Varuthini Ekadashi 2023: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के वराह रुप की पूजा की जाती है। साथ ही साल में कुल 24 एकादशी के व्रत आते है। वहीं वरुथिनी एकादशी वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की मनाई जाता है। जो इस साल 16 अप्रैल को मनाई जाएगी। मान्यता है जो भी व्यक्ति इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना करता है। भगवान विष्णु उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। साथ ही यह व्रत रखने से सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं तिथि, पूजा मुहूर्त और महत्व…
वरुथिनी एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त 2023 (Varuthini Ekadashi 2023 Tithi)
एकादशी तिथि आरंभ: 15 अप्रैल शाम 8 बजकर 45 मिनट
एकादशी तिथि समाप्त: 16 अप्रैल शाम 6 बजकर 16 मिनट
पारण का समय: 17 अप्रैल सुबह 9 बजकर 31 मिनट तक
वरुथिनी एकादशी पूजा विधि (Varuthini Ekadashi 2023 Puja Vidhi)
एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। साथ ही इसके वस्त्र गंगाजल हाथ में लेकर व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र को पूजा की चौकी पर पीला या सफेद कपड़ा बिछाकर स्थापित करें। इसके बाद सके बाद भगवान विष्णु को वस्त्र आदि अर्पित करें। साथ ही भगवान विष्णु को पीले फूल और मिठाई का भोग लगाएंं। साथ ही भगवान विष्णु की पूरे विधि विधान के साथ पूजा और आरती करें। वहीं 108 बार ऊं नमो भगवते वासुदेवाय का जाप भी करें। अंत में प्रसाद घर के सभी सदस्यों में बांट दें।
वरुथनी एकादशी महत्व (Varuthini Ekadashi Importance)
विष्णु पुराण में वरुथनी एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है। वरुथिनी एकादशी का व्रत अन्नदान, कन्यादान दोनों श्रेष्ठ दानों का फल मिलता है। साथ ही वरुथिनी एकादशी का उपवास करने से भगवान् विष्णु शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। वहीं इस एकादशी पर भगवान विष्णु के वराह अवतार की पूजा- अर्चना की जाती है। आपको बता दें कि इस दिन अन्न दान करने से पितृ, देवता, मनुष्य आदि सब की तृप्ति हो जाती है। वहीं इस दिन तिल का दान करना बहुत शुभ माना जाता है।
