दिल्ली नगर निगम (Delhi MCD) में मेयर का चुनाव काफी जद्दोजहद के बाद पूरा हो चुका है। अब स्टैंडिंग कमेटी (MDC Standing Committee) को लेकर बीजेपी (BJP) और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच तकरार जारी है। रातभर चले हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही शुक्रवार तक के लिए स्थगित की जा चुकी है। दोनों ही दलों ने स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव में पूरी ताकत लगा दी है। आखिर स्टैंडिंग कमेटी इतनी महत्वपूर्ण क्यों है, इसे विस्तार से समझते हैं।

कितनी ताकतवर होती है स्टैंडिंग कमेटी

दिल्ली नगर निगम में स्टैंडिंग कमेटी सबसे ताकतवर होती है। इस कमेटी में कुल 18 सदस्य होते हैं। इस कमेटी के पास कई तरह के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार होते हैं। करीब सभी बड़े फैसले इस कमेटी से पास होकर ही सदन में जाते हैं। इस कमेटी से पास हुए बिना कोई भी प्रस्ताव सदन में नहीं जा सकता है। यही स्थायी समिति प्रोजेक्ट्स को वित्तीय मंजूरी देती है। नीतियों को लागू करने से पहले चर्चा, उसे अंतिम रूप देने में भी स्थायी समिति का महत्वपूर्ण रोल होता है।

कमेटी में एक चेयरपर्सन और डेप्युटी चेयरपर्सन होता है। मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव आम आदमी पार्टी पहले ही जीत चुकी है। अब बीजेपी के सामने वर्चस्व की लड़ाई में स्टैंडिंग कमेटी ही बची है। अगर इसमें भी बीजेपी के सदस्यों की संख्या आप के मुकाबले कम रही तो एमसीडी पर पूरी तरह आम आदमी पार्टी का कब्जा हो जाएगा।

कैसे होता है स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव

स्टैंडिंग कमेटी में कुल 18 सदस्यों में छह का चुनाव पार्षद सदन की पहली बैठक में वोटिंग के माध्यम से करते हैं। वोटिंग की यह प्रक्रिया पूरी तरह से गुप्त होती है। यह प्रक्रिया कुछ वैसी ही होती है जैसी राज्यसभा में वरीयता के आधार पर वोटिंग की जाती है। स्टैंडिंग कमेटी से अन्य मेंबर को अलग-अलग जोन से चुना जाता है। अब इसमें टकराव की सबसे बड़ी वजह है, उपराज्यपाल द्वारा नोटिस जारी किए जाने के बाद मनोनीत पार्षदों को तीन जोन में नियुक्त किया जाना। इस फैसले का असर यह हुआ है कि पहले बीजेपी के तीन सदस्यों को चुने जाने की संभावना थी लेकिन अब बीजेपी के 7 सीटें जीतने की संभावना है।