10 जनवरी की रात मांघ चंद्र ग्रहण दिखेगा। ज्योतिष अनुसार मांघ चंद्र ग्रहण जिसे उपच्छाया चंद्र ग्रहण भी कहा जाता है इसका सूतक काल मान्य नहीं होता। जिस वजह से पूजा पाठ आदि कर्म ग्रहण काल में किये जा सकते हैं। इस ग्रहण में चंद्रमा पूरी तरह से धरती की छाया से नहीं ढकेगा बल्कि चांद के आगे धूल की एक परत सी छा जायेगी। इससे चंद्रमा के आकार में कोई परिवर्तन नहीं आयेगा।
सूतक काल: क्योंकि भारत में ये ग्रहण लगेगा इसलिए कई लोग इसके सूतक काल को भी मानेंगे। आपको बता दें चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण लगने से ठीक 9 घंटे पहले शुरू हो जायेगा। 10 जनवरी को ग्रहण रात में 10 बजे के आस पास लगने जा रहा है जिस कारण इसके सूतक का प्रभाव दोपहर 1 बजे से माना जायेगा। ये चंद्र ग्रहण भारत समेत यूएस, एशिया, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया के कई भागों में देखा जा सकेगा।
2020 का वार्षिक राशिफल देखें यहां…
मेष (Aries ) | वृषभ (Taurus) | मिथुन (Gemini) | कर्क (Cancer) | सिंह (Leo) | कन्या (Virgo) | तुला (Libra) | वृश्चिक (Scorpio) | धनु (Sagittarius) | मकर (Capricorn) | कुंभ (Aquarius) | मीन (Pisces)
क्या होता है उपच्छाया चंद्र ग्रहण? चंद्रग्रहण से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया में प्रवेश करता है जिसे चंद्र मालिन्य कहा जाता है। इसके बाद ही चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है। इस वास्तविक छाया में ही चंद्रमा के प्रवेश करने पर चंद्र ग्रहण लगता है। लेकिन कई बार चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया में जाकर वहां से वापस लौट आता है। इसलिए इस उपच्छाया ग्रहण के समय चंद्रमा का बिंब केवल धुंधला नजर आता है, काला नहीं। इसलिए यह ग्रहण आसानी से दिखाई नहीं देता। ज्योतिष में उस ग्रहण का ही धार्मिक महत्व माना जाता है जिसे खुली आंखों से देखा जा सके।
चंद्र ग्रहण उस खगोलीय स्थिति को कहते हैं जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। लेकिन इस ग्रहण में चंद्रमा पर कोई प्रच्छाया नहीं है। यह केवल उपच्छाया ग्रहण है, जो कि खुली आंख से नहीं दिखेगा। इसलिए इसे ग्रहण कहने के बजाए छाया का समय कहा जाता है।
ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात्
मेष: मेष राशि वाले हो जाएं खुश। इस चंद्र ग्रहण का उनके जीवन पर पड़ सकता है अच्छा असर। वह अपने काम को सफल होता देख सकते हैं। ऑफिस में भी लोग उनके काम की तारीफ कर सकते हैं।
इस वर्ष होने वाले ग्रहणों की सूची इस प्रकार है:
5 जून - चंद्र ग्रहण
21 जून - सूर्य ग्रहण
5 जुलाई - चंद्र ग्रहण
30 नवंबर - चंद्र ग्रहण
14 दिसंबर - सूर्य ग्रहण
सूतक काल ग्रहण से लगभग 12 घंटे पहले शुरू होता है। हालांकि, इस बार सूतक काल नहीं होगा। ज्योतिषियों के अनुसार, चंद्रग्रहण को शास्त्रों में ग्रहण की श्रेणी से बाहर रखा गया है। इस कारण से, इस प्रथम प्रथमाक्षर चंद्र ग्रहण पर सूतक काल नहीं लगेगा।
लोग चंद्रग्रहण को नग्न आंखों के माध्यम से देख सकते हैं क्योंकि रात में चंद्रमा को देखना पूरी तरह से सुरक्षित है। लोग http://www.timeanddate.com पर चंद्रग्रहण का लाइव स्ट्रीमिंग भी देख सकते हैं। ऑनलाइन लाइव स्ट्रीमिंग के अलावा, लोग अपने स्मार्ट गैजेट्स पर चंद्र ग्रहण भी देख सकते हैं। पहला चंद्रग्रहण यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में भी देखा जाएगा।
ग्रहण के बाद स्नान और दान से खास लाभ होता है। गेहूं, धान, चना,मसूर दाल, गुड़, अरवा चावल,सफेद-गुलाबी वस्त्र, चूड़ा, चीनी, चांदी-स्टील की कटोरी में खीर दान से विभिन्न राशि के लोगों को खास लाभ मिलेगा।
वैज्ञानिक कारण से परे धार्मिक मान्यताओं में ग्रहण का विशेष महत्व रहता है. दरअसल, ग्रहण काल को अशुभ माना गया है. सूतक की वजह से इस दौरान कोई भी धार्मिक कार्य नहीं किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं में विश्वास रखने वाले लोग ग्रहण के वक्त शिव चालिसा का पाठ कर सकते हैं. साथ ही ग्रहण खत्म होने के बाद नहाकर गंगा जल से घर का शुद्धिकरण करते हैं और फिर पूजा-पाठ कर दान-दक्षिणा करते हैं.
