Punjab Ex DGP Son Death Case: पंजाब के पूर्व DGP मोहम्मद मुस्तफा और पूर्व मंत्री रजिया सुल्ताना के बेटे अकील अख्तर की मौत के बाद उनके खिलाफ केस दर्ज करवाने वाले शमशुद्दीन चौधरी के मल्टी पार्टी कनेक्शन सामने आए हैं। उसका आखिरी संबंध सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी से था।

मलेरकोटला में पार्टी हॉपर के तौर पर जाने जाने वाले चौधरी ने पहले शिरोमणि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी के लिए भी काम किया है। 2022 के पंजाब विधानसभा चुनावों में चौधरी ने पंजाब के एकमात्र मुस्लिम बहुल जिले मलेरकोटला से आप उम्मीदवार मोहम्मद जमील उर रहमान के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार किया था। रहमान ने तीन बार की कांग्रेस विधायक सुल्ताना को 20000 से ज्यादा वोटों से हराकर चुनाव जीता था।

हरियाणा के पंचकूला में मनसा देवी कॉम्प्लेक्स पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर के अनुसार , चौधरी ने अकील अख्तर की मौत की जांच की मांग की है और कहा कि परिवार के किसी भी सदस्य या सहयोगी की संभावित संलिप्तता सुनिश्चित करने के लिए सच्चाई सामने लाई जाए और न्याय किया जाए। पुलिस ने बताया कि अख्तर 16 अक्टूबर को अपने एमडीसी स्थित आवास पर मृत पाए गए थे। सोशल मीडिया पर एक कथित वीडियो में, अख्तर ने अपने पिता, माता और पत्नी पर निजी आरोप लगाए और अपनी जान को खतरा बताया। हालांकि, एक अन्य कथित वीडियो में, अख्तर ने कहा, “मैंने पहले एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें मैंने कई बातें कही थीं। यह मेरी मानसिक बीमारी के कारण था। मुझे इतना अच्छा परिवार मिला है।”

पूर्व डीजीपी ने आरोपों को सस्ती राजनीति का उदाहरण बताया

रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी मुस्तफा ने पुलिस जांच का हवाला देते हुए कहा कि अख्तर की मौत ड्रग ओवरडोज के ज्यादा इंजेक्शन लगाने से हुई और उन्होंने चौधरी की पुलिस शिकायत को गंदी मानसिकता और सस्ती राजनीति का उदाहरण बताया। मुस्तफा ने कहा कि चौधरी आप विधायक रहमान के पूर्व पीए थे और उन्हें रिश्वत और कमीशन लेने के आरोपों के बाद आप से बाहर निकाल दिया गया था।

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, विधायक रहमान ने कहा, “चौधरी ने 2022 में मेरे चुनाव प्रचार के दौरान आप के साथ काम किया था। वह मेरे पीए नहीं थे, बल्कि सिर्फ एक पार्टी कार्यकर्ता थे। लगभग एक साल हो गया है जब हमने उन्हें जाने के लिए कहा था। वह फोन नहीं उठाते थे और अक्सर अपना फोन बंद कर देते थे। वह 2022 में ही आप में शामिल हुए थे, लेकिन इसके अलावा वह एक कट्टर अकाली थे। वह हमेशा शिरोमणि अकाली दल (SAD) के साथ रहे हैं और हमारी जीत की लहर देखकर ही 2022 में आप में शामिल हुए हैं।”

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शमशुद्दीन मेरे पीए नहीं रहे- रहमान

रहमान ने कहा, “पहले वह बहुजन समाज पार्टी में भी थे। आप में आने के बाद वह कभी मेरे पीए नहीं रहे, बल्कि चुनाव के दौरान सिर्फ एक पार्टी कार्यकर्ता रहे।” सोशल मीडिया पोस्ट और चौधरी के फेसबुक पेज पर उन्हें पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान , कैबिनेट मंत्री हरपाल चीमा और तरूणप्रीत सोंड, आप विधायक रहमान, शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल, पूर्व शिअद विधायक फरजाना आलम सहित कई राजनेताओं के साथ पोज देते हुए दिखाया गया है।

मुस्तफा ने आगे कहा, “चौधरी मुझसे कांग्रेस सरकार के दौरान एक बार मिले थे और अपने खिलाफ बैंक धोखाधड़ी के एक मामले में मदद मांग रहे थे, उसके बाद कभी नहीं मिले। उनका दावा है कि वे मलेरकोटला में हमारे पड़ोसी हैं, लेकिन हमारा घर शहर के बाहरी इलाके में है और हमारा कोई पड़ोसी नहीं है।”

