Karnataka- Maharashtra Border Dispute: कर्नाटक और महाराष्ट्र सीमा विवाद के बीच अब शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता संजय राउत ने विवादास्पद बयान दिया है। दरअसल, संजय राउत (Sanjay Raut) ने कहा कि हम कर्नाटक में उसी तरह से प्रवेश करेंगे जैसे चीन देश में प्रवेश कर गया है। शिवसेना के वरिष्ठ नेता ने कहा कि उन्हें इस मुद्दे पर किसी की अनुमति की जरूरत नहीं है।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री आग लगा रहे हैं- Sanjay Raut

संजय राउत ने आगे कहा कि हम इसे चर्चा के जरिए सुलझाना चाहते हैं लेकिन कर्नाटक के मुख्यमंत्री आग लगा रहे हैं। महाराष्ट्र में एक कमजोर सरकार है और इस पर कोई स्टैंड नहीं ले रही है।

बुधवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान राउत ने कहा, “बात इंच की नहीं है। वैसे तो जो उनकी सरकार दिल्ली में बैठी है इंच इंच की भाषा करती है कि चीन को इंच भी नहीं देंगे, लेकिन चीन घुस गया है। हम भी घुसेंगे। घुसने के लिए हमें किसी की परमिशन की जरूरत नहीं है, लेकिन हम मानते हैं कि देश एक है, यह मसला बातचीत से सुलझ सकता है।”

अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाएंगे- बोले Shivsena नेता

शिवसेना नेता ने कहा, “जिस विषय पर 100 से भी ज्यादा लोगों ने बलिदान दिया है, उसके ऊपर राज्य के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री अपनी भूमिका भी नहीं लेते तो बोम्मई जैसे लोग आवाज बढ़ाकर बात तो करेंगे ही। हमारा कोई व्यक्तिगत झगड़ा नहीं है सरकार से या कर्नाटक के लोगों से। यह 70 साल पुराना मसला है। यह मानवता का मसला है। अत्याचार के खिलाफ हम अपनी आवाज उठाएंगे।”

संजय राउत ने कहा कि विपक्ष के नेता अजीत पवार ने पहले विधानसभा में सीमा विवाद का मुद्दा उठाया और कहा कि महाराष्ट्र के एक लोकसभा सदस्य को बेलगावी में प्रवेश करने से रोक दिया गया है। गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक में तय हुआ था कि किसी को वहां जाने से नहीं रोका जाएगा, फिर वहां के कलेक्टर ऐसा फैसला कैसे ले सकते हैं।

महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विपक्ष का हंगामा

राउत का यह बयान महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच चल रहे सीमा विवाद को लेकर आया है। मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में लिस्टेड है। एकनाथ शिंदे की सरकार को भी इस मुद्दे पर आलोचना और महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विपक्ष के हंगामे का सामना करना पड़ रहा है।

महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा मुद्दे पर कहा था कि पहली बार केंद्रीय गृह मंत्री ने अंतर्राज्यीय सीमा विवाद में मध्यस्थता की है। इस मुद्दे पर अब राजनीति नहीं होनी चाहिए। हमें सीमावर्ती निवासियों के साथ एक साथ खड़ा होना चाहिए।