हिन्दू धर्म में मुंडन के नाम पर अधिकतर पुरुष ही अपने बाल अर्पण करते हैं। हिंदुओं की धार्मिक मान्यता मुंडन (केश दान) इसका सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण है, लेकिन हमारे भारत में एक जगह ऐसी भी है जहां महिलाएं भी अपनी मन्नत पूरी होने के बाद मुंडन करतीं हैं। परंतु क्या आपको पता है कि हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां आकार अपने बाल क्यों मुंडवाते हैं? साथ ही इस अद्भुत परंपरा की शुरुआत कैसे हुई? यदि नहीं तो आगे इसे जानिए।
आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। साथ ही यह मंदिर भारत का सबसे धनवान मंदिर भी है। सनातन काल में सोलह संस्कारों का क्रम रहा है जो गर्भादान से लेकर अन्त्येष्टि संस्कार तक जारी रहता है। इस कर्म में मुंडन संस्कार शिशु के जन्म के बाद प्रथम एक वर्ष के अंदर करा दिया जाता है। साथ ही हिंदुओं में यह मान्यता है कि कोई मन्नत पूरी होने पर मुंडन करवाया जाता है। बता दें कि तमिलनाडु के तिरुतगामी स्थल में बड़ी संख्या में महिलाएं अपनी मन्नत पूरी हो जाने के बाद मुंडन करवाती हैं।
तिरुपति बालाजी मंदिर में बालों के दान के दान के बारे में कहा जाता है कि जो मनुष्य यहां अपने बालों का दान करता है उसे देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही सारी परेशानी खत्म हो जाती है। मान्यता है कि जो व्यक्ति अपने मन से सभी पाप और बुराइयों को यहां छोड़ जाता है उसके सभी दुख देवी लक्ष्मी खत्म कर देती हैं। इसलिए यहां सभी बुराइयों और पापों के रूप में लोग अपने बाल छोड़ जाते हैं। ताकि भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी उस पर प्रसन्न रहें। बता दें कि तिरुपति मंदिर में प्रतिदिन करीब 20 हजार भक्त यहां अपने बाल दान करके जाते हैं। वहीं इस कार्य को सम्पन्न करने के लिए मंदिर परिसर में करीब छह सौ नाइयों को भी रखा गया है।