साल का पहला चंद्र ग्रहण लग चुका है। ये साल का पहला ग्रहण है जो 10 जनवरी को लगा है। यह ग्रहण को यूरोप, एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देगा। ग्रहण काल की शुरुआत 10 जनवरी की रात 10 बजकर 37 मिनट से हो जायेगी और इसका अंत 2:42 ए एम पर 11 जनवरी को होगा। इस ग्रहण की कुल अवधि करीब 4 घंटे की होगी।
उपच्छाया से पहला स्पर्श – 10:39 पी एम, जनवरी 10
परमग्रास चन्द्र ग्रहण – 12:39 ए एम
उपच्छाया से अन्तिम स्पर्श – 02:40 ए एम
उपच्छाया की अवधि – 04 घण्टे 01 मिनट 47 सेकण्ड्स
उपच्छाया चन्द्र ग्रहण का परिमाण – 0.89
ग्रहण से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं: ग्रहण की कहानी समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है। एक बार दानवों और देवताओं में समुद्र मंथन से निकले अमृत को लेकर विवाद हो गया। जिसे सुलझाने और अमृत देवताओं को पिलाने के लिए भगवान विष्णु ने एक चाल चली। भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया और देवताओं को अमृतपान करवाया। उस समय राहु नाम का असुर ने भी देवताओं का वेश धारण करके अमृत पान कर लिया था। चंद्र और सूर्य ने राहु को पहचान लिया और भगवान विष्णु को बता दिया। विष्णुजी ने क्रोधित होकर राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया, क्योंकि अमृत राहु के मुख में जा चुका था इस कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई। इस दानव के सिर वाला भाग राहु तो धड़ वाला भाग केतु कहलाया। इस घटना के बाद से राहु चंद्र और सूर्य से शत्रुता रखता है और समय-समय पर इनको ग्रास कर लेता है। इसी घटना को सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण कहते हैं।
साल 2020 के आगामी ग्रहण (Lunar Eclipse And Solar Eclipse 2020 Date) :
10-11 जनवरी – चंद्र ग्रहण
5 जून – चंद्र ग्रहण
21 जून – सूर्य ग्रहण
5 जुलाई – चंद्र ग्रहण
30 नवंबर -चंद्र ग्रहण
14 दिसंबर – सूर्य ग्रहण
2020 का वार्षिक राशिफल देखें यहां…
मेष (Aries ) | वृषभ (Taurus) | मिथुन (Gemini) | कर्क (Cancer) | सिंह (Leo) | कन्या (Virgo) | तुला (Libra) | वृश्चिक (Scorpio) | धनु (Sagittarius) | मकर (Capricorn) | कुंभ (Aquarius) | मीन (Pisces)
2020 का पहला चंद्रग्रहण लगते ही आसमान में चंद पूरी तरह से दुधिया रोशनी से सरोबोर हो गया। ऐसा माना जा रहा है की यह चंद्रग्रहण दशक का पहला ऐसा चंद्रग्रहण है जब फुल मून का नजारा देखने को मिला। इस फुल मून से संबंधित तस्वीर विदेशों से भी आ रही है। इसी क्रम में केन्या की राजधानी नौरोबी के एक यूजर ने ट्वीटर पर एक तस्वीर शेयर की है।
सूर्य, बुध, गुरु, शनि और केतु ये पांच ग्रह धनु राशि पर लगे हुए हैं और इस बार का चंद्र ग्रहण मिथुन राशि में लग रहा है. जब मिथुन राशि पर ग्रहण लगेगा तब 7वें स्थान पर यह पांचों ग्रह धनु राशि पर एकत्र हो जाएंगे. जब पांचों ग्रह एक साथ मिल जाएंगे तो राजतंत्र में उथल-पुथल की स्थिति बनेगी।
उपच्छाया से पहला स्पर्श - 10:39 पी एम, जनवरी 10 परमग्रास चन्द्र ग्रहण - 12:39 ए एम उपच्छाया से अन्तिम स्पर्श - 02:40 ए एम उपच्छाया की अवधि - 04 घण्टे 01 मिनट 47 सेकण्ड्स उपच्छाया चन्द्र ग्रहण का परिमाण - 0.89
ग्रहण का प्रभाव एक पक्ष तक यानी 15 दिन तक रहता है. चंद्रमा जल का कारक होने से इस दौरान पृथ्वी पर जलीय आपदा या भूकम्प भी आ सकता है. वहीं बात करें तो सभी राशियों पर चंद्र ग्रहण का प्रभाव या दुष्प्रभाव अवश्य पड़ेगा. मिथुन और कर्क वालों को स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहना होगा तो वहीं सिंह राशि वालों के लिए ग्रहण शुभ रहेगा।
