पश्चिम बंगाल विधानसभा में शुक्रवार को जमकर हंगामा हुआ। यह बवाल राज्यपाल जगदीप धनखड़ के अभिभाषण के दौरान कटा था। विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायकों ने यह हंगामा किया था।
हंगामा इतना जबरदस्त था कि राज्यपाल अपना अभिभाषण भी पूरा न पढ़ पाए और पहले ही पहले दिन का सत्र समाप्त कर दिया गया। दरअसल, सूबे में कुछ रोज पहले चुनाव हुए थे, जिसके बाद शुक्रवार तो विस का पहले सत्र की शुरुआत हुई। जानकारी के अनुसार, गवर्नर के अभिभाषण के साथ इसका आगाज होना था, पर जैसे ही शुरुआत हुई बीजेपी के कई विधायक हंगामा काटने लगे। ऐसे में धनखड़ ने स्पष्ट कर दिया कि वह सरकार की लिखी हुई सभी चीजें सदन में नहीं बोलेंगे।
समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, बीजेपी के विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया था। सूबे में चुनाव के बाद हुई हिंसा को लेकर उन्होंने राज्यपाल के संबोधन के दौरान हंगामा किया था। साथ ही इस दौरान “जय श्री राम” के नारे भी लगाए थे। समाचार एजेंसी “पीटीआई” के मुताबिक, राज्यपाल को विरोध के चलते अपने संबोधन को छोटा करना पड़ा था।
धनखड़ नव गठित विधानसभा में अपना पहला अभिभाषण देने दोपहर को पहुंचे। पर वह केवल तीन-चार मिनट ही बोल सके। ऐसा इसलिए, क्योंकि प्रदर्शन करने के लिए पोस्टर और चुनाव बाद हुई हिंसा के कथित पीड़ितों की तस्वीरें लिए भाजपा सदस्य विधानसभा अध्यक्ष के आसन के करीब पहुंच गए। विधानसभा सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी भाषा ने बताया कि राज्यपाल ने अपना अभिभाषण पूरी तरह से नहीं पढ़ पाने के बाद उसे सदन में मेज पर रख दिया और वहां से निकल गए।
भाजपा की ओर से आरोप लगाया गया कि ममता सरकार के कारण राज्यपाल के भाषण में चुनाव के बाद पनपी हिंसा का जिक्र नहीं किया गया। वह इसके बाद सीएम और मुख्य सचिव से बात करके सदन के बाहर आ गए, जबकि दीदी उन्हें खुद बाहर तक छोड़ने आई थीं।
बता दें कि जो अभिभाषण राज्यपाल द्वारा दिया जाना था, वह सूबे की सरकार ही तैयार कराती है। हालांकि, धनखड़ को उस में शामिल चीजों पर आपत्ति थी। सूत्रों के हवाले से कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि धनखड़ इस मुद्दे पर अपनी बात सदन में रखना चाहते थे, पर सरकार की ओर से कह दिया गया था कि वह अभिभाषण कैबिनेट में पास हो चुका है।
इसी बीच, बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा चुनाव बाद हुई हिंसा सूबे में बड़ा मुद्दा है। यह लड़ाई अंत तक जारी रहेगी। पत्रकारों को विपक्ष के नेता अधिकारी ने यह भी बताया कि भाजपा विधायक प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हो गये थे क्योंकि विधायकों के बीच वितरित की गई अभिभाषण की प्रति में चुनाव बाद हुई हिंसा का कोई जिक्र नहीं था।
गौरतलब है कि अधिकारी टीएमसी के बागी हैं और कभी दीदी के बेहद करीबी माने जाते थे। चुनाव से पहले उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया था। ममता के गढ़ और चर्चित नंदीग्राम सीट से उन्होंने कम अंतर से उन्हें हराया था।