Chaitra Purnima 2023: शास्त्रों में चैत्र पूर्णिमा का विशेष महत्व है। क्योंकि चैत्र महीना हिंदू नववर्ष का प्रथम माह होता है। वहीं चैत्र पूर्णिमा को चैती पूनम के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा का विधान है। मान्यता है जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की आराधना करता है, उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। साथ ही इस दिन हनुमान जयंती का पर्व भी मनाया जाता है। आइए जानते हैं कब है चैत्र पूर्णिमा, तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व…

चैत्र पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त 2023 (Chaitra Purnima 2023 Tithi And Shubh Muhurat)

वैदिक पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि की शरुआत 5 अप्रैल को सुबह 9 बजकर 21 मिनट से शुरू हो रही है और यह अगले दिन यानी 6 अप्रैल 2023 की सुबह 10 बजकर 4 मिनट तक रहेगी। इसलिए पूर्णिमा का व्रत 5 अप्रैल को रखा जाएगा। लेकिन उदयातिथि के अनुसार पूर्णिमा स्नान 6 अप्रैल 2023 को होगा। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की विधि विधान से पूजा की जाती है और अर्घ्य दिया जाता है। साथ ही 6 अप्रैल को उदया तिथि में पूर्णिमा होने के कारण हनुमान जयंती का पर्व 6 अप्रैल को मनाया जाएगा।

चैत्र पूर्णिमा की पूजन विधि (Chaitra Purnima 2023 Puja Vidhi)

इस दिन गंगा नदी और पवित्र सरोवर में स्नान करने का विधान है। इसलिए इस दिन जल्दी उठकर गंगा नदी और पवित्र सरोवर में स्नान करें। साथ ही अगर ये संभव ना हो तो नहाते समय पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे मिला दें। साथ ही ऐसी भी मान्यताएं हैं कि इस दिन तुलसी स्नान करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है। स्नान के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें। साथ ही इसके बाद सत्यनारायण भगवान की कथा सुनें या किसी योग्य ब्राह्राण से कथा घर पर कराएं। रात में विधि पूर्वक चंद्र देव की पूजा करें और उन्हें जल अर्पण करें। ऐसा करने से आपको चंद्र देव की कृपा प्राप्त होगी। 

चैत्र पूर्णिमा धार्मिक महत्व

इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को जल से भरा कलश, मिट्टी की सुराही और चावल दान करने से घर से दरिद्रता दूर होती है। साथ ही शुभ मुहूर्त में भगवान सत्यनारायण की पूजा आराधना करनी चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि का वास होता है। वहीं शास्त्रों के अनुसार चैत्र पूर्णिमा के दिन भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज में रास उत्सव का समापन किया था। इस रास को महारास के नाम से जाना जाता है। इस दिन पवित्र में स्नान करने से दरिद्रता दूर होती है।

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