नासा की ग्रहण से संबंधित वेब साइट के अनुसार पिछले 10 सालों में मांद्य चंद्र ग्रहण 6 बार हुआ है और इस बार साल 2020 में ऐसे 4 ग्रहण पड़ने वाले हैं। 10 जनवरी के बाद 5 जून, 5 जुलाई और 30 नवंबर को मांद्य चंद्र ग्रहण होगा। 2020 से पहले पिछले 10 सालों में 28 नवंबर 2012, 25 मार्च 2013, 18 अक्टूबर 2013, 23 मार्च 2016, 16 सितंबर 2016 और 11 फरवरी, 2017 को ऐसा उपच्छाया चंद्र ग्रहण लग चुका है।
ये मांद्य चंद्र ग्रहण है। मांद्य का अर्थ है न्यूनतम यानी मंद होने की क्रिया। इसका किसी भी तरह का धार्मिक असर नहीं होगा। इस ग्रहण में चंद्र की हल्की सी कांति मलीन हो जाएगी। लेकिन, चंद्रमा का कोई भी भाग ग्रहण ग्रस्त होता दिखाई नहीं देगा। एशिया के कुछ देशों, यूएस आदि में ये ग्रहण देखा जा सकेगा। इस ग्रहण में चंद्रमा का करीब 90 प्रतिशत भाग धूसर छाया में आ जाएगा। धूसर छाया यानी मटमैली छाया जैसा, हल्की सी धूल-धूल वाली छाया।
भारत में, चंद्र ग्रहण 10 जनवरी 2020 को रात 10:30 बजे से सुबह 2:42 बजे, 11 जनवरी 2020 तक देखा जा सकता है। चंद्र ग्रहण की पूर्ण अवधि लगभग 4 से 5 घंटे होने की उम्मीद है।
ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात्
मेष: मेष राशि वाले हो सकते हैं खुश क्योंकि इस ग्रहण का उनपर अच्छा प्रभाव पड़ सकता है। वह अपने कई काम को सफल होता देख सकते हैं। ऑफिस में उनके काम के लिए उन्हें सराहा जा सकता है।
इस वर्ष होने वाले ग्रहणों की सूची इस प्रकार है:
5 जून - चंद्र ग्रहण
21 जून - सूर्य ग्रहण
5 जुलाई - चंद्र ग्रहण
30 नवंबर - चंद्र ग्रहण
14 दिसंबर - सूर्य ग्रहण
सूतक काल ग्रहण से लगभग 12 घंटे पहले शुरू होता है। हालांकि, इस बार सूतक काल नहीं होगा। ज्योतिषियों के अनुसार, चंद्रग्रहण को शास्त्रों में ग्रहण की श्रेणी से बाहर रखा गया है। इस कारण से, इस प्रथम प्रथमाक्षर चंद्र ग्रहण पर सूतक काल नहीं लगेगा।
लोग चंद्रग्रहण को नग्न आंखों के माध्यम से देख सकते हैं क्योंकि रात में चंद्रमा को देखना पूरी तरह से सुरक्षित है। लोग http://www.timeanddate.com पर चंद्रग्रहण का लाइव स्ट्रीमिंग भी देख सकते हैं। ऑनलाइन लाइव स्ट्रीमिंग के अलावा, लोग अपने स्मार्ट गैजेट्स पर चंद्र ग्रहण भी देख सकते हैं। पहला चंद्रग्रहण यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में भी देखा जाएगा।
सूतक चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण दोनों के समय लगता है। किसी बच्चे के जन्म लेने के बाद भी उस घर के सदस्यों को सूतक की स्थिति में बिताने होते हैं। सूतक काल में किसी भी तरह का कोई शुभ काम नहीं किया जाता। यहां तक की कई मंदिरों के कपाट भी सूतक के दौरान बंद कर दिये जाते हैं। इस बार 10 जनवरी को चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने के कारण हालांकि इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। लेकिन बहुत से लोग हर तरह के ग्रहण को गंभीरता से लेते हैं जिस वजह से वो सूतक के नियमों का पालन भी करते हैं।
उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने से इसका सूतक मान्य नहीं होगा। पंचांग अनुसार जो चंद्र ग्रहण नग्न आंखों से स्पष्ट रूप से न दिखाई देता हो उस चंद्रग्रहण का धार्मिक महत्व नहीं होता है। उपच्छाया वाला चंद्रग्रहण खुली आंखों से न दिखाई देने के कारण इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
