Neelam Gemstone: रत्न शास्त्र में हर ग्रह का एक प्रतिनिधि रत्न होता है। यहां हम बात करने जा रहे हैं नीलम रत्न की, जिसका संबंध शनि देव से माना जाता है। यह रत्न बहुत प्रभावी होता है और जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि देव कमजोर या कम डिग्री के होते हैं। उनको ये रत्न पहनने की सलाह ज्योतिषी देते हैं। वहीं नीलम को अंग्रेजी में इस रत्न को ब्लू सैफायर कहते हैं। मान्यता है कि नीलम 24 घंटे में अपना असर दिखाना शुरू कर देता है। इसलिए इसको सोच- समझकर धारण करना चाहिए। आइए जानते हैं किन इसे धारण करने की विधि और लाभ…
ये लोग कर सकते हैं नीलम धारण
वैदिक ज्योतिष अनुसार वृष राशि, मिथुन राशि, कन्या राशि, तुला राशि, मकर राशि और कुंभ राशि के जातक नीलम धारण कर सकते हैं। क्योंकि कन्या, तुला, मिथनु और वृष शनि देव की मित्र राशियां हैं। वहीं शनि देव अगर उच्च के विराजमान हो तो भी नीलम पहन सकते हैं। साथ ही शनि देव कुंडली के लग्न, दूसरे और भाग्य स्थान में स्थित हैं तो भी नीलम धारण किया जा सकता है। वहीं नीलम के साथ मूंगा, माणिक्य धारण नहीं करने चाहिए।
नीलम धारण करने के लाभ
रत्न शास्त्र अनुसार जिन लोगों पर शन की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही हो वो लोग अपनी कुंडली का विश्लेषण कराकर नीलम पहन सकते हैं। वहीं जिन लोगों का व्यापार लोहा, खजिन, पेट्रोलियम या गैस से जुड़ा हुआ है, वो लोग भी नीलम धारण कर सकते हैं। शनि देव की महादशा में ही नीलम पहन सकते हैं। वहीं नीलम पहनने से सोचने की क्षमता का विकास होता है और अज्ञात भय खत्म होता है।
इस विधि से करें धारण
नीलम को बाजार से कम से कम सवा 7 से सवा 8 रत्ती का खरीदना चाहिए। साथ ही सीलोनी नीलम सबसे अच्छा माना जाता है। इसलिए अगर रिजल्ट अच्छा चाहिए। तो सीलोनी ही खरीदे। वहीं नीलम को शनिवार की शाम को मध्यमा उंगली में धारण कर सकते हैं। वहीं अगर धातु की बात करें तो नीलम पंचधातु में पहनना चाहिए। वहीं नीलम की अंगूठी को पहने से पहले उसे गाय के कच्चे दूध और गंगाजल से शुद्ध कर लें। उसके बाद धारण करें।