Chhath Puja 2023 Kharna: छठ पूजा की शुरुआत हो चुकी है। 18 नवंबर 2023 को दूसरे दिन खरना ( Kharna 2023) है। इसे लोहंडा भी कहा जाता है। इसके साथ 19 नवंबर को अस्ताचलगामी यानी डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य और उसके अगले दिन यानी 31 अक्टूबर को सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा का समापन होगा। छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना नाम से जानते हैं। इस दिन व्रती पूरे दिन का उपवास रखती हैं। इसके बाद शाम को गुड़ की खीर का प्रसाद खाकर व्रत खोलती हैं और इसके बाद 26 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ हो जाता है।
छठ पूजा के खरना का मुहूर्त (Chhath Puja 2023 Kharna Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि सुबह 11 बजकर 3 मिनट तक है। इसके बाद से पंचमी तिथि आरंभ होगी, जो सुबह 9 बजकर 18 मिनट तक रहेगी।
छठ पूजा 2023 दिन 2 सूर्योदय और सूर्यास्त का समय (Chhath Puja 2023 Sunrise and Sunset Timing)
द्रिक पंचांग के अनुसार, खरना के दिन 18 अक्टूबर को सुबह 06:46 बजे सूर्योदय होगा और शाम 5 बजकर 28 मिनट पर सूर्यास्त होगा।
खरना के लिए ऐसे करें प्रसाद तैयार (Chhath Puja Kharna Prasad)
कार्तिक मास की पंचमी तिथि के दिन व्रती पूरे दिन व्रत रखकर शाम को प्रसाद ग्रहण करती हैं। इस दिन नया चूल्हे में प्रसाद बनाया जाता है। व्रती दिनभर व्रत रखने के बाद शाम को चावल, गुड़ और गन्ने के रस से रसियाव यानी गुड़ की खीर बनाते हैं और सूर्यदेव को केले के पत्ते या फिर मिट्टी के बर्तन में प्रसाद रखकर अर्पित करते हैं। इसके बाद व्रती खुद ग्रहण करती हैं। इसके बाद घर के अन्य सदस्यों को प्रसाद दिया जाता है। इसके अलावा प्रसाद में चावल के पिट्ठा और घी लगी रोटी भी दी जाती है। प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे के लिए व्रती निर्जला व्रत रखती हैं।
खरना पर इन नियमों का रखें ख्याल (Chhath Puja 2023 Kharna Rules)
- खरना के दिन नए चूल्हे का इस्तेमाल करने के साथ इस जगह पर प्रसाद बनाया जाता है। जहां पर रोजाना भोजन नहीं बनता है।
- खरना के दिन सबसे प्रसाद बनाने के बाद सबसे पहले सूर्य देव को भोग लगाया जाता है।
- भोग लगाने के बाद व्रती शांति, एकांत जगह में बैठकर प्रसाद ग्रहण करती हैं। इसके बाद ही घर के अन्य सदस्यों को प्रसाद दिया जाता है।
महापर्व छठ 2023 (Chhath Puja 2023)
पहला दिन- नहाय खाय ( 17 नवंबर)
दूसरा दिन- खरना (18 नवंबर)
तीसरा दिन- छठ पूजा, पहला अर्घ्य (19 नवंबर)
चौथा दिन- पारण, सुबह का अर्घ्य (20 नवंबर)