कि कोई क्या कहता है। ‘ट्रंप’ ऐसे ही ‘डिसरप्टर’ (विघटनकारी) हैं! रही सोनम की अपराध कथा। इसमें यह नया जुड़ा है कि शिलांग पुलिस ने आरोपितों के जरिए हत्या की बताई जगह पर राजा रघुवंशी की हत्या का सीन ‘रिक्रिएट’ किया। दूसरे चाकू की खबर भी आई और पुलिस बताती रही कि सोनम ने जिस संजय वर्मा से एक महीने में 234 बार बात की, वह और कोई नहीं, ‘राज कुशवाहा’ ही है!