सूतक चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण दोनों के समय लगता है। किसी बच्चे के जन्म लेने के बाद भी उस घर के सदस्यों को सूतक की स्थिति में बिताने होते हैं। सूतक काल में किसी भी तरह का कोई शुभ काम नहीं किया जाता। यहां तक की कई मंदिरों के कपाट भी सूतक के दौरान बंद कर दिये जाते हैं। इस बार 10 जनवरी को चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने के कारण हालांकि इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। लेकिन बहुत से लोग हर तरह के ग्रहण को गंभीरता से लेते हैं जिस वजह से वो सूतक के नियमों का पालन भी करते हैं। जानिए सूतक काल के बारे में…
2020 में कुल 4 चंद्र ग्रहण लगेंगे. हालांकि ये उपच्छाया (पेनम्रबेल) चंद्र ग्रहण ही होंगे यानी चांद का चेहरा कुछ घंटों के लिए डार्क सिल्वर के रंग का प्रतीत होगा. जानिए क्यो और कैसे लगता है ग्रहण
ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण लगना अच्छा नहीं माना गया है। क्योंकि इस दौरान नकारात्मक ऊर्जा काफी हावी रहती है। इसलिए ग्रहण के समय मंदिरों के कपाट और पूजा पाठ के कार्य तक बंद कर दिये जाते हैं। इस दौरान खासकर गर्भवती महिलाओं को अपना विशेष ध्यान रखने की जरूरत पड़ती है। 10 जनवरी को साल का पहला चंद्र ग्रहण लग रहा है जानिए इस चंद्र ग्रहण के दौरान किन-किन बातों का रखें विशेष ध्यान…
मान्यता है कि ग्रहण काल के दौरान खाना-पिना, शोर मचाना या किसी भी प्रकार का शुभ कार्य जैसे पूजा-पाठ आदि नहीं करना चाहिए। सूतक काल के बाद प्रेगनेंट महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और ना ही किसी भी तरह की नुकीली वस्तुओं का इस्तेमाल करना चाहिए। ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान भी जरूर कर लेना चाहिए। सूतक काल शुरू होने से पहले खाने पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते डालकर देने चाहिए। ग्रहण के दान-पुण्य भी जरूर करना चाहिए।
सूतक चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण दोनों के समय लगता है। किसी बच्चे के जन्म लेने के बाद भी उस घर के सदस्यों को सूतक की स्थिति में बिताने होते हैं। सूतक काल में किसी भी तरह का कोई शुभ काम नहीं किया जाता। यहां तक की कई मंदिरों के कपाट भी सूतक के दौरान बंद कर दिये जाते हैं। इस बार 10 जनवरी को चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने के कारण हालांकि इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। लेकिन बहुत से लोग हर तरह के ग्रहण को गंभीरता से लेते हैं जिस वजह से वो सूतक के नियमों का पालन भी करते हैं।
उपच्छाया से पहला स्पर्श - 10:39 पी एम, जनवरी 10
परमग्रास चन्द्र ग्रहण - 12:39 ए एम
उपच्छाया से अन्तिम स्पर्श - 02:40 ए एम
उपच्छाया की अवधि - 04 घण्टे 01 मिनट 47 सेकण्ड्स
उपच्छाया चन्द्र ग्रहण का परिमाण - 0.89
इस ग्रहण में सूतक काल मान्य नहीं है। लेकिन जो लोग हर तरह के ग्रहण को गंभीरता से लेते हैं और सूतक के नियमों का पालन करते हैं। उनके लिए सूतक काल 1.39 बजे से शुरू हो गया है।