एक चैनल पर नौ दिन अगस्ता कांड के जवाब के लिए एक कुर्सी राहुल के लिए खाली छोड़ी जाती रही। उसके कंपटीशन में एक अन्य अंगरेजी चैनल ने भी एक कुर्सी भाजपा के लिए खाली छोड़ी। यह पीएम मोदीजी की डिग्री की प्रामाणिकता की जवाबदेही के लिए छोड़ी गई। और दूर-दूर तक कोई भी जवाबदेह नहीं नजर आया!
खाली कुर्सी अक्सर बोलने वाली कुर्सी से ज्यादा बोलती है। हां, उसे कोंचने के लिए एंकर को बार-बार बताना पड़ता है कि यह कुर्सी किसके नाम की है? एक चैनल की कुर्सी कांग्रेस को पसंद नहीं रही, तो दूसरे की खाली कुर्सी भाजपा को पसंद नहीं रही। खाली कुर्सी को दिखा कर न आने वाले को एक्सपोज करना खूब बिकता है।
शायद इसीलिए तूफानी एंकर अगस्ता केस पर कांग्रेस को नौ दिन से जवाबदेही के लिए ललकारता रहा, लेकिन राहुलजी अक्सर एक स्टॉक शॉट में हंसते हुए कहते नजर आते रहे कि ‘मुझे खुशी है कि वे मेरे पीछे पड़े हैं’। एंकर यह देख कर आग बबूला होता रहता और खाली कुर्सी की ओर इशारा करता रहता! एक एंकर एक ही तर्क देता रहा रहा कि इत्ती बड़ी रकम सिर्फ बाबू लोग नहीं खा सकते। सब जानते हैं किस ‘ड्राइविंग फोर्स’ ने खाए हैं! एंकर किसी न किसी तरह सोनिया का नाम ले आता रहा! वृहस्पतिवार की रात अगस्ता की कहानी मरने वाली ही थी कि उसे जिंदा रखने के लिए ‘पिलेट्स’ और ‘राफाल’ सौदों की कहानियां भी जोड़ दी गर्इं और रक्षा मामलों की तमाम डीलों को जांचने की बात कही जाने लगी।
सबसे अजीब गवाह मिडिलमैन मिशेल रहा, जिसके बारे में कल तक मिलान के जज महोदय तक ने अपने को राष्ट्र का पर्याय समझने वाले तूफानी चैनल पर लंबी बातें की, अब वही रिश्वतखोर मिशेल अपने एक पत्र के हवाले से कहने लगा कि उस पर गांधियों का नाम लेने का दबाव बनाया गया। लेकिन आश्चर्य कि सिर्फ दो अंगरेजी चैनलों की पट्टी में इस खबर को जगह मिली। लेकिन तूफानी चैनल ने इधर ध्यान ही नहीं दिया! क्यों? कारण शायद यह कि आजकल हर चैनल का अपना एजंडा है। मुद्दे भी एजंडे के अनुसार चुने जाते हैं!
अंगरेजी के दो चैनल अगस्ता का एक एक पन्ना निकाल कर इस तरह दिखाते रहे, मानो सारा सच उनके हाथ के पन्नों में कैद हो। बाकी तीन अंगरेजी चैनल अगस्ता कहानी का असली मंतव्य पहले ही समझ गए, इसलिए उसे ज्यादा नहीं निचोड़ा!
मिलान की अदालत का जो फैसला पब्लिक डोमेन में रहा, उसी के एक एक पन्ने को लहरा कर चैनलों के एंकर गाल बजाते दावा करते रहे कि इस दस्तावेज को सबसे पहले हमने दिखाया, कि हमने दिखाया! यह कैसी मौलिकता रही कि जो पन्ना एक के पास रहा, वही सबके पास रहा। यह कैसा गोपनीयता माल था कि जो वेब पर असानी से उपलब्ध था उसे ही दुर्लभ बता कर बेचा जा रहा था?
