Neelam Gemstone: रत्न शास्त्र अनुसार नीलम रत्न का संबंध शनि ग्रह से माना जाता है। मतलब जिन व्यक्तियों की जन्मकुंडली में शनि ग्रह कमजोर या अशुभ स्थित होता है। उनको ज्योतिषी नीलम पहनने की सलाह देते हैं। आपतो बता दें कि कहा जाता है नीलम रत्न अपना असर 24 घंटे में दिखा देता है। इसलिए नीलम को बहुत सोच- समझकर धारण करना चाहिए। आइए जानते हैं नीलम धारण करने के लाभ और पहनने की विधि…
ये लोग पहन सकते हैं नीलम
ज्योतिष अनुसार नीलम रत्न मकर और कुंभ राशि के लोग पहन सकते हैं। क्योंकि इन राशियों पर शनि देव का आधिपत्य है। वहीं वृष राशि, मिथुन राशि, कन्या राशि, तुला राशि के लोग भी नीलम धारण कर सकते हैं। वहीं शनि देव कुंडली में कमजोर बैठे हुए तो नीलम धारण करके उनकी शक्तियों को बढ़ाया जा सकता है। साथ ही अगर शनि देव सकारात्मक (उच्च) के कुंडली में स्थित हैं, तो भी नीलम पहन सकते हैं। वहीं नीलम के साथ मूंगा, माणिक्य और मोती नहीं पहनना चाहिए। अन्यथा लॉस हो सकता है। क्योंकि इन रत्नों का जिन ग्रह से संबंध उनके शनि देव का शत्रुता का भाव है। कुंडली में चौथे, पांचवें, दसवें और ग्यारहवें भाव में शनि हो तो नीलम पहनने से बहुत लाभ मिलता है।
नीलम धारण करने के लाभ
अनिद्रा की शिकायत होने पर भी नीलम रत्न पहना जा सकता है। वहीं कुछ लोगों में धैर्य की कमी रहती है और वह हर काम में जल्दबाजी करते है जिससे कई काम उनके बिगड़ जाते हैं। ऐसे लोग भी नीलम धारण कर सकते हैं। साथ ही नीलम धारण करने से व्यक्ति की कार्यशैली में निखार आता है। साथ ही नीमल धारण करने से व्यक्ति को प्रसिद्धि और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
इस विधि से करें नीलम धारण
नीलम को बाजार से कम से कम 7 से सवा 8 रत्नी का धारण करना चाहिए। साथ ही नीलम को पंचधातु में जड़वाकर अंगूठी बनवानी चाहिए। नीलम को बायें हाथ में पहनना चाहिए। नीलम को शनिवार मध्य रात्रि में धारण करना उपयुक्त माना जाता है। नीलम को धारण करने से पहले अंगूठी को गंगाजल और गाय के कच्चे दूध से शुद्ध जरूर कर लें। वहीं नीलम धारण करने के बाद शनि ग्रह से संबंधित दान जरूर दें।