कोरोना ने सबको ढेर कर दिया! कोरोना से लड़ने के लिए देशभर की क्लास लगाए रखी कि कोरोना से बचने के लिए ये-ये जरूरी उपाय करें, जैसे कि- भीड़ में न जाएं, गैरजरूरी यात्रा न करें, किसी से हाथ न मिलाएं, नमस्ते करें या आदाब करें, खांसते-छींकते वक्त रूमाल नाक पर रखें, जिसे जुकाम-खांसी को उससे तीन फुट की दूरी पर रहें, जिसे कोरोना के लक्षण हों, वे मास्क लगाएं।

फिर खबर दी जाती कि देश मे ‘फेस मास्क’ की किल्लत है। उनकी कालाबाजारी हो रही है। हाथ साफ करने वाला ‘सेनीटाइजर’ बाजार से गायब हो चुका है। साठ फीसद अल्कोहल वाले द्रव्य से हाथ साफ करें। बार-बार हाथ साफ करें। हर बीस मिनट पर साफ करें।

स्कूल बंद, सामूहिक कार्यक्रम बंद, समारोह बंद और शुक्रवार को संसद के सत्र तक पर कोरोना का ग्रहण लगता दिखा। सिमरन कौर जी ने कह दिया कि बजट सत्र बंद करें।

‘सनसनी’ वाले सनसनीबाज ने सनसनी फैलाते हुए चेताया कि आतंकवाद से भी खतरनाक है कोरोना! अटारी बॉर्डर बंद! सीमा सील। उधर से जो विदेशी नागरिक आएगा, चौदह दिन ‘क्वेरेंटाइन’ यानी में जाएगा यानी सबसे अलग-थलग रखा जाएगा! जैसे ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया को बताया कि कोरोना अब ‘महामारी’ है, वैसे ही अपने चैनलों में हाहाकार मच गया। महामारी कहते ही दुनिया के बाजार लुढ़क गए। कोरोना दुनिया की अर्थव्यवस्था को हिलाने लगा! राहुल गांधी ने भी चेताया कि कोरोना का सबसे मारक असर अर्थव्यवस्था पर होना है। सरकार समय रहते संभल जाए।

खबरें घबराहट बढ़ातीं। अमेरिका का डाउ जोंस लुढ़का! जापान का निक्की लुढ़का! और इस ‘ब्लडी फ्राइडे’ ने अपने ‘स्टाक मार्केट’ को फ्राई कर दिया। सुबह के पहले एक घंटे तक मुंबई स्टॉक एक्सचेंज की बोली बंद रही।

इसी बीच कई चैनल बीसीसीआइ और आइपीएल के पीछे पड़े रहे और अभियान-सा चलाते रहे कि बीसीसीआइ को आइपीएल के मैचों को स्थगित कर देना चाहिए, ताकि खिलाड़ी कोरोना से बचे रहें और खेल प्रेमी बचे रहें। कपिल देव ने कहा कि मैचों को स्थगित करना ही ठीक है और कीर्ति आजाद ने कहा कि कोरोना के खतरे को देखते हुए बीसीसीआइ वालों को पैसे का लालच छोड़ देना चाहिए।

कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि आइपीएल मैच रद्द किए जाने से जिनका पैसा लगा है, उनका मुनाफा क्या आदमी की जान से भी कीमती है? रिजिजू ने कहा कि बीसीसीआई सरकारी सलाह का पालन करे। उधर सुनील गावस्कर फरमाते रहे कि चाहे खाली स्टेडियम में हों, लेकिन मैच हर हाल में नियत तिथियों में ही होने चाहिए।

कोरोना का कहर इस कदर रहा कि दिल्ली के दंगों और सीएए पर राज्यसभा में हुई बहस तक अगले दिन खबरों में न रही! चैनल जितना कोरोना से बचने के उपाय बताते, उतना ही उसका डर फैलता। स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन बोलते रहे कि कोरोना से बचाव के सारे इंतजाम किए गए हैं। हर हवाई अड्डे पर बाहर से आने वालों की चेकिंग की व्यवस्था की गई है और स्थिति नियंत्रण में है। चैनल प्रधानमंत्री का ट्वीट दिखाते रहते कि डरें नहीं, सावधानी बरतें! जैसे ही शुक्रवार की सुबह कलबुर्गी से कोरोना के चौहत्तर वर्षीय मरीज के मौत की खबर आई, वैसे ही कोरोना का डर और साक्षात होने लगा!

कोरोना के कहर को देख अमिताभ बच्चन भी कविया गए और अवधी में एक मजाहिया कविता ही गाने लगे जिसे कई चैनल दिखाने लगे:‘केकर सुने केकर कहे कलोंजी पीसो केहू कहे कि आंवला रस/ केहू कहत हैं घर में बैठो करो न टस से मस/ ईर कहें और बीर कहें ऐसा कुछ भी कोरोना/ बिन साबुन के हाथ धोयकें और कोउ काहू को छुओ ना/ हमहंू करत हैं जईसन कहत हैं सब अउर ठेंगा दिखावें जब आवै कोरोना’!

यहां देश दुनिया के लोगों की जान पर बनी है और आपको कविता सूझ रही है! कोरोना के मौसम में कविता करना विचित्र ही लगा! कई हिंदी चैनलों में कोरोना के बहाने सांस्कृतिक राजनीति भी शुरू होती दिखी। कई एंकरों ने ‘नमस्ते’ में ‘भारतीय संस्कृति की जीत’ तक देखनी शुरू कर दी! कोरोना का रोना कुछ ऐसा हाहाकारी रहा कि मामूली से मौसमी जुकाम-खांसी और फ्लू तक कोरोना जैसे लगने लगे। इस डर का कुछ निराकरण किया डॉक्टर महेश शर्मा ने किया कि जैसा कि प्रधानमंत्री ने कहा है कि डरने की जरूरत नहीं है, हां सावधानी बरतने की जरूरत है!

अब तक भारत में कुल छिहत्तर मामलों की खबर है, लेकिन उसके असर के डर का प्रसारण ऐसा मारक रहा कि सब कुछ बंद नजर आने लगा। दो दिन तक लगातार बड़ी खबर बनाते रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने और राज्यसभा के नामांकन की खबर भी कोरोना की खबर को किनारे न कर सकी!

बहरहाल, दिल्ली के दंगों पर राज्यसभा में हुई बहस यादगार रहेगी जिसके दौरान ज्यों ही अमित शाह ने कांगे्रस के वरिष्ठ नेता और जाने-माने अधिवक्ता कपिल सिब्बल से पूछा कि वे बताएं कि सीएए में किसी की नागरिकता छीनने की बात कहां लिखी है, और कपिल सिब्बल ने जबाव में ज्यों ही माना कि ऐसा नहीं लिखा है, त्यों ही सीएए विरोधी लॉबी की हवा निकल गई। साथ ही एनपीआर के संदर्भ में जब अमित शाह ने कथित ‘डाउब्टफुल केटेगरी’ बनाने के आरोप को ऑन रिकार्ड निराधार बताया, त्यों ही ‘एंटी सीएए आंदोलन’ का ‘झूठ’ कई चैनलों की प्राइम टाइम की बहसों का निशाना बन गया।