झारखंड हाईकोर्ट ने RJD प्रमुख और बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव को उच्चाधिकारियों से विचार-विमर्श बगैर रिम्स निदेशक के केली बंगले में शिफ्ट करने पर शुक्रवार को अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई। साथ ही कहा कि सरकार कानून से चलती है, न कि किसी व्यक्ति विशेष से।

जेल नियमावली उल्लंघन के मामले में सुनवाई कर रही कोर्ट की बेंच ने आगे कहा- संक्रमण का खतरा होने पर रिम्स प्रबंधन को पहले इसकी जानकारी किसी भी माध्यम से जेल अधिकारियों को देनी चाहिए थी। फिर जेल अधिकारी लालू प्रसाद को पेइंग वार्ड से शिफ्ट कर के लिए रिम्स में ही या फिर अन्य वैकल्पिक स्थान का चयन करते।

जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की बेंच ने नाराजगी जताते हुए पूछा, ‘‘रिम्स प्रबंधन ने लालू को निदेशक के बंगले में स्थानांतरित करने में इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई?’’ उसने कहा, ‘‘रिम्स प्रबंधन ने अपने हलफनामे में यह स्पष्ट नहीं किया कि लालू प्रसाद को निदेशक के बंगले में शिफ्ट करने के पहले और कौन से विकल्पों पर विचार किया गया था और निदेशक के बंगले को ही क्यों चुना गया? रिम्स निदेशक को कुछ और विकल्पों पर गौर करते हुए नियमों और प्रावधानों के अनुसार ही निर्णय लेना चाहिए था।’’

सुनवाई के दौरान जेल महानिरीक्षक और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने भी शुक्रवार को इस मामले में रिपोर्ट पेश की। सरकार ने बताया कि संक्रमण के मद्देनजर रिम्स प्रबंधन ने इससे बचाव के लिए लालू प्रसाद को निदेशक के बंगले में शिफ्ट किया। अदालत को बताया गया कि जेल से बाहर इलाज के लिए अगर कैदी शिफ्ट किए जाते हैं तो उनकी सुरक्षा कैसे होगी और उनके लिए क्या व्यवस्था होगी, इसका स्पष्ट प्रावधान जेल नियमावली में नहीं है।

सरकार अब जेल नियमावली में बदलाव कर रही है और इन परिस्थितियों के लिए एक एसओपी तैयार की जा रही है। इस पर बेंच ने सरकार से 22 जनवरी तक जेल नियमावली में बदलाव करने और अद्यतन एसओपी की जानकारी देने को कहा है। साथ ही जेल आइजी और रिम्स प्रबंधन से भी रिपोर्ट तलब की है। बता दें कि लालू फिलहाल चारा घोटाला मामले में न्यायिक हिरासत में रिम्स में इलाजरत हैं।