धार्मिक मान्यताओं अनुसार ग्रहण का सबसे ज्यादा प्रभाव गर्भवती महिलाओं पर पड़ता है। मान्यता है कि ग्रहण काल में प्रेगनेंट महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और ना ही किसी भी तरह की नुकीली वस्तुओं का इस्तेमाल करना चाहिए। प्रेगनेंट महिलाएं ग्रहण शुरू होते ही चाकू, ब्लेड, कैंची जैसी चीजों का इस्तेमाल न करें। क्योंकि ग्रहण के समय धार वाली वस्तुओं का प्रयोग करने से गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास पर इसका बुरा असर पड़ता है।
नासा के मुताबिक, यह चंद्र ग्रहण, अफ्रीका, यूरोप, एशिया और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया से सबसे बेहतरीन दिखेगा. जब इन महाद्वीपों में रात हो रही होगी, उस वक्त चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया (पेनम्ब्रल) में एंट्री करेगा. मुख्य चंद्र ग्रहण 12.07 बजे से शुरू होगा और इसकी कुल अवधि 4 घंटे, 4 मिनट और 34 सेकेंड की रहेगी.
आज पौष मास की पूर्णिमा तिथि है। जिसका धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व माना गया है। इस दिन किसी तीर्थ स्थल पर स्नान करने और दान पुण्य करना फलदायी होता है। मोक्ष प्राप्ति के लिए पूर्णिमा तिथि को व्रत किया जाता है। पौष पूर्णिमा के दिन से ही माघ मेले (Magh Mela 2020) की शुरुआत भी हो जाती है। इस दिन काशी, प्रयागराज और हरिद्वार में गंगा स्नान (Ganga Snan 2020) करने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। आज के दिन ही चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) भी लग रहा है। जानिए पौष पूर्णिमा का महत्व, पूजा विधि और मुहूर्त…
ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। जिसका प्रारंभ 10 जनवरी की रात 10 बजकर 39 मिनट से होगा और इसकी समाप्ति 2 बजकर 40 ए एम (11 जनवरी) को होगी। इस ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे 1 मिनट की रहेगी।
चंद्रग्रहण से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया में प्रवेश करता है जिसे चंद्र मालिन्य कहा जाता है। इसके बाद ही चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है। इस वास्तविक छाया में ही चंद्रमा के प्रवेश करने पर चंद्र ग्रहण लगता है। लेकिन कई बार चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया में जाकर वहां से वापस लौट आता है। इसलिए इस उपच्छाया ग्रहण के समय चंद्रमा का बिंब केवल धुंधला नजर आता है, काला नहीं। इसलिए यह ग्रहण आसानी से दिखाई नहीं देता। ज्योतिष में उस ग्रहण का ही धार्मिक महत्व माना जाता है जिसे खुली आंखों से देखा जा सके।
चंद्रग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आकर चंद्र पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी को रोक देती है जिससे कि चंद्रमा पृथ्वी की छाया में आने लगता है। विज्ञान अनुसार इसी तरह चंद्र ग्रहण लगता है। कुल तीन प्रकार के चंद्र ग्रहण होते हैं। एक पूर्ण, दूसरा आंशिक और तीसरा पीनम्ब्रल यानी उपच्छाया। ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण ही 10 जनवरी को लगने जा रहा है। जानिए चंद्र ग्रहण लगने के धार्मिक कारण...
ज्योतिष अनुसार इस ग्रहण में सूतक काल मान्य नहीं है। लेकिन फिर भी कई जगह हर टाइप के ग्रहण का सूतक काल माना जाता है। जिसमें सभी तरह के मांगलिक कार्य और पूजा पाठ के काम तक बंद कर दिये जाते हैं। जानिए सूतक काल में क्या बरतनी होती है सावधानी...
