इन दिनों ‘वक्ता’ का मतलब ‘वक्ता’ नहीं, ‘श्रोता’ तय करते हैं। एक विपक्षी नेता ने शिकायत करनी शुरू कर दी कि एक दिवंगत केंद्रीय मंत्री ने किसान आंदोलन के दौरान मुझे ‘धमकी’ दी थी। जवाब में दिवंगत मंत्री के बेटे ने कहा कि मेरे पिता का निधन किसान आंदोलन से पहले हो गया था, तब धमकी कैसे! धमकी उनकी आदत न थी!
‘धमकीबाजी’ के इस दौर में चुनाव आयोग कई दिन कुटा। उसका ‘एसआइआर’ अभियान भी खूब कुटा। फिर उसके वोटिंग आकंड़े कुटे!
संवाददाता सम्मेलन में विपक्ष के नेताजी ने आयोग द्वारा की गई ‘वोट चोरी’ के पांच तरीके बताए: मृतक वोटर, दो-दो पहचान पत्र वाले मतदाता, अनुपस्थित मतदाता और एक ही पते पर कई मतदाता..!
उधर अपना चुनाव आयोग भी कम नहीं! पहले उसने बिहार के एक विपक्षी नेता जी के दो-दो पहचान पत्र दिखाकर रक्षात्मक माहौल बनाया, लेकिन उनके प्रवक्ता आक्रामक ही बने रहे और प्रत्यारोप लगाते रहे कि आयोग बताए कि इकसठ लाख मतदाता कैसे गायब हुए। ऐसी सूचनाएं हैं कि चुनाव अधिकारियों के घरों में सूचियां बनाई गई हैं। इसके बाद मामला एकदम ‘ताल ठोंक’ हो गया।
इधर विपक्ष के नेता जी का संवाददाता सम्मेलन खत्म, उधर चुनाव आयोग का विपक्ष के नेता जी को एक नोटिस कि आपने जो आरोप लगाए हैं, वे बेबुनियाद हैं… आप उनके लिए माफी मांगें या सारे आरोपों को हलफनामे के साथ अपने हस्ताक्षरों सहित लिख कर दें। इसी बीच बड़ी अदालत ने विपक्ष के नेता जी द्वारा सेना संबंधी बयान पर कड़ी टिप्पणी की थी।
फिर एक विपक्षी प्रवक्ता ने आतंकवाद की एक नई परिभाषा गढ़ने की कोशिश की कि भूख और बेरोजगारी आतंकवादी बनाती है। फिर एक ‘फर्जी खबर’ फेंकी कि पहलगाम में धर्म पूछ कर नहीं मारा!
आजकल अंकल सैम जब भी दिखते हैं, हाथ नचाते दिखते हैं
बहरहाल, ‘धमकी’ की दूसरी किस्त अंकल सैम की ओर से ही आई कि मैं इंडिया पर शुल्क और बढ़ाने वाला हूं। फिर शुल्क को पच्चीस फीसद और बढ़ा कर कुल पचास फीसद तक कर दिया और आगे के लिए भी धमकाया कि देखते जाइए… अभी बहुत कुछ होना है..! आजकल अंकल सैम जब भी दिखते हैं, हाथ नचाते दिखते हैं। अंकल की धमकी भी नाचती गाती आती है।
जब भारत ने इस धमकी का करारा जवाब दे दिया कि अपना काम देखो अंकल जी… तो एक एंकर ने कहा कि भारत ने भी आईना दिखा दिया कि सिर्फ हम ही नहीं, आपका देश भी रूस से कारोबार करता है। चीन समेत और बहुत से देश रूस से तेल खरीदते हैं। तब हमारे ऊपर ही आपकी इतनी ‘नजर-ए-इनायत’ क्यों? एक चर्चक ने कहा कि लगता है ऐसे जवाब को देख अंकल और बौखला गए लगते हैं..! अंकल की इस नई धमकी को सुनते ही विपक्ष ने इसे मुद्दा बना दिया। एक नेता जी ने तुरंत कटाक्ष किया कि यह तो बड़ी ‘जादू की झप्पी’ देते थे, ‘हाउडी मोदी’ और ‘मेरे दोस्त’ कहा करते थे, लेकिन अब ‘दोस्त दोस्त ना रहा, प्यार प्यार ना रहा..!’
अंकल सैम अपने विपक्ष के ‘हीरो’ बनते दिखे। वे कहे कि ‘सरेंडर’, तो यहां भी कुछ गाने लगते ‘सरेंडर-सरेंडर’। वे कहे कि ‘भारतीय अर्थव्यवस्था मृत है’ तो यहां भी कुछ लोग गाने लगे कि ‘भारत की अर्थव्यवस्था बेजान’! लेकिन अगर ‘इंडिया’ की अर्थव्यवस्था ‘बेजान’ तो आप इतने खुश क्यों सर जी?
गनीमत रही कि विपक्ष के ही अन्य बड़े नेताओं ने अपने नेता से अलग सुर लगाते हुए कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ है। विपक्ष के नेता जी कहते रहे कि वे डरपोक हैं… वे दबे हुए हैं। जब भारत के प्रधानमंत्री ने एक जनसभा में खुलेआम कह दिया कि भारत अपने किसानों, पशुपालकों के हितों के साथ समझौता नहीं करेगा… इसकी जो भी कीमत होगी, वे देंगे… तो भी कहा जाता रहा कि वे सीधे मुंहतोड़ जवाब क्यों नहीं देते। एक चर्चक कहिन कि सर जी! कूटनीति को भी क्या ‘सड़क छाप’ बनाओगे? मगर कूटनीति और राजनीति की किसे पड़ी है। सबको बस दिखना है और हर पर्दे पर दिखना है।
फिर भी इतना मानना होगा कि इन दिनों खबर बनाने में दो ही आगे हैं- एक अंकल सैम, दूसरे अपने विपक्ष के नेता! लेकिन अफसोस कि उत्तराखंड के धराली और हर्षिल इलाके में बादल फटने से आई भयावह बाढ़ और जनधन की बड़ी हानि की ओर सरकार के अलावा किसी अन्य नेता का अपेक्षित ध्यान नहीं गया।