Pukhraj Gemstone Benefits: पुखराज रत्न का संबंध गुरु बृहस्पति से माना जाता है। वैदिक ज्योतिष में गुरु ग्रह को ज्ञान, शिक्षक, संतान, बड़े भाई, शिक्षा, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, धन, दान, पुण्य और वृद्धि आदि का कारक का माना जाता है। इसलिए पुखराज धारण करने से व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति होती है। साथ ही सुख- समृद्धि का जीवन में वास होता है। अंग्रेजी भाषा में पुखराज को येलो सफायर कहते हैं। वहीं टोपाज इसका उपरत्न होता है। आइए जानते हैं पुखराज पहनने के लाभ और इसको धारण करने की विधि…
ऐसा होता है पुखराज
वैदिक ज्योतिष अनुसार पुखराज को संस्कृत में पुष्पराज, गुरु रत्न, गुजराती में पीलूराज, कन्नड़ में पुष्पराग, हिन्दी में पुखराज कहते हैं। सबसे अच्छे पुखराज ब्राजील और श्रीलंका( सीलोनी) देश के माने जाते हैं। सीलीनीं पुखराज काफी महंगा आता है। वहीं बैंकांक का पुखराज सस्ता मिलता है।
इन राशि के लोग कर सकते हैं धारण
- जिन जातकों की कुंडली में गुरु ग्रह उच्च के या सकारात्मक स्थित हों वो लोग पुखराज धारण कर सकते हैं।
- मीन और धनु राशि और लग्न वाले जातक पुखराज पहन सकते हैं। क्योंकि इन दोनों राशियों के स्वामी गुरु ग्रह ही हैं।
- तुला लग्न वाले जातक पुखराज पहन सकते हैं, क्योंकि गुरु आपके पंचम भाव के स्वामी होते हैं। इसलिए आपको पुखराज धारण करना लाभप्रद सिद्ध हो सकता है।
- मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक राशि के लोग भी पुखराज रत्न को धारण कर सकते हैं।
- अगर कुंडली में गुरु ग्रह नीच के स्थित हों तो पुखराज धारण नहीं करना चाहिए।
- पुखराज के साथ हीरा भी नहीं धारण करना चाहिए।
- वहीं अगर नीच के गुरु कुंडली में स्थित हों तो पुखराज नहीं पहनना चाहिए।
इस विधि से करें धारण
पुखराज को कम से कम सवा 5 से सवा 7 कैरेट का पहनना चाहिए। वहीं पुखराज को सोने के धातु में जड़वाना सबसे शुभ माना गया है। वहीं पुखराज को गुरुवार के दिन धारण करना चाहिए। इसे धारण करने से पहले रत्न जड़ित अंगूठी को गंगा जल या दूध से शुद्ध कर लें। इसके बाद अंगूठी को दाहिने हाथ की तर्जनी उंगली में धारण कर लें। इसके बाद गुरु के बीज मंत्र का जाप करें।