10 जनवरी को पौष पूर्णिमा वाले दिन चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2020) लगने जा रहा है। ज्योतिष अनुसार हर ग्रहण का मानव समाज के जीवन पर गहरा असर पड़ता है। जिसका प्रभाव कम से कम 15 दिनों तक रहता है और इन 15 दिनों के अंदर ही शनि भी अपनी राशि बदलने जा रहे हैं। जिसका असर सभी राशि के जातकों पर पड़ेगा। ज्योतिष अनुसार शनि का राशि बदलना एक महत्वपूर्ण घटना मानी गई है। क्योंकि शनि बाकी ग्रहों के मुकाबले अपनी राशि बदलने में करीब ढाई साल का समय लेते हैं। इस बार शनि का ये धनु राशि से मकर में गोचर 24 जनवरी को होने जा रहा है। जहां पहले से ही सूर्य की भी मौजूदगी रहेगी। जानिए शनि के राशि गोचर का क्या होगा असर
आज चंद्र ग्रहण की शुरुआत रात 10.39 बजे से हो रही है जिसकी समाप्ति 2.39 ए एम (11 जनवरी) के आस पास होगी। जबकि माघ मास की शुरुआत 11 जनवरी को 12.50 ए एम से हो जायेगी। ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण है जिस वजह से इसका सूतक मान्य नहीं है।
ये मांद्य चंद्र ग्रहण है। मांद्य का अर्थ है न्यूनतम यानी मंद होने की क्रिया। इसका किसी भी तरह का धार्मिक असर नहीं होगा। इस ग्रहण में चंद्र की हल्की सी कांति मलीन हो जाएगी। लेकिन, चंद्रमा का कोई भी भाग ग्रहण ग्रस्त होता दिखाई नहीं देगा। एशिया के कुछ देशों, यूएस आदि में ये ग्रहण देखा जा सकेगा। इस ग्रहण में चंद्रमा का करीब 90 प्रतिशत भाग धूसर छाया में आ जाएगा। धूसर छाया यानी मटमैली छाया जैसा, हल्की सी धूल-धूल वाली छाया।
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार उपच्छाया चंद्र ग्रहण को ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता है और यही वजह कि बाकी ग्रहणों की तरह इस चंद्र ग्रहण में सूतक काल नहीं लगेगा. सूतक काल ना लगने के कारण ना ही आज मंदिरों के कपाट बंद किए जाएंगे और ना ही पूजा-पाठ वर्जित होगी. इसलिए इस दिन आप सामान्य दिन की तरह ही सभी काम कर सकते हैं.
धार्मिक मान्यताओं अनुसार ग्रहण के सूतक काल में नकारात्मक ऊर्जा वातावरण में फैलने लगती है। इसलिए शुभ काम इस समय पर करने से पुण्यफल प्राप्त नहीं हो पाता और गर्भवती महिलाओं के लिए सूतक विशेष रूप से हानिकारक होता है।
चंद्र ग्रहण के दौरान कई बातों का ख्याल रखना आवश्यक माना जाता है। मान्यता है कि इस ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को घर के बाहर नहीं निकलना चाहिए। ग्रहण के दौरान कोई भी काम शुरु करने की मनाही होती है। इस दौरान खाना बनाने से भी बचना चाहिए। ग्रहण के दौरान नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव अधिक होता है, इसलिए हमेशा इस दौरान ईश्वर का ध्यान करना चाहिए।
चंद्र ग्रहण आपके लिए दांपत्य जीवन में उतार-चढ़ाव आने का संकेत भी दे रहा है। अपने स्वास्थ्य का भी विशेष रुप से ध्यान रखने की आवश्यकता है। शारीरिक कष्ट मिल सकता है। अचानक से किसी यात्रा पर भी आपको जाना पड़ सकता है अपने आप को इस स्थिति के लिए तैयार रखें। ग्रहण के दिन दूध का सेवन न करें तो बेहतर रहेगा। गले संबंधी रोगों के प्रति भी सचेत रहें।
सूर्य ग्रहण की तरह आपको चंद्र ग्रहण चश्मों के साथ देखने की ज़रूरत नहीं पड़ती. बल्कि चंद्र ग्रहण को नंगी आंखों से देखा जा सकता है, लेकिन यह एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण है जो कि खास सोलर फिल्टर वाले चश्मों (सोलर-व्युइंग ग्लासेस, पर्सनल सोलर फिल्टर्स या आइक्लिप्स ग्लासेस) से ही देखा जा सकेगा. वहीं, अगर आप टेलिस्कोप की मदद से चंद्र ग्रहण देखेंगे तो आपको बेहद खूबसूरत नजारा दिखाई देगा.
असल में यह एक खगोलीय घटना होती है. चंद्र ग्रहण उस खगोलिय घटना को कहा जाता है जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है. वहीं, सूर्य ग्रहण तब माना जाता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच से होकर गुजरता.