मैंने आप के लिए प्रचार किया था- शमशुद्दीन चौधरी

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए चौधरी ने कहा, “हां, मैंने 2022 के पंजाब चुनावों में आप के लिए प्रचार किया था। मैं रहमान का पीए नहीं था, सिर्फ एक दोस्त था। इससे पहले मैं बसपा और शिरोमणि अकाली दल में भी था। वरना मैं कैटल फीड ट्रेडर हूं।”

रजिया सुल्ताना के परिवार से हमारे पुराने रिश्ते- शमशुद्दीन चौधरी

चौधरी ने आगे कहा, “रजिया सुल्ताना के परिवार से हमारे पुराने रिश्ते हैं। मैं उनके माता-पिता का पड़ोसी हूं। उनके माता-पिता का घर और मेरा पुश्तैनी घर मलेरकोटला के मोहल्ला खटिकान में अगल-बगल में हैं। हम उनकी मां को बुआ कहते थे और वे मेरे पिता को मामा। मैंने यह केस इसलिए दर्ज कराया क्योंकि मुझे लगा कि अकील के साथ जो हुआ वह गलत था। मैंने किसी पर कोई आरोप नहीं लगाया है और मैं सिर्फ मृतक द्वारा रिकॉर्ड किए गए वीडियो के आधार पर निष्पक्ष जांच चाहता हूं। अगर मैं आम आदमी पार्टी का कार्यकर्ता भी था, तो भी इसका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है। राजनीतिक अभियान सिर्फ चुनाव तक ही चलते हैं।”

कभी पंजाब में पावर कपल के तौर पर जाने जाने वाले मुस्तफा और उनकी पत्नी सुल्ताना अब अपने छोटे बेटे की मौत को लेकर विवादों में घिर गए हैं। पंजाब के एकमात्र मुस्लिम बहुल शहर मलेरकोटला से तीन बार कांग्रेस विधायक रहीं सुल्ताना ने पहली बार 2002 में कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी, उसके बाद 2007 और फिर 2017 में भी जीत हासिल की थी। वह 2012 के चुनाव में शिअद की फरजाना आलम से हार गई थीं।

2017 में सुल्ताना ने अपने ही भाई अरशद डाली को हराया। वह आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार थे। चुनाव प्रचार के दौरान, सुल्ताना पर अक्सर पंजाब पुलिस में अपने पति के प्रभाव का इस्तेमाल करने के आरोप लगते रहे। 2017 की जीत के बाद उन्हें तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में पहली बार कैबिनेट मंत्री बनाया गया। हालांकि, 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी दिनकर गुप्ता को पंजाब का डीजीपी नियुक्त किए जाने के बाद अमरिंदर के साथ उनके रिश्ते खराब हो गए, जबकि 1985 बैच के अधिकारी मुस्तफा की जगह दिनकर गुप्ता को डीजीपी नियुक्त किया गया।

हालांकि, अमरिंदर के कांग्रेस से बाहर होने के बावजूद, सुल्ताना ने पार्टी नहीं छोड़ी। 2021 में नवनियुक्त मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के कार्यकाल में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाए रखा गया, लेकिन नवजोत सिद्धू के पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद उन्होंने विरोध में इस्तीफा दे दिया। कभी कैप्टन अमरिंदर के वफादार रहे यह दंपत्ति बाद में नवजोत सिंह सिद्धू के खेमे में चले गए थे। अमरिंदर ने 2021 में सुल्ताना के कार्यकाल में मलेरकोटला को पंजाब का 23वां जिला घोषित किया था।

मुस्तफा का पहले भी रहा विवादों से नाता

मुस्तफा का पहले भी विवादों से नाता रहा है। साल 2019 में पंजाब पुलिस के डीजीपी पद पर दिनकर गुप्ता की नियुक्ति के बाद मुस्तफा ने किसी जूनियर के अधीन काम करने से इनकार कर दिया था। उन्होंने गुप्ता की नियुक्ति को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख भी किया था, लेकिन बाद में अपनी याचिका वापस ले ली थी। मुस्तफा 2021 में डीजीपी के पद से रिटायर हुए। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी के लिए काम करना शुरू कर दिया और सिद्धू ने उन्हें अपना प्रमुख रणनीतिक सलाहकार नियुक्त किया।

2022 के एक वीडियो में मुस्तफा पर अपनी पत्नी सुल्ताना के लिए प्रचार करते हुए मलेरकोटला में एक चुनावी रैली में भड़काऊ, सांप्रदायिक टिप्पणी करने और आप कार्यकर्ताओं को धमकाने का आरोप लगाया गया था। उनकी टिप्पणियों के कारण उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। सुल्ताना 2022 के चुनावों में आप के रहमान से 20000 से ज्यादा वोटों से हार गईं।

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