राज्यसभा में बेहद गरमागरम बहसें रहीं। ये शायद सबसे ज्यादा देखी गर्इं। कांग्रेस के प्रवक्ता सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने अपने तर्कों से हर आरोप का तथ्यपूर्ण तरीके से खंडन करके आरोपकर्ताओं को लगभग निरुत्तर कर दिया। उनने यह भी कहा कि सरकार की दिलचस्पी सच का पता लगाने की अपेक्षा कड़ाही को खदकने देने की है, दूसरों पर कीचड़ उछालते रहे कि कभी तो दाग लगेगा।
अपने ‘सत्य हरिश्चंद्र’ छाप चैनलों की दिलचस्पी जांच की मांग की जगह आरोप-प्रत्यारोप को बेचने की रही। एक एंकर और उसके शिष्य हर बार शक की सुई को सोनिया की तरफ करते रहे। कई बार एंकर के तर्कों और भाजपा प्रवक्ताओं के तर्कों में फर्क करना मुश्किल रहा!
ऐसे एकतरफा संयोजन के बारे में जेडीयू के अजय आलोक से लेकर एनसीपी के राहुल नारवेकर चैनल को बार-बार चेताते और पूछते रहे कि सरकार इस पर अब तक चुप क्यों लगाए रही? सीबीआइ की जगह सुप्रीम कोर्ट से तीन महीने में जांच कराइए। दोषियों को सजा दीजिए। चैनल पर हल्ला क्यों मचा रहे हैं? शरद यादव बोले कि सत्ता पक्ष गाल बजाने का धंधा बंद करे। जांच कराए और दोषियों को पकड़े। सबको मालूम है कि बोफर्स की तरह इसमें भी कुछ नहीं निकलेगा।
अगस्ता रिश्वत मामले में इंडिया टुडे पर करन थापर ने भाजपा नेता सांसद सुब्रमण्यम स्वामी से जैसी तीखी बातचीत की वैसी किसी अन्य चैनल पर नहीं दिखी। एक से एक तीखे सवाल, लेकिन उससे भी ज्यादा तीखा जवाब! ऐसी बातचीत अवश्य सुनने लायक होती है।
इस कीचड़ उछाल वातावरण में दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने प्रधानमंत्री मोदीजी की डिग्री की सच्चाई पर कुछ बेहद गंभीर सवाल उठा दिए, जिन पर अगर चर्चा होती तो बेहद गरम होती। इन सवालों को सिर्फ इंडिया टुडे चैनल ने उठाया। यहां ‘आप’ पार्टी के प्रवक्ता राघव चड्ढा के तर्क इस कदर जबर्दस्त दिखे कि भाजपा का पक्ष लेने आए आशीष सूद जवाब देने की जगह ‘आप’ पार्टी पर सिर्फ प्रत्यारोप ही लगाते रहे, जैसे कि ‘आप’ पार्टी के नेता ही कौन से दूध के धुले हैं? आपके तोमर की डिग्री के फर्जी होने की पोल तो पहले ही खुल चुकी है। ऐसे आरोपों पर उत्तेजित हुए बिना राघव चड्ढा कहते रहे कि मोदीजी हमारे पीएम हंै। अगर उनके पास डिग्री है तो वे उसे अपने वेब पर क्यों नहीं डाल देते। देश के नागरिकों को उसे देखने का हक है! उनने एक डिग्री दिखा कर कहा कि जिस पर किन्हीं नरेंद्र कुमार मोदी का नाम लिखा है, जो नरेंद्र दामोदर दास मोदी से अलग शख्स हैं, जो अलवर के रहने वाले हैं!
इस सप्ताह की सबसे दिलचस्प कहानी कंगना राणावत की रही। इधर उनको तीसरा ‘बेस्ट एक्ट्रेस’ श्रेणी में राष्ट्रीय सम्मान मिला नहीं कि हर चैनल का उनसे बातचीत करने को मचल गया। कंगना से सबसे लंबा साक्षात्कार इंडिया टीवी के राहुल कंवल ने लिया। बरखाजी भी उनको लेकर एनडीटीवी पर बातचीत करने आर्इं। कंगना एकदम बेबाक तरीके से बोलीं। उनने कहा कि मुझको क्या-क्या नहीं कहा गया, ‘साइको’ और ‘विच’ तक कहा गया। एंकर बरखा ने टीप लगाई कि ‘विच’ उपाधि पाने के लिए अपने जाम आज शाम टकराने चाहिए! ऐसी ही एक बातचीत सीएनएन आइबीएन अठारह में रही।