साल का पहला चंद्र ग्रहण 10 जनवरी को पौष पूर्णिमा (Paush Purnima 2020) के दिन लगने जा रहा है। ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण (Penumbral Lunar Eclipse) होगा जो मिथुन राशि में लगने जा रहा है। इसलिए इस राशि के जातकों पर इस ग्रहण का विशेष प्रभाव पड़ेगा। 10 जनवरी से ही प्रयागराज में माघ मेले (Magh Mela 2020 Date) की शुरुआत भी हो जायेगी। ये मेला पौष पूर्णिमा से शुरू होकर 21 फरवरी महाशिवरात्रि (Maha Shivratri 2020) के दिन तक चलेगा। चंद्र ग्रहण के दिन सरोवर में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। जानिए आपकी राशि पर इस ग्रहण का क्या असर होगा…
उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने से इसका सूतक मान्य नहीं होगा। पंचांग अनुसार जो चंद्र ग्रहण नग्न आंखों से स्पष्ट रूप से न दिखाई देता हो उस चंद्रग्रहण का धार्मिक महत्व नहीं होता है। उपच्छाया वाला चंद्रग्रहण खुली आंखों से न दिखाई देने के कारण इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
बाकी ग्रहण की तरह इस ग्रहण में सूतक नहीं लगेगा क्योंकि चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पूरी तरह से नहीं पड़ेगी। आमतौर पर देखा जाता है कि चंद्र या सूर्य ग्रहण होने के बारह घंटे पहले सूतक काल लगता है। सूतक काल में शुभ काम करना मना होता लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। ग्रहण काल को छोड़कर आप अपने बाकी के काम रोज की तरह ही कर सकते हैं। लेकिन ग्रहण काल में कुछ बातें ध्यान रखना जरूरी होगा।
साल का पहला चंद्र ग्रहण लगभग चार घंटे 5 मिनट तक रहेगा जो कि 10 जनवरी को10:37 बजे से शुरू होकर अगले दिन 2:42 तक रहेगा।
ये मांघ चंद्र ग्रहण होगा। जिसका अर्थ होता है न्यूतम यानी मंद होने की क्रिया। इस ग्रहण में चंद्रमा की हल्की सी कांति मलीन हो जाएगी। लेकिन चांद का कोई भी भाग ग्रस्त नहीं होगा। इस ग्रहण के समय चंद्रमा का करीब 90 प्रतिशत हिस्सा मटमैली छाया में आ जायेगा।
ग्रहण का प्रभाव एक पक्ष तक यानी 15 दिन तक रहता है. चंद्रमा जल का कारक होने से इस दौरान पृथ्वी पर जलीय आपदा या भूकम्प भी आ सकता है. वहीं बात करें तो सभी राशियों पर चंद्र ग्रहण का प्रभाव या दुष्प्रभाव अवश्य पड़ेगा. मिथुन और कर्क वालों को स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहना होगा तो वहीं सिंह राशि वालों के लिए ग्रहण शुभ रहेगा।
साल का पहला चंद्र ग्रहण 10 जनवरी को रात 10 बजकर 37 मिनट से 11 जनवरी को रात दो बजकर 42 मिनट तक रहेगा। इस चंद्र ग्रहण की अवधि 4 घंटे से ज्यादा होगी।
गर्भवती महिलाओं को तो ग्रहण के दौरान विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। शास्त्रों के अनुसार चंद्रग्रहण के दौरान सोना नहीं चाहिए। भोजन करना, पूजा करना, कंघी करना, ब्रश करना, स्नान करना और घर से बाहर जाने से भी मना किया जाता है।
ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण है जो खुली आंखों से नहीं देखा जा सकेगा। इसे देखने के लिए विशेष तरह के उपकरणों की जरूरत पड़ेगी। ज्योतिष अनुसार सिर्फ उसी ग्रहण का सूतक माना जाता है जिसे आप नंगी आंखों से देख सके। तो इस ग्रहण में सूतक काल नहीं लगेगा।
मोक्ष की कामना रखने वाले इस पल को बहुत ही शुभ मानते हैं। क्योंकि इसके बाद माघ महीने की शुरुआत होती है। ऐसा माना जाता है कि यदि चंद्र ग्रहण के दौरान किसी सरोवर में स्नान किया जाए तो सभी पाप धुल जाते हैं।